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मंगलवार, 12 जुलाई 2016

361...धर्म क्या है?...

जय मां हाटेशवरी....

 धर्म क्या है?
आज कल ये एक चर्चा का विषय है...
जिंदगी को अनुशासित और सुचारु रुप से जीने के लिये  हमें कुछ नियमों को धारण करना होता है जिस कारण हमारा जीवन सही रहे, यही  धर्म कि सही परिभाषा  है । नैतिक
मूल्यों का आचरण ही इंसान का धर्म है ।  धर्म वह पवित्र अनुष्ठान है जिससे हमारे अंदर रही विकृतिओं का शुद्धिकरण होता है । धर्म वह तत्व है जिसके आचरण से व्यक्ति
अपने जीवन को सही रास्ते पर चला पाता है । कर्म-कौशलता, व्यवस्था-परिवर्तन, वैज्ञानिक व तकनीकी विकास, परिश्रम तथा निष्ठासह जीवन ही धर्म है । धर्म संप्रदाय
नहीं है वरन अनुशासित जीवन हेतु बनाई गई एक व्यवस्था है ।


गोपालदास "नीरज" के अनुसार

जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना,
उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है।
जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।
हो नहीं मंजिल कहीं जिस राह की
उस राह चलना चाहिए इंसान को
जिस दर्द से सारी उम्र रोते कटे
वह दर्द पाना है जरूरी प्यार को
जिस चाह का हस्ती मिटाना नाम है
उस चाह पर हस्ती मिटाना धर्म है।
आदत पड़ी हो भूल जाने की जिसे
हर दम उसी का नाम हो हर सांस पर
उसकी खबर में ही सफ़र सारा कटे
जो हर नजर से हर तरह हो बेखबर
जिस आँख का आखें चुराना काम हो
उस आँख से आखें मिलाना धर्म है।
जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयम जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।


महेन्द्र भटनागर के अनुसार...
प्यार करना
ज़िन्दगी से: जगत से
आदमी का धर्म है !
प्यार करना
मानवों से
मूक पशुओं पक्षियों जल-जन्तुओं से
वन-लताओं से
द्रुमों से
आदमी का धर्म है !
प्यार करना
कलियों और फूलों से
विविध रंगों-सजी-सँवरी
तितलियों से
आदमी का धर्म है !
प्यार करना
इन्द्रजालों से रचे
अद्भुत
विशृंखल-सूत्र
सपनों से,
मधुरतम कल्पनाओं में
गमन करती
सुकोमल-प्राण परियों से
आदमी का धर्म है
 

दुष्यंत कुमार के अनुसार...

तेज़ी से एक दर्द
मन में जागा
मैंने पी लिया,
छोटी सी एक ख़ुशी
अधरों में आई
मैंने उसको फैला दिया,
मुझको सन्तोष हुआ
और लगा –-
हर छोटे को
बड़ा करना धर्म है ।


पर अभी तो मेरा धर्म चयनित लिंक प्रस्तुत करना है...


क्या मिला है देश को इस संविधान से - दिगंबर नासवा
सब गुज़र रहे हैं मगर इम्तिहान से
है नसीब आज तो देरी न फिर करो
चैन तो खरीद लो तुम इस दुकान से
झूठ बोलते में सभी डर गए मगर
सच नहीं निकलता किसी की जुबान से
शिक्षा पर विमर्श क्यों नहीं?
s320/July%2B11.2016
शिक्षा में एक साथ दो प्रवृत्तियाँ देखने को मिल रहीं हैं. एक तरफ शानदार नम्बर लाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है दूसरी ओर पढ़ाई का स्तर गिर रहा है.
परीक्षाओं में 100 फीसद नम्बर लाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. यह भ्रम सन 2012 के पीसा टेस्ट में टूट गया. विकसित देशों की संस्था ओईसीडी हर साल प्रोग्राम
फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट (पीसा) के नाम से एक परीक्षण करती है। दो घंटे की इस परीक्षा में दुनियाभर के देशों के तकरीबन पाँच लाख बच्चे शामिल होते हैं.
सन 2012 में भारत और चीन के शंघाई प्रांत के बच्चे इस परीक्षा में पहली बार शामिल हुए. चीनी बच्चे पढ़ाई, गणित और साइंस तीनों परीक्षणों में नम्बर एक पर रहे
और भारत के बच्चे 72 वें स्थान पर रहे, जबकि कुल 73 देश ही उसमें शामिल हुए थे.

डी.एन.ए. टेस्ट.................आभा नौलखा
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"चल दूर हट...।
अपनी इस नाजायज़ बच्चे को मेरा नाम न दे,
न जाने किसका पाप है।
ज़बरदस्ती मेरे गले मत बाँध...!"

मौसम से अनुबंध
चाहे जलती धूप हो, या मौसम की मार
हँस हँस कर कहते सिरस, हिम्मत कभी न हार.
हरी भरी छतरी सजा, कोमल पुष्पित जाल  
तपकर खिलता धूप में, करता सिरस कमाल।

जब संकट में होते हैं ....
जब मौज में होते हैं संहिताएँ बड़ी हो जाती हैं
जब संकट में होते हैं कर्म बड़ा हो जाता है -
जब संकट में होते हैं एकता बड़ी हो जाती है
जब मौज में होते हैं वर्ण बड़ा हो जाता है -
न्याय अनुशीलन की व्याख्या बदल गई
कवच याचन के अर्थों में कर्ण बड़ा हो जाता है -
जब विकृतियों को शरण मिली तब तब भारत टूटा है
पलटो पीछे पन्नों को ले इतिहास खड़ा हो जाता है -

पाकिस्तान में ईधी और कश्मीर में वानी: किसका इस्लाम सच्चा ?
हम भारत में हैं तो बात पहले कश्मीर से शुरू करनी होगी। कश्मीर में कल मारे गए एक दहशतगर्द बुरहान वानी की मौत पर खून बहाने वाले कश्मीरी युवा, अलगाववादियों
और आतंक के सरगनाओं द्वारा कश्मीर की हरी धरती को लाल करने की जिद ने मजहब का जो रंग व शक्ल दिखाई, वह उस शक्ल से एकदम अलग थी, एकदम विपरीत थी जो पाकिस्तान
में आज समाजसेवी अब्दुल सत्तार ईधी के मरने के बाद दिखी। मजहब एक ही है मगर मकसद बदल जाने से उद्देश्य बदल गए और इसका इंसानियत से वास्ता भी बदल गया।

आतंकवादियों की शवयात्रा निकलनी बंद हो
s400/burhan-funeral
ये बाकायदा हिज्बल मुजाहिदीन के कमांडर के तौर पर काम कर रहा था। आतंकवादियों की भर्ती कर रहा था। जरूरी है कि हिंदुस्तान के सद्भाव
के ताने बाने को बचाने के लिए किसी भी आतंकवादी का अंतिम संस्कार सार्वजनिक तौर पर होना बंद हो।











धन्यवाद।

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    बेहतरीन व ज्वलंत समस्याओंं से
    अवगत करवाने का एक क्षुद्र प्रयास
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह...
    तात्कालिक विषयों पर
    तत्काल चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर है आज की हलचल ... आभार मेरी ग़ज़ल शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

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