tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post3504058278702964776..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 759....... ''संविधान की अनिवार्य शिक्षा'' yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-45704891762357184952017-08-15T15:58:14.265+05:302017-08-15T15:58:14.265+05:30वाह ! बहुत सुंदर लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीय ध...वाह ! बहुत सुंदर लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीय ध्रुव सिंह जी ।Rajesh Kumar Raihttps://www.blogger.com/profile/11470374028071461971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-89137931756855745732017-08-15T14:46:20.555+05:302017-08-15T14:46:20.555+05:30बहुत बढ़िया संकलन ध्रुवजी । समय की कमी कभी आड़े आ जा...बहुत बढ़िया संकलन ध्रुवजी । समय की कमी कभी आड़े आ जाती है किंतु एक दिन देर से ही सही....<br />इतनी सुंदर पठनीय रचनाएँ पढ़नी हैं तो हलचल पर तो आना ही होगा । ध्रुवजी, इतने उम्दा ढ़ंग से प्रस्तुतिकरण के लिए साधुवाद ।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-62455408715588763482017-08-15T06:56:37.045+05:302017-08-15T06:56:37.045+05:30संविधान की शिक्षा जनमानस तक ....बिल्कुल सही...सब क...संविधान की शिक्षा जनमानस तक ....बिल्कुल सही...सब को ज्ञात हो कि क्या है हमारा संविधान....<br />बहुत ही विचारणीय विषय ......<br />उम्दा लिंक संकलन...Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-82513429632949884782017-08-14T23:11:26.377+05:302017-08-14T23:11:26.377+05:30प्रिय एकलव्य -- सस्नेह बधाई आपको आज के संयोजन ...प्रिय एकलव्य -- सस्नेह बधाई आपको आज के संयोजन के सुघड़ संचालन के लिए | सभी रचनाये पढ़ी | बहुत अच्छी लगी पर ना जाने क्यों सुशील जी की रचना तक पहुँचने में असमर्थ रही-- मैंने कई बार कोशिश की | साहित्य की मीरा और साहित्य के बसंत महाप्राण निराला का स्नेहासिक्त रिश्ता साहित्य जगत में सर्वविदित है | उनके स्नेह से जुड़े भावभीने प्रसंग से उनकी विचारों की ऊँचाई और सादगी सहज ही समझ आ जाती है | दो बीघा जमीन से जुड़े प्रसंग से पता चलता है कि उस समय के कलाकार और निर्देशक अपने काम के प्रति कितने समर्पित थे | तभी उस समुय तकनीक के शिशुकाल में भी फिल्मों ने कलात्मकता के शिखर छुए और कालजयी फिल्मों का निर्माण हुआ | संविधान कि शिक्षा पर चिंतन सचमुच समय की मांग है | अपने अधिकार और कर्तव्यों के अलावा इसका सूक्ष्म ज्ञान अनिवार्य होना चाहिए | शिक्षा तंत्र में बैठे प्रबुद्धजनों को इसकी पहल के बारे में सोचना होगा | और जो कवि निराला का प्रतिबिम्ब है -- दुष्यंत कुमार की लेखनी का गुरुर है ओर जिसकी आवाज वक्त की आवाज है --उसका भविष्य उज्जवल है | एकलव्य आपको रचनात्मकता के शिखर छूने हैं और आप जरुर कर पाएंगे क्योंकि समय के स्वरों को आप जैसे किसी संवेदनशील कवि की लेखनी ही अभिव्यक्त कर सकती है | शुभकामना व आभार सहित ---------- रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-12243702660024932762017-08-14T21:45:02.130+05:302017-08-14T21:45:02.130+05:30आनन्द आ गया। निखरी हुई प्रस्तुति। आभार भी ध्रुव जी...आनन्द आ गया। निखरी हुई प्रस्तुति। आभार भी ध्रुव जी अपनी बहुत खूबसूरत कृति के साथ 'उलूक' की बकबक को भी शामिल करने के लिये। साधुवाद इस मेहनत के लिये।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-17056007344758080582017-08-14T19:52:08.738+05:302017-08-14T19:52:08.738+05:30दयनीय के अर्थ में यहाँ शोचनीय को लाया था किन्तु ...दयनीय के अर्थ में यहाँ शोचनीय को लाया था किन्तु आपके सुझाव के बाद विचारणीय के अर्थ में सोचनीय ही सटीक है। आदरणीय पाठक हमारा भाव समझ लेंगे। बहुत -बहुत आभार आदरणीय बहन जी भाषा के प्रामाणिक स्तर को दुरुस्त करने के लिए। सादर। Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-66248380608839907462017-08-14T17:04:11.579+05:302017-08-14T17:04:11.579+05:30भाई ध्रुव जी की "पांच लिंकों का आनंद" मे...भाई ध्रुव जी की "पांच लिंकों का आनंद" में सम्मलित सूत्र, एक से बढ़ एक हैं।इस पोस्ट में सम्मलित सभी रचनाओं के रचनाकार को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई। चर्चा की भूमिका में लिखे गए वाक्य सारगर्भित हैं, परन्तु हम भारतीय बिना एक्सपाइरी डेट देखे, खाने की वास्तु खा सकते है तो आप समझ सकते है कि मैं क्या कहना चाहता हूँ ? अंत में दिया गया ३५ सेकेण्ड का विडिओ अनोखा है। RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-19583937796910056452017-08-14T13:47:08.058+05:302017-08-14T13:47:08.058+05:30गहन विचारणीय तथ्य आज के अंक की, संविधान के नियम का...गहन विचारणीय तथ्य आज के अंक की, संविधान के नियम कानूनों की जानकारी आम जनमानस को होनी ही चाहिए।ताकि हम अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे और साथ ही साथ देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी ठीक प्रकार से कर सके। <br />बहुत सुंदर लिंकों का संयोजन सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-16092267916607703682017-08-14T12:31:53.916+05:302017-08-14T12:31:53.916+05:30बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-17960358210449342492017-08-14T12:02:53.699+05:302017-08-14T12:02:53.699+05:30आह्वान करती प्रस्तुति..
