tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post8958098150201555210..comments2024-03-29T13:09:38.730+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1576... आखेटyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-37671431530130616772019-11-09T15:13:57.335+05:302019-11-09T15:13:57.335+05:30सराहनीय भूमिका और पठनीय रचनाओं से सुसज्जित आज की प...सराहनीय भूमिका और पठनीय रचनाओं से सुसज्जित आज की प्रस्तुति हमेशा की तरह विशेष है दी।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-18068584436323588082019-11-09T09:04:40.699+05:302019-11-09T09:04:40.699+05:30यह पढ़ा जाय-
आखेटक के लिए भी महंगा साबित होता है। त...यह पढ़ा जाय-<br />आखेटक के लिए भी महंगा साबित होता है। त्रेतायुग में दशरथ ने " आखेट" की मंशा से अनजाने में ही सही ...व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-19775289441108775942019-11-09T07:06:34.839+05:302019-11-09T07:06:34.839+05:30शब्द बाण कभी-कभी कुशल आखेटक के लिए भी मांगा साबित ...शब्द बाण कभी-कभी कुशल आखेटक के लिए भी मांगा साबित होता है। त्रेतायुग में दशरथ ने " आखेट" की मंशा अनजाने में ही सही निर्दोष युवक श्रवण कुमार आखेट किया। परिणाम यह रहा कि " शब्द बाण" के माध्यम से वृद्ध दशरथ का भी " आखेट" हुआ। अतः बुद्धिमान व्यक्ति शब्दबाण के दोतरफा प्रभाव पर उसका प्रयोग करते समय अवश्य चिंतन करें, कलयुग में इसका प्रभाव कहीं अधिक घातक है , क्योंकि इसमें रोमांच भी है। <br /><br /> व्याकुल पथिक का आपसभी को प्रणाम।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-43207782230131172132019-11-09T05:35:54.014+05:302019-11-09T05:35:54.014+05:30लाजवाब प्रस्तुति..
सदा की तरह..
सादर नमन..लाजवाब प्रस्तुति..<br />सदा की तरह..<br />सादर नमन..Digvijay Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/10911284389886524103noreply@blogger.com