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सोमवार, 25 जनवरी 2016

192...है बंद इसमें बाबा के हाथों का दुलार

सादर अभिवादनम्
 मैं दिग्विजय फिर से एक बार
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सबसे पहले हैं इसमें सुगंध माँ के प्यार की
वोह माँ जिसकी लाडली, हूँ मैं छाया जिसकी
पारिजात के फूलो जैसी महक उनकी ऐसी
है बंद इसमें बाबा के हाथों का दुलार
झोली भर भर के हैं आशीष इस मुट्ठी मैं
उनके, जो रहे मार्गदर्शक मेरे बारम्बार


बहुत उजाला है यहाँ,
दिए यहाँ बेबस लगते हैं,
पता ही नहीं चलता 
कि वे जल रहे हैं.


हरक्यूल पाईरो,शरलक होम्स,जेम्स बांड और हैरी पॉटर में क्या कोई समानता है?बिलकुल समानता है.ये सभी अगाथा क्रिस्टी,ऑर्थर कानन डायल,इयान फ्लेमिंग और जे.के.रोलिंग द्वारा गढ़े गए वे किरदार हैं जो अपार लोकप्रियता प्राप्त कर लोकप्रियता में इसके सृजक से भी आगे निकल गए हैं.
क्या कभी इन लेखकों ने कल्पना की होगी कि ये किरदार सर्वकालिक महान किरदार बन जाएंगे? 


हम हमारे आस पास कई क्षेत्रों में ड्रेस कोड लागू होते देखते है। जैसे कि हर स्कूल का अपना ड्रेस कोड होता है, तो सेना का अपना और पुलिस की अपनी वर्दी! हर क्षेत्र में ड्रेस कोड का अपना महत्व है। जैसे, स्कूलों-कॉलेजों में ड्रेस कोड होना अच्छी बात है क्योंकि इससे बच्चों में अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं होता, सभी बच्चों में समानता का भाव विकसित होता है। और बच्चे कौन से स्कूल के है, यह पहचान भी हो जाती है। 
हाल ही में वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश के लिए महिला श्रद्धालुओं को, विशषकर विदेशी महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर में कई सालों से यह नियम लागू है कि पुरुष श्रद्धालु धोती पहन कर ही पूजा- अर्चना कर सकते है।


ध्येय में क्या आज, अपने भी पराये हो चुके हैं,
ध्येय ही जीवन है, क्या और अब कुछ भी नहीं है ।।
ध्येय की वीरानियों में, एक स्वर देता सुनाई ।
आज फिर क्यों याद आयी ।।


वो जो राह-ए-हक़ चला है उम्र भर 
साँस ले ले कर मरा है उम्र भर 
जुर्म इतना है ख़रा सच बोलता 
कठघरे में जो खड़ा है उम्र भर 


ये है आज की अंतिम कड़ी

देखो बसंत - बहार में 
अवनि ने धरा रूप नया 
बन गई हरा समन्दर 
इठलाती , बलखाती 
ओढ़ छतरी गगन की 

इज़ाज़त की प्रत्याशा में
दिग्विजय

प्रथम रचना वर्ड प्रेस से है..
माँ के दुलार पर
एक गीत तो बनता है
सुनेिए आप भी निदा फ़ज़ली की एक नज़्म















8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सिर आँखों में बसे है आप
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. दिग्विजय जी, मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. दिग्विजयजी , मेरी रचना को संम्मिलित करने के लिए ह्रदय से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं

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