tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post4755510243533568254..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 3010......... आज का विषय कोरोना ..... विशेषांक . कहने का मन नहीं .... yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-5999087960223862172021-04-30T13:54:53.573+05:302021-04-30T13:54:53.573+05:30बहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति ...बहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-25520079013369025082021-04-26T17:28:05.063+05:302021-04-26T17:28:05.063+05:30संगीता जी प्रणाम, अरे वाह.. मेरी ब्लॉगपोस्ट इस मंच...संगीता जी प्रणाम, अरे वाह.. मेरी ब्लॉगपोस्ट इस मंच पर साझाा करने के लिए धन्यवाद, सभी लिंंकएक से बढ़कर एक है ...वाह Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-20462963666136529642021-04-26T15:55:22.531+05:302021-04-26T15:55:22.531+05:30आदरणीया श्वेता मैम की अभिव्यक्ति परसों भी पढ़ी थी,...आदरणीया श्वेता मैम की अभिव्यक्ति परसों भी पढ़ी थी,<br />तब निःशब्द और निर्विचार एक साथ हो गयी थी। आज आदरणीया रेणु मैम का विश्लेषण पढ़ कर पुनः उनकी रचना पढ़ी तो मन बहुत भावुक हो गया, शब्द तो अभी भी नहीं सूझते।<br />,Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-5713113495270852012021-04-26T15:35:36.827+05:302021-04-26T15:35:36.827+05:30बस इस विषय की चर्चा करने की भी कभी जरुरत न पड़े यही...बस इस विषय की चर्चा करने की भी कभी जरुरत न पड़े यही प्रार्थना है. shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-23171909507260146022021-04-26T15:27:35.148+05:302021-04-26T15:27:35.148+05:30हे ईश्वर..
जो संक्रमित हे,
उन्हें स्वास्थ लाभ दो.....हे ईश्वर..<br />जो संक्रमित हे,<br />उन्हें स्वास्थ लाभ दो..!<br />जो वेंटीलेटर पर है,<br />उन्हें श्वास दो..!<br />परिवारजनों को विश्वास दो..!<br />भयभीत है मानव<br />उनको अपने अस्तित्व<br />का विश्वास दो..!yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-51517425807956328802021-04-26T14:06:20.088+05:302021-04-26T14:06:20.088+05:30आदरणीया मैम, आज की यह प्रस्तुति मेरी आँखों में भी...आदरणीया मैम, आज की यह प्रस्तुति मेरी आँखों में भी आँसू ले आई । सच कहूँ तो यह प्रस्तुति नहीं, आज के इस दुखद और भयवक परिस्थिति का एक चलचित्र है जो शायद इस महामारी के चले जाने के बाद भी पूरी तरह नहीं जा पाएगा। इन दिनों यह विचार भी रह-रह कर आ ही जाता है कि जो लोग इस महामारी का ग्रास बने हैं, क्या उनके लिए यह जीवन कभी पहले जैसा हो पाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस महामारी का नाश कर, मानव-जीवन को फिर से खुशहाल कर दें । कोई चमत्कार करें ताकि हर वह व्यक्ति और परिवार जो इस काल का परिणाम भोग रहा है, उसके दुखों का नाश कर दें । हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम । Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-60414294715016020052021-04-26T13:10:51.882+05:302021-04-26T13:10:51.882+05:30प्रिय श्वेता ,
जो कुछ मन को विशेष लगेगा उसे स्वय...प्रिय श्वेता , <br />जो कुछ मन को विशेष लगेगा उसे स्वयं ही विशेषता का दर्जा मिल जाएगा । मन के भावों को सटीक शब्द दिए हैं । समझ पा रहे हैं आकुल मन की व्याकुल भाषा । <br />सस्नेह संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-73702121629298903552021-04-26T13:08:18.842+05:302021-04-26T13:08:18.842+05:30प्रिय रेणु ,
