tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post8198425789997581998..comments2024-03-29T10:58:44.841+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1723...स्वयं के पक्ष में ...yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-6998258268567463142020-05-01T23:07:03.308+05:302020-05-01T23:07:03.308+05:30सुशांत सुप्रिय की कविताओं की चर्चा यहाँ करने का आभ...सुशांत सुप्रिय की कविताओं की चर्चा यहाँ करने का आभार<br /><br />मेरा दुर्भाग्य कि मैं अपने के ही ब्लॉग के बारे में आज देख पाया।प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-52786633866900938022020-05-01T23:06:08.718+05:302020-05-01T23:06:08.718+05:30सुशांत सुप्रिय की कविताओं की चर्चा यहाँ करने का आ...सुशांत सुप्रिय की कविताओं की चर्चा यहाँ करने का आभार <br /><br />मेरा दुर्भाग्य कि मैं उओ के ही ब्लॉग के बारे में आज देख पाया।प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-34624875474531228822020-04-05T13:10:36.514+05:302020-04-05T13:10:36.514+05:30उम्दा और उत्कृष्ट रचनाओं से सजी शानदार हलचल प्रस्त...उम्दा और उत्कृष्ट रचनाओं से सजी शानदार हलचल प्रस्तुति।सही कहा सखी रेणु जी ने कि प्रतिक्रिया न देने का अफसोस है। वाकई कमाल का लेखन है<br />सुन्दर रचनाओं का रसास्वादन कराने हेतु आदरणीय विभा जी का हार्दिक आभार।<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-68473477014239866592020-04-04T23:59:37.385+05:302020-04-04T23:59:37.385+05:30निशब्द हूँ आदरनीय दीदी ! बुनकर अंक तो लाजवाब था ह...निशब्द हूँ आदरनीय दीदी ! बुनकर अंक तो लाजवाब था ही पर ये अंक अनूठा ही है | प्रतिक्रिया विस्तार से ना देने का अफ़सोस होता है | पर ये अंक सराहना से परे | बेबाक भूमिका सोचने पर मजबूर कर गयी | सभी रचनाएँ बहुत मार्मिक पर ये रचना मानों अंक का चयनित नगीना है और आपके उत्तम पाठक होने का प्रतीक --<br />कामगार औरतों के<br />स्तनों में<br />पर्याप्त दूध नहीं उतरता<br />मुरझाए फूल-से<br />मिट्टी में लोटते रहते हैं<br />उनके नंगे बच्चे<br />उनके पूनम का चाँद<br />झुलसी रोटी-सा होता है<br />उनकी दिशाओं में<br />भरा होता है<br />एक मूक हाहाकार<br />उनके सभी भगवान<br />पत्थर हो गए होते हैं<br />ख़ामोश दीये-सा जलता है<br />उनका प्रवासी तन-मन<br /><br />फ़्लाइ-ओवरों से लेकर<br />गगनचुम्बी इमारतों तक के<br />बनने में लगा होता है<br />उनकी मेहनत का<br />हरा अंकुर<br />उपले-सा दमकती हैं वे<br />स्वयं विस्थापित हो कर<br /><br />हालाँकि टी.वी. चैनलों पर<br />सीधा प्रसारण होता है<br />केवल ' विश्व-सुंदरियों ' की<br />' कैट-वाक ' का<br />पर उससे भी<br />कहीं ज़्यादा सुंदर होती है<br />कामगार औरतों की<br />थकी चाल<br /> | आग्रह है सभी ये रचनाएँ जरुर पढ़ें | सादर शुभकामनाएं और प्रणाम | <br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-79256022965088187832020-04-04T16:47:20.831+05:302020-04-04T16:47:20.831+05:30अब अभ्यस्त हो चली हूँ या यूँ कहिये
शुतुरमुर्ग से स...अब अभ्यस्त हो चली हूँ या यूँ कहिये<br />शुतुरमुर्ग से सीखने की कोशिश में हूँ<br />खतरे को भांपकर सिर को रेत में छिपा लेता है<br />'शुतुरमुर्गी चरित्र' मेरी सोशल डिस्टेंसी<br />भूमिका की पंक्तियों ने मन झकझोर दिया दी।<br />सभी रचनाएँ उत्कृष्ट हैं।<br />बहुत सुंदर प्रस्तुति हमेशा की तरह।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-66210620383484552272020-04-04T14:42:55.147+05:302020-04-04T14:42:55.147+05:30सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर प्रस्तुति उर्मिला सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02492149402964498738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-48929390501204268022020-04-04T13:54:48.755+05:302020-04-04T13:54:48.755+05:30सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌NITU THAKURhttps://www.blogger.com/profile/03875135533246998827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-25875568564644420712020-04-04T10:00:28.517+05:302020-04-04T10:00:28.517+05:30सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग शुक्रिया छोटी बहना
...सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग शुक्रिया छोटी बहना<br />अपना सोचा कहाँ होने देता है वक्त<br />–13 जून की वापसी टिकट लेकर आये थे.. आकर 17 मई का हुआ<br />–अब तो अनिश्चित काल<br />–पता नहीं लौट पाते हैं कि नहींविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-21021692564400746782020-04-04T09:32:29.858+05:302020-04-04T09:32:29.858+05:30सादर नमन
सदा की तरह बेहतरीन
क्या आप अभी भी देश से ...सादर नमन<br />सदा की तरह बेहतरीन<br />क्या आप अभी भी देश से बाहर हैं<br />सुरक्षित रहिएगा<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com