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सोमवार, 13 मार्च 2017

605....गीता में कही गयी हैं बातें वही तो हो रही हैं नजर आ रहा है मत कहना ‘उलूक’ पगला रहा है

सादर अभिवादन
कल रात भस्म हो गई होलिका
आज मनाया जा रहा है रंगोत्सव
एक उत्सव तो शनिवार को भी मनाया गया था
रंगोत्सव के साथ-साथ दीपावली का भी माहोल था
उत्तर प्रदेश व देवभूमि उत्तराखण्ड में

आज की पढ़ी रचनाएँ...
चल री सखी हम ब्रज को जाएं
अब की होली कुछ ऐसी मनाएं 
रंग लें खुद को कान्हा के रंग में
और सारे दुख भूल जायें

आया रंगीला फागुन, लेकर फाग दुबारा 
दिल के धड़कने देख, दिलवर को पुकारा | 
जहां राधा वहीँ कृष्ण, वहीँ आनन्द वहीँ प्रेम 
मथुरा वहीँ, बृज वहीँ, बरसाने वहीँ क्षेम | 

मन में उमंग लिये,
सखियन को संग लिये।
आई मदमाती नारि,
विरज की खोरी में।
पुकारती फिरे नाम,
छोड़ूँगी नहीं आज श्याम।
चटक रंग घोरि लाई,
बौरी कमोरी मे....


स्नेह रंग.....शशि पुरवार
गली गली में घूम रही है 
मस्तानों की टोली 
नीले, पीले, रंग हठीले 
आओ खेलें होली 


लालसा की होलिका में....रश्मि शर्मा
प्रह्रलाद की तरह
आज
हर इंसान जल रहा है
माया-मोह-लालसा
की होलिका में...
इन्‍हें कि‍सी
हि‍रणकश्‍यप ने
अपने अंहकार के वशीभूत हो
आग में
जलने को वि‍वश
नहीं कि‍या है....




मेरे लिये शब्द एक औजार है.
भीतर की टूट फूट/
उधेड़बुन अव्यवस्था और
अस्वस्थता की शल्यक्रिया के लिये.



पढाई की स्कॉलरशिप का सपना देख रही थी। उस छात्रवृत्ति के लिए सुलोचना को फैशन डिप्लोमा की आवश्यकता थी जिसकी फीस लाखो में थी। सूर्य को जब यह बात पता चली तो उसने अपने सभी संसाधन सुलोचना के डिप्लोमा की तरफ केंद्रित किये। अपनी दूकान बेचकर उसने किसी तरह सुलोचना की फीस भरी। 

क्षमा समुद्र क्षमिय अब जननी कयलहुँ चुक हजारा हे। 
जननी उदर जखन हम अयलहुँ - कयलहुँ धर्म विचारा हे।। 
अबितहिँ एतय सकल हम बिसरल राखल किछु ने विचारा हे। 
धर्म सनातन मर्म न जानल नव - नव सिखल अचारा हे।।

आज नया  दिन 
अग्नि समेटे निज दामन में 
उगा गगन में अरुणिम सूरज 
भर उर में सुर की कोमलता 

‘उलूक’ 
तूने पेड़ 
पर ही 
रहना है 
रात गये ही 
सुबह की 
बात को 
कहना है

तुझे 
किस बात 
का मजा 
आ रहा है 
.........
कल जो हुआ सो अच्छा हुआ
 आज भी अच्छा ही हुआ
कल क्या होगा
इसकी चिन्ता क्यूँ

रंगोत्सव की शुभ कामनाएँ
आज्ञा दें सादर
यशोदा









8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी हलचल ! सभी मित्रों व पाठकों को होली पर्व की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं !

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  2. सुन्दर होली की हलचल। आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'गीता में कही गयी हैं बातें वही तो हो रही हैं नजर आ रहा है मत कहना ‘उलूक’ पगला रहा है' को स्थान देने के लिये। होली की शुभकामनाएं सभी को।

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  3. पांच लिंकों का आनंद की आज की प्रस्तुति उमंग और उल्लास के पर्व होली को वैचारिक दृढ़ता के साथ रसमय हो जाने की मंशा के साथ प्रस्तुत है. सभी को होली की मंगलकामनाऐं !

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  4. मेरी कविता को सम्मलित करने के लिए धन्यवाद

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  5. आज की चर्चा भी बहुत रंग बिरंगी लगी ।

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  6. बहुत सुन्दर उम्दा संकलन....

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