tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post7827043295547644451..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1570.....पर्व, प्रगतिशीलता और हमyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-47040141450514616522019-11-03T17:43:13.618+05:302019-11-03T17:43:13.618+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर
सभी रचनाकरो को हार्दि...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर <br />सभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार आपका<br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-55567033877469622962019-11-03T14:09:04.483+05:302019-11-03T14:09:04.483+05:30बेहतरीन प्रस्तुति ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं बेहतरीन प्रस्तुति ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-27156677574919786912019-11-03T11:26:46.459+05:302019-11-03T11:26:46.459+05:30सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-85645887183574496122019-11-03T10:58:40.805+05:302019-11-03T10:58:40.805+05:30सुप्रभात एवं प्रणाम,
एक रचना का अंश आपकी नज़र करना ...सुप्रभात एवं प्रणाम,<br />एक रचना का अंश आपकी नज़र करना चाहता हूं....<br /><br />हर वो दौर बदला जाएगा<br />जो हद्द से गुजारा जाएगा<br />जो लीक पिट रहे सदियों से<br />अब गुजरा जमाना पुकारा जाएगा<br />अलग न कोई बस्ती होगी मेरी<br />रह कर ही दलदल में <br />कवँल खिलाया जाएगा,<br />होगा मंजूर अगर <br />मुझे नकारा पुकारा जाएगा<br />हमें साथ चलना है <br />हमसफ़र बनकर<br />हों विचार मिले आपसे मगर<br />ये जरूरी तो नहीं<br />मेरी कहानी कुछ और है<br />आपको ही उस कहानी का <br />किरदार बनाया जाएगा<br />मुझे मंजूर कुछ और है<br />कुछ दिन साथ रहेंगे दुश्मनों की तरह<br />फिर बगैर साथ पल भी रायगाँ जाएगा<br />होके रहेगा कुछ तो देखा जाएगा।<br />हर वो दौर बदला जाएगा<br />जो हद्द से गुजारा जाएगा .....<br /><br />अमृता प्रीतम जी का वो मकां हम भी ढूंढ रहे है मगर मिल ही ना रहा। हर जगह हताशा, निराशा हाथ लगती है।<br />जिस भी गली गया मैं पाया कि किस मोटे सिरिये की जंजीर से बंधी पड़ी है स्त्री इस दौर की। कई गांव तो ऐसे हैं जहां जूती की नोक के नीचे की रेत समझी जाती है। कितनी ही स्त्रियां मजबूरी की सांस लेती लेती मर गयी, मरती जा रही है और मरती रहेगी। इतने घिनोने समाज में कोई खुश कैसे रहे, कोई खुशियां कैसे मना सकता है। मुझ से नहीं होता सहन अब। जॉन साहब का शेर है कि<br /> " क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में <br /> जो भी ख़ुश हैं हम उससे जलते हैं"<br /><br />जब मैं इन चूड़ियों को देखता हूँ ना तो लगता है<br />ये सृंगार में बहुत बाद में जुड़ी होगी<br />पहले पहल तो ये हथकड़ियां रही होगी<br />बाद में इसे स्त्री द्वारा ही स्वीकार कर लिया गया होगा<br />कि यही हमारा नसीब है<br />और बन गयी हथकड़ियां हाथों की चूड़ियां<br />कितनी ही शक्तियों की कब्र बनकर।<br />यही हाल पैरों का है<br />घर से बाहर निकलने पर रोक लगाने के लिए<br />डाल दी होगी पैरों में बेड़ियां<br />और स्त्री इसे ही नसीब समझ बैठी होगी<br />और बन गयी बेड़ियां पैरों की पायल.... कितनी ही मंजिलों की चाहत को चाहत ही रखने का यंत्र।<br />पुरुष ने कोई कसर नहीं छोड़ी स्त्री के सुंदर रूप को कुरूप बनाने में ताकि वो अपना हक्क उस पर कायम रख सके... उसने इसके कान छिदवाए, नाक छिदवाए और फिर भी इसका सौंदर्य कम नहीं हुआ तो चुनरी बनाई जो किसी तिरपाल से कम नहीं... <br />आज समझदार स्त्री भी बोझ रहित नहीं होना चाहती जैसे पुरुष रहता है सदियों से। गुलामी की आदत जो खून में रचा दी गयी है इसके।<br />अब बस....<br />हर वो दौर बदला जाएगा....<br /><br />Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-36781199839023066252019-11-03T10:39:04.690+05:302019-11-03T10:39:04.690+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तूति। मेरी रचना को पांच लिंकों का ...बहुत बढ़िया प्रस्तूति। मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कुलदीप भाई।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-71226999022674538182019-11-03T10:38:04.075+05:302019-11-03T10:38:04.075+05:30बहुत अच्छी linksबहुत अच्छी linksDr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-58622816479791131792019-11-03T10:36:52.867+05:302019-11-03T10:36:52.867+05:30अमृता जी की कविता डालने के लिए धन्यवाद। उस समृद्ध...अमृता जी की कविता डालने के लिए धन्यवाद। उस समृद्ध कलम के लिए हमारा सम्मान है। मेरी रचना को चुनने के लिए धन्यवाद। सादर - नीलनीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-39495251170060875642019-11-03T06:41:53.949+05:302019-11-03T06:41:53.949+05:30बेहतरीन प्रस्तुतिबेहतरीन प्रस्तुतिAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-17825751418570368292019-11-03T06:30:39.563+05:302019-11-03T06:30:39.563+05:30सराहनीय प्रस्तुतीकरणसराहनीय प्रस्तुतीकरणविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-43292071908836634182019-11-03T04:29:13.466+05:302019-11-03T04:29:13.466+05:30यह घर और यह गली पढ़ा जाएयह घर और यह गली पढ़ा जाएव्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-24731074119418186672019-11-03T04:28:33.917+05:302019-11-03T04:28:33.917+05:30या घर या गली और यह संसार ना मेरा है ना तेरा है ,चि...या घर या गली और यह संसार ना मेरा है ना तेरा है ,चिड़िया रैन बसेरा है..<br /> आपने अमृता प्रीतम की चंद पँक्तियों को हम पाठकों के समक्ष रखा, चिंतन शक्ति को गति दी , इसके लिए आभार। आप की भूमिका प्रस्तुति में सबसे अलग होती है। उसे उसे न पाकर अवश्य निराशा हुई है। लेकिन ,जैसा कि आपने पहले ही लिखा है कि अतिव्यस्तता के कारण ऐसा नहीं कर सका । बहरहाल, आप एवं सभी रचनाकारों को प्रणाम एवं धन्यवाद।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com