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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

637...झपट ले लपक ले पकड़ ले

सादर अभिवादन..
आज चौदह अप्रैल
आज बाबा साहेब भीमराव जी अम्बेडकर  का जन्म दिवस
साथ ही एक अच्छा शुक्रवार (गुड फ्राईडे) भी है
दोनों की शुभकामनाएँ....

आज की शुरुआत बाबा साहेब से 

14 अप्रैल अम्‍बेडकर को याद करने का दिन है। जाति विषमता के विरूद्ध अम्‍बेडकर ने जो लड़ाई लड़ी है, उसे याद करने और आगे बढ़ाने का दिन है। इस मौके पर मार्टिन लूथर किंग की याद किसी भी तरह के विभेद के विरूद्ध जारी मुहिम को ही वैश्विक स्‍तर पर देखने की ही कोशिश है। 

खूबसूरत शब्दों का 
आकर्षक जाल बुने 
भावनाओं के आटे से 
बनी गोलियां 
सुनहरी मछलियों को 
खिलायें !

लेखन के राजा/रानी को लक्ष्मी का साथ नहीं मिलता ना ही 
सगे रिश्तेदार क़रीब आना चाहते हैं
दिन क़रीब आता जा रहा था और चिंता बढ़ती जा रही थी। .... एक दिन वो अपने कमरे में बैठा था कि नंदनी उससे मिलने आई उदासी में घिरे मित्र को देख। .... चिंता का कारण जान गई । ... बिना रक़म भरे हस्ताक्षर कर चेक थमाते हुए बोली कि बैंक में रखा रक़म मिट्टी ही है। जब दोस्त के काम ना आए जितना है, सब निकाल लेना और बिटिया की शादी धूम-धाम से कर , अपनी मुस्कुराहट वापस ले आना। 

देती दुहाई सूखी धरा
करती रही पुकार
आसमाँ पर  सूरज फिर भी
रहा बरसता अँगार
सूख गया अब रोम रोम
खिच  गई लकीरें तन  पर
तरसे जल को प्यासी धरती

कहना है,
कि जब मैं हुआ 
और तुम मुझे अपनी गोद में लेकर 
इधर उधर घूमते थे 
तो दुनिया अपनी मुट्ठी में लगती थी !
सबकी उपस्थिति में 
मुझ अबोले को 
रहता था इंतज़ार 
तुम्हारे आने का। 

आज्ञा लेने से पहले ये
मूँछ मे 
ताव देता
एक प्रोफेसर
टेढ़े टेढ़े मुंह से
हंसता हुवा
यू जी सी की
संस्तुति हेतु
एक करोड़ 
की परियोजना 
बना रहा है।
.....
यशोदा
सादर










9 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों आशीष संग असीम शुभकामनाएँ छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतीकरण
    आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना को जगह देने के लिए
    बहुत बहुत आभार आपका, सभी बेहतरीन लिंक्स
    दिए है, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

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