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बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

565........दो मिनट का मौन सायरन का तीस जनवरी के ग्यारह बजे

सर्व प्रथम माँ सरस्वती को नमन
आज वसंत पंचमी है
बुद्धि और शुद्धि की दात्री  है माँ
आज की परिक्रमा का फल...आप भी चखें...
....पहली बार....

बेतरतीब.....कुमार शिवा
मैं सोचता हूँ आज से मौजूं-ए-ग़ज़ल क्या रखूं,
Objectification के इल्जाम से आज डरा करता हूँ |
झील सी आँखें न कहूँ मैं जुल्फ रेशमी न लिखूं, 
अब छिप के फैज़ फ़राज़ को मैं आज पढ़ा करता हूँ ||




सखि बसंत आ गया
सबके मन भा गया
धरती पर छा गया
सुषमा बिखरा गया

तेरी एक भी बूंद
कहीं और बरसी तो
मेरा बसंत
पतझड़ में बदल जाएगा...

मुनिया  समझदार    हुई 
पांच   वसंत     पार    हुई  
बोली  एक  इतवार  को -
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"पार्क  में  मैं  भी चलूंगी 
कुलांचें     मैं  भी  भरूँगी "


समय काट रही हूँ । जी रही हूँ तो कुछ तो करना है। जाने वाले के साथ जा नहीं सकते। जी रहे सांसें चल रही है तो और सह सकते हैं, सहने की शक्ति है तो लो ज़िंदगी हँस कर जिएँगे ।


ज़िंदगी.....कैलाश शर्मा 
जीवन की सांझ 
एक नयी सोच 
एक नया दृष्टिकोण , 
एक नया ठहराव 
सागर की लहरों का , 
एक प्रयास समझने का 
जीवन को जीवन की नज़र से। 




श्रद्धा के साथ 
अपने गाँधी 
का चित्र 
लगाये 
अपने कोट 
के बटन 
के बगल में ...

गाँधी 
कभी एक 
हुआ होगा 
आज कई 
हो गये हैं 
.......
अब इज़ाज़त दें यशोदा को
फिर मिलते हैं..







6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई
    सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग आभार आपका छोटी बहना

    जवाब देंहटाएं
  3. फरवरी की पहली हलचल। सुन्दर प्रस्तुति। आभारी है 'उलूक' सूत्र 'दो मिनट का मौन सायरन का तीस जनवरी के ग्यारह बजे' को शीर्षक पर स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. आज पांच लिंको का आनंद बसंतोत्सव की मनोहारी छटा से सराबोर है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और रोचक प्रस्तुति...वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं

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