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बुधवार, 7 जून 2017

691.. जिन्दा नज़र आना भी जरूरी है’.

आप सभी पाठक गण का ह्रदय से नंदन अभिनंदन करती हूँ...

जिन्दा गर हो तुम तो
    जिन्दा नज़र आना भी जरूरी है..
और नज़र आने के लिए
इन तहरीरों पर निगाह डाल कर 
अपने विचारों से अवगत जरूर कराएँ..
तो चलते हैं...

आज की सर्वश्रेष्ठ लिंक की ओर...

अंदाज़े गाफ़िल़ से खूबसूरत गज़ल


हैं नहीं कम ज़िन्दगी में पेचो ख़म
आप भी थोड़ा बहुत उलझाइए

तारी हो उल्फ़त का अब कुछ यूँ सुरूर
ख़ुद बहकिए मुझको भी बहकाइए

(प्रथम प्रस्तुती रविवार लिंक 688 )


संजना को रजत का आत्मसंयम व शालीन व्यवहार बहुत
 प्रभावित करता था। वह अपने गीतों और कविताओं को
 संजना को सुनाता। कुछ गीतों में छिपे संदेश को समझकर
 संजना की नजरें झुक जाती।


जब में नौकरी में थी और मुझे विश्वविद्यालय की एक मीटिंग में फेकल्टी सदस्य के
जिन्दगी से रू-ब-रू कराती  रचना

वो रिश्ते भार ही होते हैं
क्षण-भंगुर से इस जीवन सा हम
आओ हर पल को जी लें
और पाचवी कड़ी में असमानी, न न न आसमानी बादलों से..


न जानू फिज़ाओ की आगोश की बातें..
ख्वाहिशों की मुरादो को पूरा करना पड़ेगा
इस नव,नवीन नवीसी प्रस्तुति और नवाज
के साथ आप सभी  के नवोद्भावनाओं की आकांक्षी।
।। इति ।।
धन्यवाद !
पम्मी सिंह


16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    वाह....बहुत अच्छी रचनाओं का चयन
    आभार.....सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात ! आज की प्रस्तुति लेकर आयी है सृजन के विविध रंग-रूप। उम्दा लिंक संकलन के लिए बधाई पम्मी जी। सभी चयनित रचनानकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर

    1. कृपया रचनानकारों को रचनाकरों पढ़ें। धन्यवाद।

      हटाएं
  3. शुभ प्रभात
    बहुत ही उम्दा संकलन है

    जवाब देंहटाएं
  4. "पाँच लिंकों का आनंद " में चर्चाकार बनने पर पम्मी जी को बधाई एवं स्वागत।

    जवाब देंहटाएं
  5. ‘जिन्दा गर हो तुम तो
    जिन्दा नज़र आना भी जरूरी है’..

    आदरणीय, शुभप्रभात
    सुन्दर लिंक संयोजन
    उम्दा प्रस्तुति, के लिए
    ''पम्मी जी'' को ढेरों
    शुभकामनायें, आभार।
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभप्रभात....
    स्वागत है आप का....
    ....पांच लिंकों का आनंद पर....
    सुंदर लिंक संकलन....
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  7. आप सभी के स्नेह, अवसर और टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर चयन. यशोदा जी,

    एक नम्र निवेदन.

    रचना के साथ शीर्षक जरूर दें.
    अयंगर.

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छे लिंक्स हैं,मुझे तो पंचपकवानों का आनंद मिल जाता है पाँच लिंकों पर ! बचपन से किताबी कीड़ा जो कहलाती रही ! आज की प्रस्तुति के लिए बधाई पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं

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