---

बुधवार, 16 मार्च 2016

243...दिल की आती जाती साँसों सी धड़कन को भी सहला जाती

सुप्रभात दोस्तो 
पांच लिंको का आनंद पर आपका स्वागत है।
वाटचैप की दुनिया से
🚩🤘🏻"कदम ऐसा चलो,
           कि निशान बन जाये।
काम ऐसा करो,
          कि पहचान बन जाये।
यहाँ जिन्दगी तो, 
          सभी जी लेते हैं, 
मगर जिन्दगी जीओ तो ऐसी, 
कि सबके लिए मिसाल बन जाये 
  🤘🏻🤘🏻
और आइए अब चलते है आज की हलचल की ओर

वहाँ सड़क पर पड़ी हुई, उस बेहद गंदी तस्वीर में
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो 
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही है वो

कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
कितना मुश्किल, कितना गंदा, गरल कैसा तुमने पिया
किस हालत में, क्योंकर तुमने, यह गंदी तस्वीर खिंचाई
इतने ख़ूबसूरत तन में क्योंकर वह घटिया रूह समाई


जब तुम्हारा साथ नही होता
दिल जबरदस्ती बहाने तलाश लेता है
दुखी होने के
मानों मेरे और दुःखो में बीच में तुम खड़ी हुई हो
जैसे ही तुम चित्र से हटती हो
कुछ ऐसे दुःख टूट पड़ते है मुझपर
जिनका मैंने कभी कुछ नही बिगाड़ा
कल की ही बात है
जब तुमनें संकेतों के जरिए बताया कि
अब मैं तुम्हारे आसपास नही हूँ
ठीक उसी वक्त मेरी स्लीपर टूट गई
मैं आधे रास्ते से लंगड़ाते हुए लौटा घर


आज सुमति का स्कूल में साक्षात्कार हुआ और उसक चयन हो गया | घर आकर उसने सभी को खुश खबरी दी | सभी खुश थे कि सुमति का चयन शहर के एक बहुत बड़े विद्यालय में हो गया | उसने डेमो कक्षा दसवीं कक्षा के लिए दी थी | जून से उसे नौकरी पर चढ़ना था | वह तो यही सोचे हुए थी कि उसे दसवीं कक्षा ही पढ़ाने के लिए मिलेगी,लेकिन जब वह जून में स्कूल आई तो उसे उच्च कक्षाओं के बजाय माध्यमिक कक्षाएँ दी गई |


आँसू और पलकों का 
ये कैसा भीगा सा नाता है 
एक बिखरने को बेताब 
तो दूजा समेटने को बेसब्र 
ये बेताबी और ये बेसब्री 
ये बिखराव और ये सिमटन
दिल की आती जाती साँसों सी
धड़कन को भी सहला जाती


दादा से पोते ने पूछा ,
जब आपका था जमाना 
न बिजली थी ,न गैस ,
तो फिर कैसे पकता था खाना 
दादा ने बतलाया 
बेटे ,खाना उन दिनों ,
मिटटी के चूल्हे पर जाता था पकाया
आश्चर्य चकित होकर बोला पोता 
ये मिट्टी का चूल्हा है क्या होता 
दादा बोले ये चूल्हा ,
मिट्टी से बनी ,U शेप का ,
एक 'थ्री डाइमेंशनल ' बॉडी होती थी ,


अब दिजिए आज्ञा 
धन्यवाद 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष
    सुंदर चयन उम्दा प्रस्तुती

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।