tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post1973467259857275145..comments2024-03-29T13:09:38.730+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 434....भरमाती-भुलाती सभी भान डुबा लेती..yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-48063908569687413522019-02-14T15:58:06.734+05:302019-02-14T15:58:06.734+05:30सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई
रचनाएं! भररात जगाती नीद न...सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई <br />रचनाएं! भररात जगाती नीद न आती "<br />रात गुनगुनाकर कह जाती वही कहानी अपनी !<br />चार दिसंबर दो हजार सत्तरह लहुरावीर की बातें |<br />लोगों में भरा कितना कलियुगी असंख्य जीवन इतिहास <br />इठलाते - बलखाते व्यंग बराबर कसते करते उपहास |<br />इसे विडम्बना ही मानोप पर सच्चाई रातें सपने में करतीं बात <br />वह दिन भी देखा- सूना होगा ,छूटी वस्तु लोग लौटाते ...<br />पर देशों की परम्परा को राष्ट्र में हम नहीं ला पाते <br />और दक्षिण भारत की सभ्यता को भी हम नहीं अपनाते |<br />भूलें अपनी या प्रवंचना औरों को भी बतलाऊं <br />उस गाथा को कैसे गाऊं अंधियारी वह रात सुनाऊं |<br />नहीं -नहीं खिलखिली धुप में घुप हंसता हुआ मित्र एक आता <br />अपनी वह पाथेय एकसौ छत्तीस रचना का साथ लेकर जाता |<br />सुनकर क्या कर सकते हो मेरी यह अमृत बीती गाथा <br />पर अभी समय है सोई नहीं वह मेरे परीश्रम की मौन व्यथा |<br />साइट पर मेरे विद्यमान है लेकर एक सुनहरी आभा <br />पर उसने व्यसन में अपने साथियों के साथ छाया गांठा | <br />कुतूहल थी जिन आँखों में उस दिन पानी भर मेरे आया <br />स्वच्छंद सुमन जो खिले थे कल तक प्रतिभा छाया गुनगुना उठी |<br />कहती ! ठहरो कुछ सोचो -विचार करो ,अपने भी घातक होते लहरी <br />हो चकित निकल आई सहसा ,कोमल पंखुड़ियां आँखों में गहरी |<br />'मंगल' सौन्दर्य जिसे कहते हैं ,अनंत अभिलाषा के सपने तुझमें <br />सुन्दरता मेरी आँखों को रह- रहकर समझा जाती है, और बताती !<br />हलकी सुशान की भाषा में मित्रों की दुर्बलता को भी गाती जाती है |<br />तुम्हें स्मित रेखा खींच कर एक संधिपत्र अभी से लिखना ही होगा <br />सदा उस अंचल मन पर उन्हीं मित्रों से भी कुछ - कुछ सीखना होगा |<br />नित्य विरुद्ध संघर्ष सदा विश्वास संकल्प अश्रु जल से ! <br />आसमान में पक्षी उड़ती समंदर में तुझे उतरना होगा |<br />'मंगल' कहदो अपनी यादों को मुझे जलाना छोड़ दें <br />आंसूं बहाना व्यर्थ है रक्त बहाना छोड़ दें |<br />बहुत पहेलियाँ सुलझाया होगा अपने इस जीवन पल में !<br />सद्भाव - प्रेम पोथी पढाओ अपने उन विछुरे साथियों में || <br />sukhmangalhttps://www.blogger.com/profile/03076745453862353480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-13438929911441852642016-09-23T13:01:35.245+05:302016-09-23T13:01:35.245+05:30बढ़िया प्रस्तुति , हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!बढ़िया प्रस्तुति , हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!Rekha Joshihttps://www.blogger.com/profile/14042681638342254038noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-7047911988858113612016-09-23T11:47:48.221+05:302016-09-23T11:47:48.221+05:30बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-89412523118562621382016-09-23T10:30:05.695+05:302016-09-23T10:30:05.695+05:30बढ़िया प्रस्तुति ।बढ़िया प्रस्तुति ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-80655645520240469292016-09-23T07:28:39.794+05:302016-09-23T07:28:39.794+05:30बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्र संकलन आज का ! मेरी प्र...बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्र संकलन आज का ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार यशोदा जी ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com