tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post625772897976475421..comments2024-03-29T17:18:51.001+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1064...चिकने खंबे पर ही चढ़ता है, रोज उसी तरह फिसलता है, हर बार जमीन पर आ जाता हैyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-28992517046572435722018-06-18T08:13:49.391+05:302018-06-18T08:13:49.391+05:30श्वेता जी आज का संकलन बहुत ख़ूब
सभी रचनायें श्रेष...श्वेता जी आज का संकलन बहुत ख़ूब <br />सभी रचनायें श्रेष्ठ ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ <br />आज का विषय “सोशल मीडिया “ सही बात है श्वेता जी सोशल मीडिया जो समाज का आइना है ,आधुनिक समाज को क्या परोस था है ,वास्तव में “विरोधाभास “ ही पनप रहा है <br />मात्र जानकारी जुटाना फिर उस पर बहस करना ही सोशल मीडिया का काम तो नहीं ? जानकारी के साथ सभ्य और शालीनता का परिचय भी आव्य्श्क है , विषयों पर चर्चा तो अवश्य होती है परन्तु उसका हल नहीं निकलता ,चर्चा सिर्फ़ चर्चा और विरोधाभास आज का सोशल मीडिया समाज को यही आइना दिखा रहा है यहाँ परिवर्तन की आव्य्श्क्ता है ।Ritu asooja rishikesh https://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-29562740770003760932018-06-16T18:25:35.393+05:302018-06-16T18:25:35.393+05:30सच्ची और सटीक भूमिका
आपकी बात से सहमत हूँ
सुंदर ...सच्ची और सटीक भूमिका <br />आपकी बात से सहमत हूँ <br />सुंदर रचनाओं का सुंदर संयोजन<br />सभी रचनाकारों को बधाई <br />सादरJyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-35862537222653854912018-06-15T23:49:57.509+05:302018-06-15T23:49:57.509+05:30आप सभी महानुभावो का शुक्रिया पढ़ने के लिए , और हलचल...आप सभी महानुभावो का शुक्रिया पढ़ने के लिए , और हलचल के आज के अंक में स्थान देने के लिए तहे दिल से आभारी हूँ, 🙏आप सभी मेरे लिए प्रेरणास्रोत हैं Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11247151658418890098noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-52108382993528730132018-06-15T23:28:10.093+05:302018-06-15T23:28:10.093+05:30"मेरा ऐसा मानना है इसका कारण कहीं न कहीं युवा..."मेरा ऐसा मानना है इसका कारण कहीं न कहीं युवा वर्ग <br />का साहित्यिक अभिरुचियों से दूर होने से पनपा <br />वैचारिकी खोखलापन ही है।"<br /> बिल्कुल सही मानना है आपका.... आज के युवा वर्ग में स्मार्टनेस को लेकर जो प्रतिस्पर्धा उपजी है उसमें वे सभ्यता और शालीनता से कोसों दूर होते जा रहे है। छिछोरी शेरोशायरी को ही वे साहित्य समझ बैठे हैं। गालीगलौज के बिना तो बात ही नहीं करते। यह भी सच है कि सारे युवा तो ऐसे नहीं हैं। कुछ इतने सभ्य और शालीन किशोर भी मैंने पढ़ाए हैं जिनको देखकर मन कहता कि भगवान बच्चे दे तो ऐसे दे। <br />पर ऐसे किशोरों का भी कॉलेज में पहुँचने पर रंग ढ़ंग बदलने लगता है। ऐसे भी कई अनुभव हुए हैं। गंभीर भूमिका के साथ अच्छी रचनाओं का यह संकलन काबिले तारीफ है प्रिय श्वेता। बधाई स्वीकारें। सभी चयनित रचनाकारों को भी बधाई।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-87041486079960699142018-06-15T20:11:19.437+05:302018-06-15T20:11:19.437+05:30आज अपनी सारगर्भित भूमिका में सूत्रधार श्वेता अत्यं...आज अपनी सारगर्भित भूमिका में सूत्रधार श्वेता अत्यंत संजीदे अंदाज़ में नजर आ रही हैं। वाकई स्वस्थ शास्त्रार्थ की सजीव परंपरा वाला यह सहिष्णु समाज आज आंतरिक उद्वेग और अशांत अवसाद का अखेट होता चला जा रहा है। संवेदना सुख रही हैं। सुनने की परंपरा वाचलता के शोर में खो गई है। विचारों की उदारता छद्म बुद्धिजीवियों के कुटिल वाक् व्यूह के दम तोड़ती नजर आ रही है। स्व हावी हो गया है।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विकृति की उच्छृंखलता और कुटिलता की मानसिक व्याधि से रुग्ण है।<br />ऐसे में आवश्यक है शिक्षा के संस्कार और आचरण की सभ्यता को पुष्ट करना। बधाई श्वेता जी! एक अत्यंत अपरिहार्य प्रसंग पर आपकी बेबाक विवेचना का!!! विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-21674610051887779822018-06-15T20:04:18.877+05:302018-06-15T20:04:18.877+05:30सहमत आपकी बात से ... विचार शून्यता बढ़ रही है ...
