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गुरुवार, 19 जनवरी 2017

552...रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है

जय मां हाटेशवरी...

आज बरफीली हवाएं...
कंप्यूटर पर चलती उंगलियों को...
बार-बार रोक रही हैं...
पर मेरी उंगलियां...
रुकने वाली कहां...
ठंड और दिनों से ज्यादा है...
रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है
आस्मान बुझता ही नहीं
और दरिया रौशन रहता है
इतना ज़री का काम नज़र आता है फ़लक़ पे तारों का
जैसे रात में प्लेन से रौशन शहर दिखाई देते हैं
पास ही दरिया आँख पे काली पट्टी बाँध के
पेड़ों की झुरमुट में
कोड़ा जमाल शाही, "आई जुमेरात आई..पीछे देखे शामत आई
दौड़ दौड़ के खेलता है
कंघी रखके दाँतों में
आवाज़ किया करती है हवा
कुछ फटी फटी...झीनी झीनी
बालिग होते लड़कों की तरह !
इतना ऊँचा ऊँचा बोलते हैं दो झरने आपस में
जैसे एक देहात के दोस्त अचानक मिलकर वादी में
गाँव भर का पूछते हों..
नज़म भी आधी आँखें खोल के सोती है
रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है।---गुलजार
अब पेश हैं...
आज के लिये मेरी पसंद...


" मैं स्त्री ,, मेरा वजूद प्रश्न चिह्न है "
क्या कभी जिन्दगी जिन्दा सी मिलेगी ..
औरत को आजादी परिंदा सी मिलेगी ..
क्या कभी फूलो सी मुस्कान पाएगी ,,
सच बताना ,,जिन्दगी कभी अपने कदमों से माप पायेगी
क्या कभी इमानदारी से औरत अपना वजूद पाएगी ||  --------  विजयलक्ष्मी



तुम आओगे इक रोज
फिर न रहेंगी ये दूरियां भी
हमारे दरमियाँ
कि मैंने तन्हाईयों से तुम्हारे लिए
ये कलाम भेजा है -------
ANDROID MOBILE TOP 10 TIPS
2.Baar-Baar Mobile Hang Ho Toh Kya Karna Chahiye
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• Agar aap apne android mobile me kuch use kar rahe hai or baar baar aapka mobile hang maar raha hai.Toh sabse pehle Home par aa jaiye.Fir Sare Application
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गांव तुम्हारा - शहर हमारा...
            बेटे ने जवाब दिया - हमारे पास 1 dog है और उनके पास 10-10 गाये है ।
            हमारे पास नहाने की छोटी सी जगह है और उनके पास पूरे तालाब हैं ।
              हमारे पास बिजली है और उनके पास सितारे...             हमारे पास जमीन का छोटा सा टुकडा है और उनके पास बडे बडे खेत......
             हम डिब्बे का पैक बासी खाना खाते हैं, और वो स्वयं उगाकर और ताजा तोडकर खाते हैं ।
संपत्ति पर आप का कब्जा है तो आप को अदालत जाने की जरूरत नहीं।
मकान तो नाना जी का था जिसे गिराया गया था। फिर आप की माता जी और मौसी के सहयोग से बनाया गया। मामाओं का भी कुछ तो सहयोग रहा होगा। उस मकान में अब कौन कौन रहते
हैं यह भी आपने नहीं बताया। जब तक पूरा विवरण न हो पूरा समाधान भी संभव नहीं है। नानाजी अब शायद नहीं हैं। यदि हैं तो मामाजी आप को उस मकान से नहीं निकाल सकते।
अब चलते-चलते आनंद लिजिये...
कार्टून :- खुदा कि‍सी की साइकि‍ल यूं न छीने.
s400/17.1.2017_Cartoon_kajal_mulayam_shivpal_smajwadi
धन्यवाद।
















4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    एक अच्छी प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढियाँ लिंक..
    उपयोगी जानकारी के साथ-साथ
    रात पहाड़ों पर कुछ और होती है..
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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