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बुधवार, 15 मार्च 2017

607...जो सड़कों पर भी सोते हैं ,सिरहाने ख्वाब रखते हैं


जय मां हाटेशवरी...

पांच राज्यों के चुनाव में...
भारत की जनता ने...
न नोट बंदी का बदला लिया...
न ही मंदिर बनाने को कहा...
मैं इसे मोदी जी का जादू भी नहीं कहूंगा...
मुझे तो इस चुनाव-परिणाम में...
अभी भी जनता के मन में...
अच्छे दिन  आएंगे......
ये आशा कि किरण ही नजर आई...
यहाँ रोटी नही “उम्मीद” सबको जिंदा रखती है

जो सड़कों पर भी सोते हैं ,सिरहाने ख्वाब रखते हैं

कल नहीं आ सका था...
...इस लिये पांच लिंक मेरी पसंद के...


खुद को भारतीय कहने वालो गर्व करो-
हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ब्रह्मास्त्र, आग्नेयास्त्र जैसे अस्त्र अवश्य ही परमाणु शक्ति से सम्पन्न थे, किन्तु हम स्वयं ही अपने प्राचीन ग्रंथों में वर्णित विवरणों को मिथक मानते हैं और उनके आख्यान तथा उपाख्यानों को कपोल कल्पना, हमारा ऐसा मानना केवल हमें मिली दूषित शिक्षा का परिणाम है जो कि, अपने धर्मग्रंथों
के प्रति आस्था रखने वाले पूर्वाग्रह से युक्त, पाश्चात्य विद्वानों की देन है, पता नहीं हम कभी इस दूषित शिक्षा से मुक्त होकर अपनी शिक्षानीति के अनुरूप शिक्षा प्राप्त कर भी पाएँगे या नहीं।

डाल झुकीं तरुणी के तन सी
जीवन के दो पंथ निराले,कृष्ण की भक्ति अरु प्रिय को पाना
दौनों ही मस्ती के  पथ हैं  , नित होवे है आना जाना--..!!
चैत की लम्बी दोपहरिया में– जीवन भी पलपल अनुमाना
छोर मिले न ओर मिले, चिंतित मन किस पथ पे जाना ?

समाज बदलने को तत्पर ये साहसी महिलाएं
सऊदी में कार चलाने तो फ्रांस में समान वेतन के अधिकार के लिए। पाकिस्तान में घरेलू हिंसा तो अमेरिका में राजनेताओं की भद्दी टिप्पणियों से बचने को। दुनिया के कई देशों में आधी आबादी बड़ी-बड़ी लड़ाइयां लड़ रही हैं। बीते साल मई में पाकिस्तान के काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने एक प्रस्ताव पेश कर पत्नियों की पिटाई को जायज ठहराया। इसके बाद ट्विटर पर ट्राईबीटिंगमीलाइटली अभियान शुरू हो गया। हजारों महिलाओं ने फोटो के साथ संदेश पोस्ट कर लिखे कि जैसे पति ने पीटा तो उसके हाथ तोड़ दूंगी। अमेरिका में इस साल 21 जनवरी की तारीख सबसे बड़े महिला आंदोलन की गवाह बनी। वाशिंगटन शहर में लाखों महिलाएं गुलाबी टोपी पहने सड़कों पर उतरीं।

BJP चक्रवर्ती सम्राट, समाजवादी घर को लगी आग़ घर के चराग़ से : खुशदीप
अमित शाह ने जब टिकटों का बंटवारा किया था तो उन्हें जरूर कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था लेकिन जिस तरह उन्होंने जातिगत समीकरणों को साधा उससे साबित हो गया है कि उनसे बड़ा चुनावी रणनीतिकार इस वक्त देश में और कोई नहीं हो. पिछले कुछ विधानसभा चुनावों को देखें तो बीजेपी की नीति रही है कि किसी राज्य में जो जाति भी सबसे प्रभावी है, उसके सामने बाकी सभी जातियों को जोड़ा जाए. बीजेपी ने ये कार्ड हरियाणा में गैर जाटों, गुजरात में गैर पटेलों और महाराष्ट्र में गैर मराठाओं को साथ जोड़कर चला. अब यही दांव उसने यूपी में गैर यादव ओबीसी और गैर जाटवों को लुभा कर अपने खेमे में लाने से चला. नतीजों से साबित है कि ये दांव बीजेपी को यूपी में खूब फला भी. नोटबंदी से बड़ा मुद्दा यूपी में कानून और व्यवस्था की बदहाली का साबित हुआ.

तुम आदमी नहीं...
ये तुम्हारा घर इंसानियत की कब्र है
ये तुम्हारा स्पन्दन करता यकृत
खोपड़ी की गुथम्म-गुत्था
साजिशो का साज है

धन्यवाद।

















3 टिप्‍पणियां:

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