...सहमत आपकी बात से ... विचार शून्यता बढ़ रही है ... <br />चिंतनशीलता घट रही ही ...<br />सुन्दर संकलन है आज की रचनाओं का ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-78608781124667380462018-06-15T19:55:12.299+05:302018-06-15T19:55:12.299+05:30युवाओं मे बढती अभद्रता अशिष्टता और उच्छंकलता का एक...युवाओं मे बढती अभद्रता अशिष्टता और उच्छंकलता का एक कारण साहित्य से दुरी है तो दुसरी और साहित्य के नाम पर छप रहे स्तर हीन लेख कथाओं उपन्यास और सबसे बडा़ कारण आज की बेहूदा फिल्में जिनमे क्या क्या परोसा जा रहा है शर्म सार करते कथानक चरित्र मां बाप की खिल्ली उड़ाना रीति रीवाजों का माखोल नैतिकता का दीवाला सदाचार गया चुना लेने और यही सब युवा वर्ग अपना रहा है साहिल अभिरूचि का अब समय ही कितनों के पास है खैर श्वेता हर बार की तरह एक सामायिक और जबरदस्त मुद्दे के साथ आपकी लेखनी का सुंदर समन्वय, बहुत शानदार प्रस्तुति, और रचनाऐं बेमिसाल आपकी खोज को दाद देती हूं सभी रचनाकारो को बधाई। मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-44225929969834523882018-06-15T12:43:23.429+05:302018-06-15T12:43:23.429+05:30 बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-30201746788505756262018-06-15T10:20:21.743+05:302018-06-15T10:20:21.743+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण
उम्दा रचनाएँ
मेरी रचना को ...बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण<br />उम्दा रचनाएँ<br />मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभारLokesh Nashinehttps://www.blogger.com/profile/10305100051852831580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-47618333621826427482018-06-15T09:22:50.598+05:302018-06-15T09:22:50.598+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति। भाषा में अभद्रता और अशिष्टत...बहुत सुन्दर प्रस्तुति। भाषा में अभद्रता और अशिष्टता इस जमाने का वो हथियार बन रहा है जिसे बाँटा जा रहा है हमारे समाज के ठेकेदारों द्वारा युवाओं की सेना को और तर्कविहीन बेलगाम होती हुई बहसों में इसी से युद्ध जीते जा रहे हैं। 'उलूक' के पन्ने को जगह देने के लिये आभार साथ में श्वेता जी।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-66770222484776164642018-06-15T08:03:23.840+05:302018-06-15T08:03:23.840+05:30उषा स्वस्ति,
विचारपूर्ण शब्दों के साथ सुंंदर रचनाओ...उषा स्वस्ति,<br />विचारपूर्ण शब्दों के साथ सुंंदर रचनाओं का संकलन।<br />बहुत बढिया श्वेता जी👌Pammi singh'tripti'https://www.blogger.com/profile/13403306011065831642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-65076685163912712612018-06-15T07:09:11.850+05:302018-06-15T07:09:11.850+05:30आज की इस बेहतरीन विविधतापूर्ण प्रस्तुति में मेरी र...आज की इस बेहतरीन विविधतापूर्ण प्रस्तुति में मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए विशेष आभार।<br /><br />हलचल की प्रस्तुति सुबह सुबह पढना अब तो दिनचर्या में शामिल है और उसपर खुद को भी पढना रोमांचित कर जाता है। शुक्रिया सम्पादकगण।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-76231857998437882242018-06-15T06:33:17.473+05:302018-06-15T06:33:17.473+05:30संग्रहनीय संकलनसंग्रहनीय संकलनविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-85982146920107284602018-06-15T05:39:42.750+05:302018-06-15T05:39:42.750+05:30बेहतरीन रचनाएँ
उत्तम ..अति उत्तम अग्रलेख
शुभ प्रभा...बेहतरीन रचनाएँ<br />उत्तम ..अति उत्तम अग्रलेख<br />शुभ प्रभात सखी<br />सादर<br /><br /><br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com