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मंगलवार, 19 जनवरी 2016

186.........जिन्दगी गुलाब सी बनाओ साथियो

सादर अभिवादन स्वीकारें
कल तो पूरी कविता ही लिख डालती
कुछ मन कह रहा था
तो कुछ मौसम खुशनुमा था

चलिए आज की रचनाओं की ओर ले चलूँ..

हर बात गवारा कर लोगे,
मन्नत भी उतारा कर लोगे
तावीज़ें भी बंधवाओगे
जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा


अच्छा महसूस होता है 
दवाई भी इसीलिये 
नहीं कोई कभी खाई है 
बैचेनी सी महसूस 
होने लगती है हमेशा 
पता चलता है जब 
कई दिनों से उनकी 
कोई खबर शहर के 
पन्ने में अखबार 
के नहीं आई है 

अनुत्तरित ही रह जाते हैं
तुम्हारे कुछ प्रश्न
अनदिए ही रह जाते हैं
मेरे कुछ उत्तर |
“”अच्छा! चलती हूँ !””’’
और ...
“फिर कब आओगे ?’’के बीच ,
छूट जाता है, कितना कुछ !
आने वाले कल के लिए

रूह के रिश्ते
होते हैं अजीब
न समझो तो हैं दूर.
जो समझो तो हैं बहुत करीब


और ये रही प्रथम व शीर्षक कड़ी
किसी ने गुलाब के बारे में खूब कहा है- 
“गीत प्रेम-प्यार के ही गाओ साथियो, 
जिन्दगी गुलाब सी बनाओ साथियो।" 
फूलों के बारे में अनेक कवियों, गीतकारो और शायरो ने 
अपने मन के विचारों को व्यक्त किया है, जैसे-  
“फूल-फूल से फूला उपवन, 
फूल गया मेरा नन्दन वन“। 

आज्ञा दें यशोदा को
और सुनें ये गीत







7 टिप्‍पणियां:

  1. फूल-फूल से फूला उपवन,
    फूल गया मेरा नन्दन वन“।
    सुन्दर लिंको के साथ सार्थक चर्चा यशोदा दीदी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर हलचल प्रस्तुति । आभार 'उलूक' की चर्चा के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर हलचल प्रस्तुति में प्रथम व शीर्षक कड़ी के रूप में मेरी ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर पहल अच्छे विचार आने चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  5. आँगन फूलों से सजाओ साथियो ।
    जिंदगी को अपने खिलाओ साथियों ॥
    आवम अपना मिल सजाओ सथियो।
    बगिया को गुलब से लहराओ सथियो॥

    जवाब देंहटाएं

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