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शुक्रवार, 10 मार्च 2017

602.........जो है क्या वो ही है

सादर अभिवादन..
बस दो दिन और
हिन्दी वर्ष का अंतिम उत्सव
होली.....पर उत्साह गायब है
या  शायद आपकी प्रतीक्षा में है....
सरकार आपको होली तक फ्री राइड करवाएगी फिर वो बस हो ऑटो टैक्सी या फिर मेट्रो क्योंकि यदि नोट लेकर निकले और किसी ने रंग भरा गुब्बारा मार दिया तो आपकी तो बल्ले बल्ले हो जाएगी न ........अब खाली जेब खाली हाथ निकालिए और काम पर चलिए ........होली है भई ,

महिलाओं को आगे लाने की बात हो तो घर से शुरुआत करनी चाहिए, सबसे जरूरी है उनकी शिक्षा व रुचि ...जैसा कि सब जानते हैं परिवार में जितने लोग होते हैं आपसी सूझबूझ और तालमेल के साथ रहें तो प्रेम बना रहता है,तालमेल का यहाँ मतलब है अपनी -अपनी जिम्मेदारी और समय संयोजन के साथ आपसी सहयोग होना।


यकीनन बुढापा दिमागी फितूर है , बड़प्पन का फितूर , लोग क्या कहेंगे का फितूर , अब हमारी उम्र हो गयी , का असर और कुछ नहीं , इसे नकारिये और पूरे जीवन स्वस्थ रहिये !


आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 

महक प्यार की ढूंढते यहां वहां 
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है 

अब अश्लीलता का रंग 
ब्लू नहीं होता 
अब यह सिमटा नहीं 
पीली पन्नी में 
न ही सिनेमा घरों में होता है 




खुद के सीने में
जल रही होती है 
आग बहुत सारी
जलते जलते भी
एक ठंडा सा सागर
सामने ला 
कर दिखाता है
किसी किसी को
कुछ ऎसा लिखने में
भी मजा आता है
आँखों में जलन
और धुआँ धुआँ
सा हो जाता है





6 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना
    आपके चयन किये लिंक्स का क्या कहना
    सुंदर अति सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'जो है क्या वो ही है' को स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं

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