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गुरुवार, 14 जनवरी 2016

180 मुझे तराश कर हीरा बना दिया उसने :)


सभी पाठकों को मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं...!!
आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
 पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग में आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!

मुझे तराश कर हीरा बना दिया उसने :)
निगाह डाल कर मीरा बना दिया उसने
नमक मिज़ाज़ थी होटों की चाशनी देकर
लुबाबे दहन से शीरा बना दिया उसने

माँ मुझे आज भी तेरा इंतज़ार है 
पता नही क्यों ?
तू आती है मिल्ती है और 
प्यार भी बहुत करती है 
तुझे मेरी फिक्र भी है 
कभी प्रेम  
कभी रिश्ता कोई  
बन गया हमनवां जब  
तुमने जिंदगी को  
हँस के गले  
लगाया तो ज़रूर होगा ! 
बचपन मे 
कुछ  लड़कियाँ तितली होती है
कुछ चिड़ियाँ
कुछ पारियां
और कुछ लड़कियां होती है
सिरों की बोझ
बचपन में


बहुत परेशान है मेरी कविता
कुछ सच्ची कुछ झूठी है मेरी कविता !!

कोशिश करता हूँ लिखू कठिन शब्दों में
पर बहुत ही सरल शब्दों में है मेरी कविता  !!


शब्दों की मुस्कुराहट.........संजय भास्कर   

इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए अलविदा सभी मित्रों को  मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं फिर मिलेंगे अगले गुरुवार 

-- संजय भास्कर
चलते-चलते एक गीत सुनना तो बनता ही  है
मकर संक्रान्ति जो है आज

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई संजय जी
    खूबसूरत रचनाएँ पिरोई है आपने
    आज की प्रस्तुति में
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात...
    भाई संजय जी आपने चुनकर मोती लाए हैं...
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात पुतर जी
    खूबसूरत परस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर रचनाओ के साथ । मेरी रचना को स्थान देने का तहे दिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. आपके हिन्दी ब्लॉग और चिट्ठे को चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर में शामिल किया गया है। सादर … धन्यवाद।।

    जवाब देंहटाएं

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