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बुधवार, 20 अप्रैल 2016

278...जाने क्यूँ सब कुछ भूल जाता है

सादर अभिवादन...
गरमी रायपुर में ही है
ऐसा कहा जा रहा है
रायपुर वासियों के द्वारा...
भारत ही एकमात्र देश है
जहां छः ऋतुएँ होती है...
जो परिपक्व कर देती है
मनुष्य के मस्तिष्क को....

चलें...आगे बढ़ें..गरमियां तो आते-जाते रहती है....

जीवन भर
देखे उसने
सिर्फ एक जोड़ी पैर
और सुनी
एक रौबदार आवाज-
"चलो"


हम भोजन के बिना तो दो तीन दिन रह सकतें हैें लेकिन पानी की प्यास अगर अभी लगी तो अभी चाहिए । हद से हद एकाध घन्टे का विलम्ब सहा जा सकता है , उससे ज्‍यादा नहीं क्योंकि पानी की प्‍यास होती ही ऐसी है । जल ही जीवन है यूँ ही नहीं कहा जाता है । 


टूटे हुए तारे।
चलो, फिर इक बार बुने वही ख़्वाबों 
की दुनिया, कुछ रंगीन धागे 
हो तुम्हारे, कुछ रेशमी 
अहसास रहें 
हमारे।



तुम्हारे 
आंसुओं की वजह 
में ,,मेरा वुजूद ,,
मेरी ज़िंदगी थी अगर ,,,
यह राज़ तुमने मुझे 
पहले अगर बता दिया होता 
सच ,,खुद को खत्म कर लेते 


ये है प्रथम व शीर्षक कड़ी

जिंदगी  
मैं सोचती हूँ  
जब भी तुम्हें  
तो फिर  
जाने क्यूँ सब कुछ  
भूल जाता है 
...........
आज्ञा दें...
दिग्विजय







6 टिप्‍पणियां:

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