तुमने सच ही कहा कि श्वेता की कविता मा...प्रिय रेणु ,<br />तुमने सच ही कहा कि श्वेता की कविता मात्र कविता नहीं है .... स्वयं का आंकलन करती , अपनी विवशता से उपजी एक खीज ,कुछ न कर पाने की हताशा .... न जाने क्या क्या .... कुछ ऐसा जो हम सबके मन को उथल पुथल कर दे । कुछ विशेष है इसीलिए विशेष के अंतर्गत शामिल किया है ....<br />मैने तो बस लिंक्स लगाए लेकिन सटीक विश्लेषण तुमने किया है । तुम्हारे जैसे पाठक और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले बहुत कम होते हैं । मैंने तो तुम्हारे रूप में पहली बार ही ऐसा पाठक देखा है ।इसी लिए शायद तुम्हारी प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतज़ार रहता है । मुझे तुम्हारे द्वारा बताई कमी भी अज़ीज़ है । किसी भी चर्चाकार का हौसला तुम जैसे पढ़ने वाले ही बढ़ाते हैं । दिल से शुक्रिया । सस्नेह संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-9061078883717779732021-04-26T12:58:54.560+05:302021-04-26T12:58:54.560+05:30प्रिय जिज्ञासा ,
कभी कभी मानवीय प्रयास असमर्थ हो ज...प्रिय जिज्ञासा ,<br />कभी कभी मानवीय प्रयास असमर्थ हो जाते हैं । सच ही मन तो बहुत अनमना था लेकिन किसी को मैने ही कहा था कि हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए .... तो जो मेरा कार्य था चर्चा लगाने का , मैने किया , । तुम सब के साथ शीघ्र ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर पाऊँ शायद । शुक्रिया । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-50123678580999081362021-04-26T12:55:07.626+05:302021-04-26T12:55:07.626+05:30शुक्रिया शुभा जी । शुक्रिया शुभा जी । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-1194187978753999952021-04-26T12:54:43.671+05:302021-04-26T12:54:43.671+05:30मीना जी ,
शुक्रिया । सब एक दूसरे के लिए सवास्थ्य क...मीना जी ,<br />शुक्रिया । सब एक दूसरे के लिए सवास्थ्य की कामना करें ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-5480863005449348212021-04-26T12:53:54.122+05:302021-04-26T12:53:54.122+05:30वाकई यशोदा ,ये सामूहिक शोक का समय है ।वाकई यशोदा ,ये सामूहिक शोक का समय है ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-76649218697118261332021-04-26T12:53:23.215+05:302021-04-26T12:53:23.215+05:30शुक्रिया ओंकार जी ।शुक्रिया ओंकार जी ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-41038219766471475802021-04-26T12:09:58.992+05:302021-04-26T12:09:58.992+05:30प्रिय संगीता दी,
प्रणाम।
आपकी व्याकुल मनोदशा का अन...प्रिय संगीता दी,<br />प्रणाम।<br />आपकी व्याकुल मनोदशा का अनुमान आपके द्वारा संजोए सूत्रों से लगाया जा सकता है।<br />मेरे मन के झंझावात से उत्पन्न विचारों एवं शब्दों को आपने इतना महत्व दिया बहुत विशेष है मेरे लिए।<br />दी यह रचना नहीं है न ही यह शाब्दिक अभिव्यक्ति नकारात्मक या सकारात्मक है, यह महामारी से त्रस्त, तड़पते, परेशान लोगों के लिए कुछ न कर पाने की विवशता है।<br />प्रयास है सकारात्मक सक्रियता से कुछ रचनात्मक कर सकूँ।<br />सभी रचनाओं पर दृष्टि ही डाल पायी हूँ अभी<br />रचनाएँ पढ़ी नहीं। यह प्रस्तुति संग्रहित कर ली है दी।<br /><br />सप्रेम<br />शुक्रिया।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-59146948134456540052021-04-26T11:50:52.234+05:302021-04-26T11:50:52.234+05:30जी दी,
आपकी विस्तृत और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया मे...जी दी,<br />आपकी विस्तृत और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया में पूरी प्रस्तुति का अर्क है। <br />आप की प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।<br />मेरी रचना का मर्म समझने के लिए बहुत आभार दी।<br />सस्नेह<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-70549954348382163402021-04-26T11:40:03.873+05:302021-04-26T11:40:03.873+05:30प्रिय दीदी, प्रिय श्वेता की झझकोरने वाली कविता जब...प्रिय दीदी, प्रिय श्वेता की झझकोरने वाली कविता जब पहली बार पढ़ी तो मेरी आँखें नम हो आईं! आखिर ये मात्र कविता तो नहीं, ये कवि मन की छटपटाहट है जिसमें आम आदमी की विकलता जाहिर होती है जो देख सब रहा है पर अवश है, कुछ कर नहीं पा रहा ! उसे पता है मानवता का ये संकट भी मानव जनित है जिसका समस्त भार कवि मन अपने उपर ले सशक्त प्रकृति के समक्ष नत हो सर्वस्व समर्पण करने को आतुर है__---<br />ये पंक्तियाँ किसका हृदय छलनी ना कर देंगी-----------------<br /><br />मेरा प्रलाप सुनकर<br />प्रकृति ठठाकर हँस पड़ेगी<br />और मैं...