tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post9140579423889047769..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1730... "हाँ तुम रहो"yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-37261532451639835742020-04-12T23:32:28.946+05:302020-04-12T23:32:28.946+05:30हाँ तुम रहो
किसी डाल पर बसंत के जैसे
खिलो इसी ऋतु ...हाँ तुम रहो<br />किसी डाल पर बसंत के जैसे<br />खिलो इसी ऋतु में<br />इस युग का ऋण चुकाने के लिए<br />करो सारे जतन<br />सबसे प्रेम करने के लिए<br />बनो परमात्मा<br />संत कबीर<br /> बहुत सुंदर अंक आदरणीय दीदी | खेद है कल प्रतिक्रिया नहीं दे पायी | जब तक सब रचनाएँ पढ़ ना लूं लिख नहीं पाती | आपका संकलन हमेशा विशेष रहता है | इस बार भी बेमिसाल | सादर प्रणाम और आभार | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-82966140710309251072020-04-11T19:44:24.934+05:302020-04-11T19:44:24.934+05:30प्रकृति समझा रही है
वक़्त है प्रायश्चित कर लो
प्रवृ...प्रकृति समझा रही है<br />वक़्त है प्रायश्चित कर लो<br />प्रवृति बदल लो<br />निवृति के पहले<br />शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंको से सजी...।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-80219360793281785332020-04-11T18:09:36.919+05:302020-04-11T18:09:36.919+05:30हाँ तुम रहो
किसी डाल पर बसंत के जैसे
खिलो इसी ऋतु ...हाँ तुम रहो<br />किसी डाल पर बसंत के जैसे<br />खिलो इसी ऋतु में<br />इस युग का ऋण चुकाने के लिए...<br />इस पंक्ति ने वस्तुतः मन को छू लिया है। यथार्थ में हमे अपने सामाजिक कर्ज का बोध ही नहीं होता और कर्म की खिल्ली तो हम अक्सर उड़ाते ही रहते हैं । <br />- आँखें खोलती इस प्रस्तुति के लिए साधुवाद ।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-90575913428086219062020-04-11T14:48:43.605+05:302020-04-11T14:48:43.605+05:30बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुतिबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुतिकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-35259656306245442752020-04-11T10:42:05.182+05:302020-04-11T10:42:05.182+05:30वाह!बेहतरीन प्रस्तुति ।वाह!बेहतरीन प्रस्तुति ।शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-22777387461316798302020-04-11T09:53:48.586+05:302020-04-11T09:53:48.586+05:30आदरणीय शुभ प्रभात
हमेशा की तरह शानदार
सादर नमन...आदरणीय शुभ प्रभात<br />हमेशा की तरह शानदार<br />सादर नमन...yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-66899783646746172802020-04-11T06:55:37.598+05:302020-04-11T06:55:37.598+05:30शब्दों में कहा करते थे
सब प्राणी एक से हैं
लेकिन
ज...शब्दों में कहा करते थे<br />सब प्राणी एक से हैं<br />लेकिन<br />जो जिस पद पर थे<br />उस हिसाब से मद में थे<br />प्रकृति समझा रही है<br />वक़्त है प्रायश्चित कर लो<br />प्रवृति बदल लो<br />निवृति के पहले<br /> मनन योग्य पंक्तियाँ लिखी ह़ै दी।<br />सभी रचनाएँ सदा की तरह उत्कृष्ट है।<br /> सराहनीय संकलन। <br />सुंदर प्रस्तुति।<br />प्रणाम दी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.com