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रविवार, 19 जुलाई 2015

आज शुभारम्भ.....पांच लिंकों का आनन्द......

आज शुभारम्भ.....पांच लिंकों का आनन्द......
आज रथ यात्रा भी है...बड़ा ही शुभ दिवस
और सोने में सोहागा कि आज ईद-उल-फितर भी है
अद्भुत संगम है दोनों उत्सव का
सर्व प्रथम बुद्धिदात्रि माँ सरस्वती को सादर नमन...

प्रस्तुत है आज के पांच रचनाओं के लिंक....

मरने की बात 
कोई भी मरने वाला 
किसी भी जिंदा 
आदमी को 
मगर कभी भी 
बताता नहीं है ।

आईना देखा जब आज तो
सिहर उठी सफेद बाल देख
लगता है समय आ गया
यौवन के जाने का

धूम मची है झूम उठी है,
धरती गगन सितारे भी .
धर्म की रथ सज-धज कर निकली,
अपने नन्द दुलारे की .

बारहों मास 
देती बेशर्त प्यार  
दुलारी घास ! 

और आज के इस अंक की अंतिम रचना

तुझे पढ़ा हमेशा मैंने अपनी बंद आँखों से 
ये दास्तान है नज़र पे रोशनी के वार की 

चढ़े जो इस कदर कि फिर कभी उतर नहीं सके 
तलाश ज़िन्दगी में है मुझे उसी खुमार की


उपरोक्त पांच रचनाएं मेरी पसंद की है
जो आपको भी पसंद आएगी

सादर

यशोदा



















10 टिप्‍पणियां:

  1. 'पाँच लिंकों का आनन्द' की प्रथम प्रस्तुति पर शुभकामनाऐं । आभार प्रथम सूत्र 'उलूक' की बात 'बात मरने की' को स्थान देने के लिये । ब्लाग लिखने वाले ब्लाग पढ़ने वाले भी बने और ब्लाग पढ़ने वाले ब्लाग लिखने शुरु करें आना जाना बना रहे :) इसी आशा और विश्वास के साथ
    जय ब्लौगिंग ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदाजी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर संकलन किया है |बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  4. इस शानदार शुरुआत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें यशोदा जी ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय नीरज जी,
      पांच लिंकों का आनंद 1 वर्ष पूरा करने वाला है। हम सभी चर्चाकार चाहते हैं कि नव वर्ष में कदम रखने से पूर्व आप का नाम भी सातवें चर्चाकार के रूप में हो। उमीद है निवेदन स्विकार करेंगे।


      सादर कुलदीप ठाकुर।

      हटाएं

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