---

रविवार, 15 मई 2016

303...जी हाँ , ये मन की अवस्थाएँ हैं :)

सादर अभिवादन..
आज भाई विरम सिंह को आना था
पर रात-दिन पढ़ाई की थकान उतार रहे हैं

पढ़ तो मैं भी रही हूँ...उसी में से कुछ आपके साथ साझा कर रही हूँ

कफन के नाम पर  भी नफा नुकसान दिखता है 
रंग खून का एक है पर छोटा बड़ा इंसान दिखता है 
रोटी कपड़ा मकान का प्रश्न सदियों से उबल रहा 
फुटपाथ पर इंसान, महलों में भगवान दिखता है -


हरी दूब की ओस पर, बिछा स्वर्ण कालीन 
कोमल तलवों ने छुआ, नयन हुए शालीन 

छँट जाती है कालिमा, जम जाता विश्वास
जब आती है लालिमा, पूरी करने आस

आइए, आज थोड़ा और धार्मिक हो जाएं :)
ये प्रस्तुति लीक से ज़रा हटकर है...


भारत एक अजीब देश है , कहते है यह एक सेक्युलर देश है मतलब हिन्दू लॉ या शरिया कई कोई असर देश के कानून  पर नहीं पड़ना चाहिए , सबके लिए एक सामान कानून होना चाहिए जो धर्म आधारित नहीं हो  पर ...... हिन्दू तीर्थ यात्री रोड टैक्स देते है पर मुस्लिमो को हज सब्सिडी दी जाती है क्यों?
ऐसे कई उदहारण है फिर भी कहते है भारत सेक्युलर देश है |
मगर कैसे ये कम से कम मुझे तो समझ नहीं आता|

और ये है आज की शीर्षक रचना..

दिल ...दिमाग ...और हम..... डॉ. प्रतिभा स्वाति
ठीक है यदि दिल सोच नहीं सकता तो हम उस सोच की तरफ़ चलें
जहां दिमाग सीधा हस्तक्षेप  नहीं  करता ! मनोविज्ञान ने  अपना जाल धीरे -से  फैलाया ________
चेतन - अर्धचेतन -अचेतन ______ जी हाँ , ये मन  की अवस्थाएँ हैं :)


आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं



6 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।