---

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

165...उम्मीद नए साल की


जय मां हाटेशवरी...

आज हम  जिस नव वर्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं...
  वह नए कैलेंडर के अलावा और क्या है?...
पर चलो कुछ भी हो...
एक वर्ष तो बदल रहा ही है...
  दो दिन बाद हम 2016 में प्रवेश कर जाएंगे...
हम उमीद कर सकते हैं कि आने वाला नव वर्ष जरूर कुछ नई सौगातें, उम्मीदें और सपने लेकर आएगा....
 इस वर्ष  हमने आप सब के सहियोग से हलचल का ये नया सफर प्रारंभ किया है...
आने वाले वर्ष में हम आप के लिये और भी  बेहतर करने का प्रयास करेंगे...
ईस आशा के साथ...
आप सब को नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं...
 अब चलते हैं आज के लिंकों की ओर...

उम्मीद नए साल की ..................हितेश कुमार शर्मा                                                                                            
नया साल आया और पुराना गया, ये तो अक्सर होता है
पर हर साल उम्मीद टूटना, दिल मे नस्तर चुभोता है
मिलन की हरियाली से ये साल सदाबहार बने
खुशियों के खरीददारों से, खुशहाल सारा बाजार बने
करो दुआ सब,  कि चाहत के फूल हर दिल मे खिले
नए साल पर सब नफरत भूल,  प्रेम से गले मिले



दो व्यापारी...Harsh Wardhan Jog
यह कहानी सिखाती है कि दूसरों की बात जरूर सुन लें पर झांसे में ना आये और अपना विवेक न खोएं. यह कहानी एक जातक कथा पर आधारित है. जातक कथाएँ 2500 साल पहले
गौतम बुद्ध के समय प्रचलित हुईं. ये कथाएँ गौतम बुद्ध के जीवन से सम्बंधित हैं या उन्होंने अपने प्रवचनों में सुनाई हैं. बुद्ध अपने प्रवचन में बहुत सी छोटी
छोटी कथाएँ उदहारण के रूप में बताया करते थे. कुछेक कथाएँ दूसरे अर्हन्तों की भी हैं. धम्म प्रचार के साथ साथ ये जातक कथाएँ भी बहुत से देशों - श्रीलंका, म्यांमार,
कम्बोडिया, तिब्बत, चीन से लेकर ग्रीस - तक पहुँच गईं.


अलविदा पोस्ट: ख़त आख़िरी...शचीन्द्र आर्य
 मेरे पास जो वक़्त था, जो वक़्त नहीं था, उसे इकट्ठा करके इसे एक मुकम्मल जगह बनाने की हर कोशिश यहाँ दिख जाएगी। जो नहीं दिख रही, उसे मेरी और सिर्फ मेरी कमजोरी
माना जाये। जितना देख देखकर पूछ पूछकर जानता-समझता गया, उसे अपने यहाँ शामिल करता गया। उन्हें इस जगह लाने की जद्दोजहद में डूबता, उतरता जितनी भी हैसियत रही,
उतना कर पाने की इच्छाओं से ख़ुद को भर लिया। अभी भी भरा हूँ पर अब उस तरह की आग नहीं है। उत्प्रेरक जो रहे होंगे, वह अब काव्य हेतु, काव्य प्रयोजन जैसी जटिल
संरचना वाले जटिल सवालों में तब्दील होते गए होंगे। सवालों का होना हरबार जवाबों की तरफ़ ले जाये, ऐसा होता नहीं है।
फ़िर यहाँ एक बात जो हमेशा अंदर चुभती रही, वह यह के यहाँ कभी हमारे परिवार की झलक नहीं दिखी तो यह मेरी सीमा है। ख़ुद को इतना अकेला कर लेने की हद तक चला गया
कि हर बार जब कोई नया साथी मिलता, उसे लगता इस शहर में उसी कि तरह अकेला रहता हूँ। पर हुज़ूर, यहाँ लिखी हर एक बात के लिए जितने वक़्त की किश्त मुझे घर की चारदीवारी
के बीच मिलती रही, वह मोहलत सिर्फ़ उनकी कीमत पर है। उसे कभी किसी तरह किसी भी रूप में तब्दील करके आँका नहीं जा सकता। घर न होता, तब चिंता होती। चिंता होती
तो लिखना न होता। मेरे जिम्मे सिर्फ़ सुबह का दूध और शाम के वक़्त पानी भरने की ज़िम्मेदारी रही। बीच के दिन में घर कैसे बनता, बिगड़ता, बुनता, उधड़ता रहा इसकी ख़बर
पास जाने पर मिलती। कभी बाज़ार या बाहर जाने की बात हो आती, तब अनमना होकर छटपटाता रहता। किसी तरह भाग भूग कर उसे निपटाते हुए ख़ुद को कोसता रहता। सोचता कि काश
इससे बच जाता।


बुरका [कविता]- सुशील कुमारतुम हमेशा मुझे पर्दे के मायने समझाते हो
और मैं हाँ-हाँ में सिर हिलाती हूँ
मन करता है
तुम्हारी बातों की मुखालफत करूँ
मैं जानती हूँ कि
बेहयाई मेरे बदन में नहीं है
जो ढँक लूँ किसी लिबास से
बल्कि
वो तैर रही है तुम्हारी आँखों में


कमज़ोर मनोवृत्ति की ओर आकर्षित होता किशोरवय...प्रियदर्शिनी तिवारी
        हमारी यही कोशिश होनी चाहिए की अनावश्यक दबाव और  बच्चों की निजता में दखलअन्दाजी दिए बगैर उन पर  पर भरोसा जताते हुए उनकी गतिविधियों पर नज़र रखें।  उनके
मित्र और मिलने-जुलने वालों से हम खुद भी मिलते रहें। हम भी सोशल साइट्स, इंटरनेट पर बे- वजह  चौबीसों  घंटे इतने न खोये रहें की हमें अपनी ही सुध  न रहे।  वैसे
भी मंहगे मोबाइल का शौक इन दिनों बच्चों पर क्या बड़ों के भी सर चढ़ कर बोल रहा है।  ऐसे में जब माँ-बाप ही इंटरनेट की बलि चढ़ गए होंगे तो बच्चो को क्या खाक सलाह
देंगे।   अनजाने में ही हमारी अपनी आदतें हम बच्चों को मुफ्त में सौप ही देते है।


अब अंत में...
हरिवंश राय बच्चन जी के नव वर्ष पर  कुछ भाव... 

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव।
नव उमंग,
नव तरंग,
जीवन का नव प्रसंग।
नवल चाह,
नवल राह,
जीवन का नव प्रवाह।
गीत नवल,
प्रीति नवल,
जीवन की रीति नवल,
जीवन की नीति नवल,
जीवन की जीत नवल!



धन्यवाद...

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    जहां आप रहते हैं
    वहां का तापमान
    संभवतः 5 डिग्री के आस-पास रहता होगा
    उँगलिया जम जाती होंगी
    ऐसे मौसम में ब्लॉग के लिए
    रचनाएं चुनना...
    आपके हिम्मत को दाद देती हूूँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    सस्नेहाशीष
    छोटी बहना से सहमत होते हुए
    मेरी ओर से भी आपके मेहनत को नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. अपने पेज पर मेरी पोस्ट को शामिल करने का बहुत- बहुत शुक्रिया ..आभारी हूँ ..

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।