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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

616.........बेशरम होता है इसीलिये बेशर्मी से कह भी रहा होता है

सादर अभिवादन..
बस कुछेक दिन बचे हैं काम के
अगले वर्ष से जुलाई की महीना मार्च की तरह होगा
कानून में बदलाव के तहत ..आयकर की विवरणी
अब जुलाई में ही दाखिल करनी होगी
अरे.....ये मैं कौन सा विषय ले लिया  क्षमा..

चलिए चलें..फुरसत के पल में जो पढ़ा वो देखिए....

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अब नहीं मिलते डगर में
फूल वाले दिन 
आज खूँटी पर टंगे हैं 
शूल वाले दिन

प्रश्न अचानक
मन में आया 
राधा ने जानना चाहा 
है यह बांस की बनी
साधारण सी बांसुरी
पर अधिक ही प्यारी क्यूं है 

कितना प्यारा निर्मल जल है 
वर्तमान है ,इससे कल है ॥
घन का देखो मन  उदार  है 
खुद मिट जाता जल अपार  है ॥

22 मार्च पानी बचाने  का संकल्प, उसके महत्व को जानने  और संरक्षण के लिए सचेत होने का दिन है।   अनुसंधानों से पता चला है  कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना अधूरी है। इस विषय पर आज सबको गहन मंथन की आवश्यकता है कि 'जल की एक-एक बूँद कीमती है, 'जल बचाओ' , जंगल बचाओ' , जल ही जीवन है' बिन पानी सब सून' - ये उक्तियाँ अब मात्र नारे नहीं बल्कि जीवन की आवश्यकता बन गई हैं।

जोगीजी वाह .....कौशल लाल
योगी जी धीरे धीरे , ले लिये सी एम के फेरे
योगीजी वाह योगी जी वाह....।।
धनबली, बाहुबली बाले नेता तो सुने थे लेकिन ई योगबली बाले नेतवन सब भी बहुत हो गए है। आखिर कुछ तो बदल रहा है। और ऐसा तो नहीं की हिलाय के चक्कर एक दूँ ठो खूटवा उखड़ जाए।





बेशरम 
बस एक 
‘उलूक’ 
ही 
हो रहा 
होता है 

रात को 
उठ रहा 
होता है 
फटी आँखों 
से देख 
रहा होता है 
....
आज्ञा दें दिग्विजय को


6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात....
    अति सुंदर...
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति दिग्विजय जी। आभार 'उलूक' का सूत्र 'बेशरम होता है इसीलिये बेशर्मी से कह भी रहा होता है' की चर्चा करने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सादर प्रणाम
    बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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