बेहद अच्छी...
सादर।आह्वान करती प्रस्तुति..<br />बेहद अच्छी...<br />सादर।Pammi singh'tripti'https://www.blogger.com/profile/13403306011065831642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-15450764104692903072017-08-14T10:57:20.679+05:302017-08-14T10:57:20.679+05:30ध्रुव एकलव्या जी बहुत खूब आप बहुत उच्च कोटि के लेख...ध्रुव एकलव्या जी बहुत खूब आप बहुत उच्च कोटि के लेखक हैं ,और एक सच्चा लेखक बहुत बड़ा समाज सुधारक भी होता है वो जो लिखता है ,उसकी आत्मा की आवाज होती है Ritu asooja rishikesh https://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-56323397459637811282017-08-14T10:51:28.510+05:302017-08-14T10:51:28.510+05:30ध्रुव सिंह एकलव्या जी आज का संकलन सराहनीय ।
आपका ...ध्रुव सिंह एकलव्या जी आज का संकलन सराहनीय ।<br /><br />आपका प्रश्न हम सब के लिये संविधान की शिक्षा अनिवार्य<br />होनी चाहिये जी बिल्कुल सही बात बिना सविंधान के ज्ञान के प्रजातंत्र अधूरा है ।Ritu asooja rishikesh https://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-43534982853255766352017-08-14T10:34:45.585+05:302017-08-14T10:34:45.585+05:30शुभप्रभात....
सुंदर संकलन....
आभार आप का....
शुभप्रभात....<br />सुंदर संकलन....<br />आभार आप का....<br />kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-32570018891506710302017-08-14T09:06:03.579+05:302017-08-14T09:06:03.579+05:30गहरे विचार मंथन के साथ सुंदर हलचल ...गहरे विचार मंथन के साथ सुंदर हलचल ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-50607053189158763932017-08-14T08:49:43.937+05:302017-08-14T08:49:43.937+05:30तार्किक और शोचनीय बिषय। ..कृपया सुधार करें
तार्किक...तार्किक और शोचनीय बिषय। ..कृपया सुधार करें<br />तार्किक और सोचनीय बिषय। yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-49404582123408051982017-08-14T08:37:58.130+05:302017-08-14T08:37:58.130+05:30शुभ प्रभात !
वाह ध्रुव जी आज़ादी के पर्व पर संविध...शुभ प्रभात !<br /><br /><br />वाह ध्रुव जी आज़ादी के पर्व पर संविधान की शिक्षा पर बहस .....<br /><br /> तार्किक और शोचनीय बिषय। <br /><br />माध्यमिक कक्षाओं में केवल औपचारिकता भर पूरी की गयी है। <br /><br />आज ज़रूरत है हमारे संविधान की समाजोपयोगी शिक्षा को <br /><br />लोकप्रिय और सुग्राही बनाने की ताकि नई और पुरानी पीढ़ी <br /><br />राष्ट्र -निर्माण से लेकर चरित्र-निर्माण तक <br /><br />अपने अधिकारों ,कर्तव्यों और दायित्वों को आत्मसात कर सके। <br /><br />सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं ! <br />सुन्दर सूत्रों का संजोया गया पठनीय अंक। <br />आभार सादर। Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-75608625192471326212017-08-14T08:33:30.297+05:302017-08-14T08:33:30.297+05:30मैं निराला नहीं
प्रतिबिम्ब ज़रूर हूँ
दुष्यन्त की ...मैं निराला नहीं <br />प्रतिबिम्ब ज़रूर हूँ <br />दुष्यन्त की लेखनी का <br />गुरूर ज़रूर हूँ <br />क़तरा बचेगा रक़्त का <br />गला फाड़ चिल्लाऊँगा <br />सावधान !<br />वक़्त की आवाज़ <br />ज़रूर हूँ <br />मैं निराला नहीं <br />प्रतिबिम्ब ज़रूर हूँ <br /><br />एकलव्य जी की ये पंक्तियाँ उत्कृष्ठ कोटि की हैं। आप वस्तुतः काव्य के एकलव्य प्रतिबिम्ब हैं। दिनानदिन आपकी आभा बढे। मेरी शुभकामनाएँ।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-18363796360180276892017-08-14T06:59:48.364+05:302017-08-14T06:59:48.364+05:30देशभक्ति से ओत प्रोत उम्दा प्रस्तुति। मेरी रचना &q...देशभक्ति से ओत प्रोत उम्दा प्रस्तुति। मेरी रचना "15 अगस्त" को स्थान देने हेतु धन्यवाद। देश और मातृभूमि का वंदन और नमन। शुभ प्रभात।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-23401258610202592452017-08-14T06:53:54.416+05:302017-08-14T06:53:54.416+05:30सबसे पहले साधुवाद
फिर बाद में शुभ प्रभात
उपरोक्त अ...सबसे पहले साधुवाद<br />फिर बाद में शुभ प्रभात<br />उपरोक्त अग्रलेख पर..यदि शिक्षा नीति निर्माण समीति<br />की नज़र पड़ जाए..और आश्चर्य इस बात पर भी है<br />पॉलिटिकल साईंस जैसै विषय पर भी इसका उल्लेख<br />नहीं के बराबर है...<br />बहस हेतु उत्तम विषय<br />सादर<br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com