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शनिवार, 1 अप्रैल 2017

624... प्रीत की डोरी


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

><><
प्रीत की रीत की होती नहीं जीत यहाँ
ह्रीत के नीत के होते नहीं मीत यहाँ
शीत यहाँ आगृहीत तड़ीत रूह बसा
क्रीत की गीत की होती नहीं भीत यहाँ
><><

प्रीत की डोरी पर दो दूर देशो में
रहने वाले
दो अलग अलग लोग
एक ही होते है



प्रीत संग प्रीत संग प्रीत बनाई है।
प्रीत संग मीत निभाई है।
आज रिश्तों की डोर हमने ,
मीत संग प्रीत सजाई है।



प्रेम के देवता तुम कहो-रूप का यह जो दर्पण मेरा ,
उसको तुम पर ही केवल लुटा के रहूँ।
आज फिर तो बजी बांसुरी मन मेरे ,
तुम तो कन्हा बनो ,मैं तो राधा रहूँ।



खग का नीर आँचल की कोर बंधी प्रीत की डोर,
मन विह्ववल, चंचल चित, चितवन चितचोर,
लहराता आँचल जिया उठता हिलकोर,
उस ओर उड़ चला मन साजन रहता जिस ओर।



कवयित्री टूट  जाये  ना  ये  डोर  है  प्रीत  की
हम  इसी  बात  को ले के डरते  रहे

वो  जगह  रिक्त थी जो तुम्हारे बिना
हम  उसी को हमेशा  ही भरते   रहे


><><

प्रीत की बात करना ..... मुर्खता खुद का साबित करना


क्या कहते हैं
हूँ न बड़ी सी मुर्ख
फिर मिलेंगे


विभा रानी श्रीवास्तव



8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    विषय-विशेष पर
    सुन्दर प्रस्तुति
    सम्मान दिवस पर आपको शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आँचल की कोर बंधी प्रीत की डोर,
    मन विह्ववल, चंचल चित, चितवन चितचोर,
    लहराता आँचल जिया उठता हिलकोर,
    उस ओर उड़ चला मन साजन रहता जिस ओर।

    Thanks

    जवाब देंहटाएं
  3. halchalwith5links.blogspot.in
    यह पांच लिंकों का आनन्द नही बल्कि पांच जन्मों का आनन्द है। पूरी टीम को प्रणाम, साधुवाद एवं सफलता की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. ज्ञानवर्धक ,रोचक एवं सुंदर संकलन आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति विभा जी। प्रीत की बात करना अगर मूर्खता है तो ईश्वर करे मूर्खों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो मूर्खों की जय हो। :) :)

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रीत की डोर से ही ये सारा संसार बँधा हुआ है अगर वह टूटा तो सब बिखर जाएगा
    बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन सुंदर रचनाएँ👌👌

    जवाब देंहटाएं

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