<br />अपनी अकर्मण्यता को <br />आवरणहीन देखकर<br />लज्जा से <br /> फूट-फूटकर रो पडूँगी<br />तब प्रकृति मुझे <br />मुट्ठीभर रेत बनाकर<br />मरूस्थल में बिखेर देगी।<br /> अपने नश्वर अंत की स्वीकार्यता में कदाचित् कवि मन का अपार सन्तोष छुपा है! श्वेता के लिए क्या कहूँ उसकी भावनाओं की किस आकुलता से इस रचना का जन्म हुआ होगा! <br />मीना जी की भावपूर्ण रचना की ये गी पंक्तियाँ भी स्तब्ध करती हैं___<br />शहर और गाँव उदास व गमगीन हैं..,<br /><br />इन्सान भी हताशा और निराशा में डूबा है ।<br /><br />'कोरोना' को फिर से भूख लगी है ।।<br /><br />सचमुच, कोरोना की भूख भयावहता के साथ विकराल रूप में पाँव पसार रही है! <br /><br />सुदक्ष कवियत्री शैल जी बहुत ही शानदार लेखन करती हैं पर ना जाने क्यों सुधि पाठकों और लिंक मंचों की उपेक्षा का स शिकार रही हैं! उनकी मार्मिक रचना कोरोना काल का स्याह सत्य कहती है-<br /><br /> दारुण सी व्यथा जगत की <br />करुण क्रन्दन सुन कर्ण फटे <br />ऐसी दहशत फैला रखी कोरोना <br />कि अपने भी सम्पर्क से अलग हटे ,<br />अलकनंदा जी की निर्भीक पत्रकारिता, उन छद्म पत्रकारों की पोल खोलने से कभी पीछे नहीं हटी जो इस संकट काल में भी आपना लाभ देखने से बाज नहीं आते! <br />कोरोना काल की अनगिन चिताअों से तपते बसंत पर ओंकार जी की रचना मन को मथती हुई अनुत्तरित कर देती है! <br />अंत में, अरुण जी की भावाभिव्यक्ति को सम्मान देते हुए कहना चाहूँगी, कोरोना के बहाने से भ्रष्टाचार भी जारी है और स्वार्थी तत्व भी सक्रिय हैं पर इस काल में मानवता संवेदनाओं के बूते मजबूती से खड़ी है! <br />चिकित्सक, वर्दीधारी जनसेवक से लेकर कूड़ा निपटान वाले आम कर्मचारी से लेकर समाज को विभिन्न सेवाएं मुहैया करवाने वाले तत्व मजबूती से कर्तव्य निर्वहन में जुटे हैं, हमे उन्हें नमन करना चाहिए! मौत का भय उन्हें भी सताता होगा पर वे डटे हैं मानवीय संवेदनाओं के साथ! अंत में आपके अंतस को छुते समीक्षात्मक विश्लेषण को नमन करते हुए आज के शामिल समस्त रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ! सभी स्वस्थ रहें, सकुशल रहें यही कामना है साथ में आग्रह कि बीमारी के भय को अपने ऊपर हावी ना होने दें 🙏🙏<br /><br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-89579356837223552262021-04-26T11:04:45.177+05:302021-04-26T11:04:45.177+05:30आदरणीय दीदी,प्रणाम !
सार्थक प्रस्तुतियों का रोच...आदरणीय दीदी,प्रणाम !<br /> सार्थक प्रस्तुतियों का रोचक संकलन, <br />आदरणीय दीदी,ऐसा लगता है, कि इस संकलन को आपने बहुत ही भारी मन से सजाया होगा, इस समय हर इंसान की मनःस्थिति बहुत ही गमगीन और भारी है,परंतु हमें अपने ब्लॉग के माध्यम से ही कुछ न कुछ नया कलात्मक करते रहना चाहिए जिससे हमारी स्वस्थ ऊर्जा संरक्षित रहे, आपके सुंदर श्रमसाध्य प्रयास को हार्दिक नमन एवम वंदन । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-64415371792401753392021-04-26T09:54:58.339+05:302021-04-26T09:54:58.339+05:30सुंदर प्रस्तुति ।सुंदर प्रस्तुति ।शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-32427568031050299252021-04-26T08:41:27.101+05:302021-04-26T08:41:27.101+05:30सादर आभार संगीता जी आज के संकलन में शामिल करने के ...सादर आभार संगीता जी आज के संकलन में शामिल करने के लिए । सभी स्वस्थ्य रहें..सुरक्षित रहें.. यही कामना है ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-81260745947181568142021-04-26T08:03:01.874+05:302021-04-26T08:03:01.874+05:30यह व्यक्तिगत नहीं
सामूहिक शोक का समय है
अशेष संवे...यह व्यक्तिगत नहीं <br />सामूहिक शोक का समय है<br />अशेष संवेदनाओं के आत्महत्या का समय है यह। yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-85524793327191054032021-04-26T07:52:01.832+05:302021-04-26T07:52:01.832+05:30सुंदर संकलन.मेरी कविता शामिल की.आभारसुंदर संकलन.मेरी कविता शामिल की.आभारOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.com