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बुधवार, 1 मार्च 2017

593...कलाबाजी कलाकारी लफ्फाजों की लफ्फाजी जय जय बेवकूफों की उछलकूद और मारामारी

सादर अभिवादन

लो.. बीत गया फरवरी 

और... आ गई गरमवरी

कालचक्र का काम है घूमना
घूमते रहता है निरन्तर
थकते नहीं देखा उसे..

आज की पसंदीदा रचनाएँ देखें....


कोई गिला नही....पुष्पेन्द्र गंगवार
रोते तो हैं आज भी हम दर्द से मगर
माँ के सलीके सी नज़र उतरता नहीं ।
गलतियां होती हैं मगर क्या है कायदा
मेरे पिता सा कोई मुझे डाँटता नहीं ।

मुस्कुराहटों के मौसम के संग भी 
आ सकती हैं निराश बारिशें 
तमाम सभ्यताओं के बारे में जान लेने के बाद भी 
बची रह सकती है असभ्यता


लघु-क्षण.....पुरुषोत्तम सिन्हा
क्षण, जिसमें था सतत् प्रणय का कंपन,
निरन्तर मृदु भावों संग मन का अवलम्बन,
अनवरत साँसों संग छूटते साँसों का बंधन,
नैनों के अविरल अश्रृधार का आलिंगन,
हो सके तो! लौटा देना तुम मुझको मेरा वो लघु-क्षण....


पलाश के दोहे.........डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
सत्कर्मो की अग्नि मे, जब तपती मानुष देह | 
काम क्रोध होते भस्म, मिलती प्रभु की नेह || 

सच्चा धन बस प्रेम है, बाकी सब जग मे झूठ | 
खर्च होय से बढत जाय, ना खर्च से जाय छूट || 



खुल जा सिम-सिम........डॉ. सरोज गुप्ता
बाखुशी दी चाबी आप को ! 
दिखाओ न आँखें बाप को !! 
बुझी राख में भी है आग ! 
धुआं न समझो भाप को !!


मतभेद या राष्‍ट्रभेद ?....अलकनन्दा सिंह
''भारत तेरे टुकड़े होंगे, हम क्‍या चाहें- आज़ादी'' जैसे नारों ने पिछले साल तो बवाल मचाया ही, अब इस साल भी दिल्‍ली यूनीवर्सिटी के रामजस कॉलेज से जो कुछ शुरू हुआ है, उसे सिर्फ और सिर्फ देश में अस्‍थिरता लाने व सेना के खिलाफ एक ''खास सोच वाले'' तबके की शरारती सोच ही कहा जाएगा जो किसी ना किसी तरह खबरों में रहना चाहता है।


बात पते की... डॉ. सुशील जोशी


मिलाता चल 
आदमी की 
कलाबाजियों 
को देखकर 
‘उलूक’ 
आठ जगह 
एक साथ 
घुस लेने की 
कारीगरी 
छोड़ कर 
हर जगह 
एक हाथ 
या एक पैर 
छोड़ कर 
आना सीख 

और अन्त में
ब्लॉग क्यों लिखा गया
कब से लिखा जा रहा है
मैं समझती हूँ ये
नवोदित साहित्यकारों को
मांजता है.... और मंज चुके
साहित्यकार अब ओझल हो चुके हैं
क्योंकि उनकी रचनाएँ 

अब पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी है
लिखना तो बहुत चाहती हूँ पर ..फिर कभी
आज तो गुरमेहर को पढ़िए
और गुरमेहर को सुनिए


आज्ञा दीजिए यशोदा को
सादर









9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर संकलन आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'कलाबाजी कलाकारी लफ्फाजों की लफ्फाजी जय जय बेवकूफों की उछलकूद और मारामारी' को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. मैं अपनी रचना को सम्मानित होते देख कर अभिभूत हूँ।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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