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रविवार, 27 नवंबर 2016

499...जानिए, आज के जमाने की अच्छाइयां...!!!-

जय मां हाटेशवरी....

अभी भी...भाई विराम सिंह जी  छुट्टी पर है...
इस लिये आनंद के इस सफर में....मैं कुलदीप ठाकुर एक बार फिर...
         ''इंसान ने वक़्त से पूछा...
          "मै हार क्यूं जाता हूँ ?" 
                 वक़्त ने कहा..
              धूप हो या छाँव हो,
         काली रात हो या बरसात हो,
         चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
           मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
            इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
                तू भी मेरे साथ चल,
             कभी नहीं हारेगा............."
हम भी बिना रुके चल रहे हैं....
और कल 500 अंक पूरे हो जाएंगे...
...ये रहे आज के लिंक...

यादें
दो नन्हे दीप
बिटिया की आँखों के
देते हौसला।
जाड़े की धूप
नर्म -सा एहसास-
बेटियाँ ख़ास।

 जानिए, आज के जमाने की अच्छाइयां...!!!-
बरेली की रहने वाली 14 साल की रेप पीड़िता को कोर्ट ने अबॉर्शन की अनुमती नहीं दी थी। जब लोगों को पता चला कि रेप पीड़िता के आर्थिक हालात ठीक नहीं है और वो खुद
अभी एक बच्ची ही है, ऐसे में उस नाजायज बच्चे का तिरस्कार करने की बजाय, हिंदू-मुस्लिम, अमीर-गरीब, करीब एक दर्जन लोग बच्चे को गोद लेने आगे आएं!
आज भी जब समाज में रेप पीड़िता को ही पुर्णत: दोषी माना जाता है, उसे तिरस्कार भरी नजरों से देखा जाता है, आज भी जब इंसान की ख़्वाहिश यहीं रहती है कि उसके बच्चे
में उसका अपना अंश या खून मौजूद हो, तब इतने सारे लोगों का बच्चे को गोद लेने के लिए आगे आना किस बात का सबूत है? यहीं न, कि आज इंसान दूसरे के दु:ख-दर्द को
समझ रहा है!! आज भी अच्छाई जिंदा है!

 हज़ार के नोट-
अगर टैक्सवालों को पता चल जाय,
तो मेरे लिए बताना मुश्किल हो जाय
कि इतनी संपत्ति मैंने कैसे जमा की
और इसके बारे में अब तक
किसी को बताया क्यों नहीं.

अपने का सपना
ये आंकड़ों का खेल भी बहुत निराला होता है न!
अब जीवन में उस मुकाम तक आ पहुंची हूँ जहां से आगे का रास्ता सीधा है। ..... चलना तो अकेले ही है। ... कोई आगे निकल गए कोई पीछे  छूट जाएंगे। ...
खुद को व्यस्त रखती हूँ। ...ताकि खुद मुझे मुझसे कोई शिकायत न रहे। ... मेरे मन ने कुछ लिखा है पढ़ो --

वो लड़का ~1
एक कोने में
वो उन्हें लेकर
अपनी हथेली में
सुबकता है रात भर
सुबह उठकर
फिर जीने लगता है
कुछ और बोझिल साँसें
होठों पे मुस्कराहट के साथ
वो लड़का बहुत शातिर है !!


आज बस इतना ही...
हर तरफ 500 व 1000 नोट   की ही  चर्चा है....
पर हमे प्रतीक्षा है....अंक पांच सौवें अंक की...
धन्यवाद।


5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    ''इंसान ने वक़्त से पूछा...
    "मै हार क्यूं जाता हूँ ?"
    वक़्त ने कहा..
    धूप हो या छाँव हो,
    काली रात हो या बरसात हो,
    चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
    मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
    इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
    तू भी मेरे साथ चल,
    कभी नहीं हारेगा............."
    हम भी बिना रुके चल रहे हैं....
    उम्दा पंक्तियाँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आप सभी चर्चाकारों की मेहनत को सलाम। हमें भी इन्तजार है कल छपने वाले 500 के नोट का । शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  3. किसी कवियत्री ने कहा था "चरैवती-चरैवती" यही जिंदगी है। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया लिंक है। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. सबसे पहले पाँच सौवेँँ अंक के लिए हार्दिक अभिनन्दन यशोदा जी । सभी रचनाएँ अच्छी हैं ।मेरी रचना को स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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