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गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

खुद से पराये हो गए ..........145


सादर अभिवादन स्वीकारें
आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार

चलिए देखिए आज की पसंदीदा रचनाओं के सूत्र और लुत्फ उठाइए कुछ प्यार भरी रचनाओं का मेरे साथ:))


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अलकनंदा सिंह 


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तिलिस्म
अपर्णा बोस 

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प्रवीण मलिक 


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अनीता 

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उपासना सियाग 



इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए ...... अगले गुरुवार फिर मिलेंगे 

-- संजय भास्कर 


10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात संजय भाई
    अच्छी रचनाएँ
    दाद देती हूँ आआपकी पसंद को
    सादर

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  2. सचमुच आज के पांच लिंक आनन्द बाँट रहे हैं..बधाई !

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  3. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति संजय जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छा लगा नया अंदाज हलचल प्रस्तुति का ...
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर लिंकों का संयोजन किया है...
    आदरणीय संजय भाई आपने...
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  6. " प्रेम रतन निजात पायो "
    आज साबित हो गया की पैसे वाला कानून भी खरीद सकता है आश्चर्य नहीं होना चाहिए यह सब पैसे का ही खेल हे की ,गुजरात.हाशिमपुरा और ना जाने कितने दंगो के अपराधी मजे से घूम रहे है इस तरह के केस का फैसला तो अदालत के बाहर ही हो जाता है अदालत में तो सिर्फ दस्तखत होते है
    वो क्या है ना पैसे में गर्मी ही इतनी होती है कि किसी का भी ईमान पिघल जाये वरना निचली अदालत सबूतों के आधार पर जिसको 5 साल की सजा सुनाती है और आज 10 महीने बाद उपरी अदालत कहती है सलमान के खिलाफ सबूत ही नहीं है ....भैय्या जनता इतनी भी बेवक़ूफ़ नहीं है .सब जानती है . ''खैर पतंग उड़ाना कभी कभी फायदेमंद भी होता है .''बस गलती मरने वाले गरीब की थी वो फुटपाथ पर सो रहे थे उसे इतना तो ध्यान रखना चाहिए था की फुटपाथ सोने की जगह नहीं होती कभी किसी अमीर की गाड़ी भी फुटपाथ से गुजर सकती है .भैय्या गलत तो गरीब होता है और हमेशा गलत ही ठहराया जाता है खेर सब छोड़ो चलो सलमान शाहरुख़ की फिल्मे आ रही है उसपे चर्चा करो यहाँ लोगों का ईमान मर चूका है

    जवाब देंहटाएं
  7. चलो. हम देर आये दुरुस्त आये. पता नहि था कि इतना सुन्दर, रुई के फाहों सा मुलायम और कोमल संसार सज रहा है इन पाँच लिंकों ( क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर ) में. सृजन- यज्ञ मे शामिल समस्त रचनाकारों को प्रणाम!

    जवाब देंहटाएं

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