---

शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

392..किसी को भाए, न भाए कवि-हृदय कविता बनाए जा रहे हैं

सादर अभिवादन..
आज भाई कुलदीप के यहाँ
नेट का सर्वर डाऊन है
सो उनके पेज में मेरी पसंद......

खँडहर में कब तक रुकता 
आखिर आगे तो जाना ही है 
बिना छाया के हुआ बेहाल 
बहुत दूर ठिकाना है 
थका हारा क्लांत पथिक 
पगडंडी पर चलते चलते 
सोचने को हुआ बाध्य 
पहले भी वह जाता था 

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें। बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते।”


बीते लम्हों को जी लेना मुश्किल है
पलकों से आँसू पी लेना मुश्किल है !

मीलों लंबे रेत के जलते सहरा में
नंगे पैरों चलते रहना मुश्किल है !  


दिल केले सा ख़ुद ही घायल हो जाता है
शब्दों से सीने पर चोट बनाते हैं हम

सिक्का यदि बढ़वाना चाहे अपनी कीमत
झूठे किस्से गढ़कर खोट बनाते हैं हम


कभी गोदी में छुपने की कभी घुटनों पे चलने की
मेरी चाहत है बचपन की सभी गलियों से मिलने की

सजाने को किसी की मांग में बस प्रेम काफी है
जरूरी तो नहीं सूरज के रंगों को पिघलने की


आज का शीर्षक..
रास्ते रास आए तो ऐसे.... राहुल उपाध्याय
रास्ते रास आए तो ऐसे
जैसे पिकनिक पे जा रहे हैं
न आए तो ऐसे
जैसे मय्यत में जा रहे हैं

आज्ञा दें दिग्विजय को..
सादर


13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सस्नेहाशीष छोटी बहना
    सार्थक प्रस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये ! सभी लिंक्स बहुत सुन्दर हैं !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    सुन्दर लिंक पढ़ाने के लिए
    धन्यवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी लिंक बहुत सुंदर ... आज की ग़ज़ल की साथ ..
    आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. मनभावन लिंक संयोजन..
    आप सभी से सादर अनुरोध...
    रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति
    के बारे में विस्तृत चाहिए
    कृपया मुझे गूगल+ के माध्यम से प्रेषित करें
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. के बारे में विस्तृत चाहिए
    इस पंक्ति को इस तरह पढ़ें
    के बारे में विस्तृत विवरण चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर लिंक संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर संकलन!! सम्मलित करने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर संकलन!! सम्मलित करने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. सभी लिंक बहुत सुंदर ...
    आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।