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रविवार, 10 अप्रैल 2016

268....पावन पर्व चैत्र नवरात्र की मंगलकामनाएं...

जय मां हाटेशवरी...

एक बार फिर आप का स्वागत है....
मैं सोचता हूं कि...

उदय हुआ था प्रथम सूरज जब
उस दिन को क्यों भूल जाते हैं।
क्यों भारत में  हम नव वर्ष,
पोष  माह में मनाते हैं,
नहीं दिखती कहीं  नवीनता ह
उपवन खेत बताते हैं,
हम पूरे अभी आजाद कहां
ईस्वी केलेंडर   से काम चलाते हैं।
 
चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर...
आप सभी को शुभकामनाएं....
अब चलते हैं.....
आज के पांच लिंकों की ओर....
हाईकू एक बानगी
नारी सवल
अवला न समझो
है आधुनिका |
वह सक्षम
निर्भय व साहसी
कमतर  हहीं |


Hindi Uthane - Bhag 2
5) गुलाब की मोहकता सब फुलों से न्यारी,
--- मिल गए तो, मिल गई दुनिया सारी।
6) विणा से निकली रागिनी,
--- के पिछे बनी सुहागिनी।
7) रात में आकाश में चमचम करते है तारे,
--- है मेरे सुहाग के सितारे।


नव संवत्सर 2073
s320/Bharat%2BMata
          यह समाज सुखमय होवे
           यही शुभेच्छा हमारी
            नव प्रकाश से आलोकित
             हो जगती सारी


फिर पूछते हो कौन हूँ मैं...!!!
और मैं प्यार से कहूँ,
कि क्या तुम्हारे सिवा कोई और,
मेरी पलको पर बंद कर सकता है कोई,
तुम  खुद एहसास बन कर,
मुझमे रहते हो....
फिर पूछते हो कौन हूँ मैं....



कुण्डलियाँ
मँहगाई की मार से, खूँ खूँ जी बेहाल
आटा गीला हो गया, नोंचे सर के बाल
नोचे सर के बाल, देख फिर खाली थाली
महँगे चावल दाल, लाल पीली घरवाली



धन्यवाद।



5 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार पांच लिंकों का आनंद मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. कुलदीप जी, बहुत बढिया लिंक्स! मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर
    जय माता की
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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