tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post1558709221617376498..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1042....थम जाती रह-रहकर हवा खरके न पात-पाती ...yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-26165783426882840622018-05-24T23:44:44.162+05:302018-05-24T23:44:44.162+05:30अच्छी भूमिका
सुंदर लिंक्स दिए हुए है।
अच्छी भूमिका<br />सुंदर लिंक्स दिए हुए है।<br />Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-57964280137381801082018-05-24T19:31:18.212+05:302018-05-24T19:31:18.212+05:30बहुत बढ़िया सामयिक,मौसमी प्रस्तुति आदरणीय रवींद्रजी...बहुत बढ़िया सामयिक,मौसमी प्रस्तुति आदरणीय रवींद्रजी की। सच में जानलेवा है जेठ की तपिश....सुबह दस से शाम चार बजे तक घर से बाहर ना निकलें, गर्मी और लू से कैसे बचें, आदि चेतावनियाँ आ रही हैं किंतु कितने लोग ऐसे हैं जो इन पर अमल कर पाते हैं ? कहीं एक कहानी पढ़ी थी - सास ने तीन बहुओं से पूछा,'कौनसा मौसम सबसे अच्छा है ?' पहली बहु ने कहा - जाड़े का।<br />दूजी ने कहा - बारिश का ।<br />तीसरी गरीब परिवार की बेटी थी। उसने जवाब दिया -<br />'हुए' का मौसम सबसे अच्छा है यानि जब हमारे पास सुख-सुविधाएँ हों, वही मौसम सबसे अच्छा है।<br />गरीबों के लिए तो हर मौसम एक नए संघर्ष का मौसम है।<br />आज की सुंदर रचनाओं के मध्य मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार !Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-45970087171323284412018-05-24T19:09:20.661+05:302018-05-24T19:09:20.661+05:30आदरणीय रवीन्द्र जी
शुभसंध्या,
तपते महीने क...आदरणीय रवीन्द्र जी <br />शुभसंध्या,<br /> तपते महीने को काव्यात्मक पंक्तियोंं में समेट कर सुंदर भूमिका लिखी आपने।<br />रचनाएँ सभी बहुत ही अच्छी है। एक सुंदर अंक के लिए आभार आपका।<br />सादर।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-54000083060533584382018-05-24T16:15:04.192+05:302018-05-24T16:15:04.192+05:30आदरणीय रवीन्द्र जी -- आज के अंक की छोटी सी भूमिका...आदरणीय रवीन्द्र जी -- आज के अंक की छोटी सी भूमिका में तपते ,आग उगलते जेठ मास में इसकी तपन के साथ खूबियाँ भी साथ साथ याद आ गई | यूँ तो आजकल तरबूज , खरबूजे , आम इत्यादि फल पूरा साल मिलते हैं पर इन रसीले मधुर फलों के सेवन का आनंद जो इस भीषण गर्मी के मौसम में आता है वो किसी और मौसम में नहीं आता | सड़कों और तपते रास्तों के किनारे इन फलों का ढेर लगाये ग्राहकों की बाट जोहती आशावान आँखें किसी और मौसम में कहाँ नजर आती हैं ? हम लोग इस गर्मी से जहाँ घरों में दुबक जाते हैं ये लोग तपती झुलसाती लू में भी रास्तों पर डेरा जमाये रहते हैं | नदियों के किनारे इस फलों के उपजाने वाले किसान ज्यादातर छोटे किसान होते हैं जिनकी साल भर आजीविका इन फलों पर निर्भर होती है | वे महीनों पहले इन फलों को उपजाने में उत्साह से जुट जाते हैं |इन रसीले फलों के पीछे उन की अनथक मेहनत को ना भुलाया जाये , जिसकी बदौलत हमे बहुत ही कम दामों पर इतने रसीले फल उपलब्ध होते हैं | आज के सभी अंक देखे बहुत ही शानदार हैं सभी | सभी पर लिखा केवल रश्मि शर्मा जी के सुंदर चित्र श्रृंखला से सजे लेख पर लिखना संभव ना हो पाया , हालाँकि मैंने बहुत कोशिश की | उन्हें इसी मंच से मेरी हार्दिक बधाई सुंदर यात्रा संस्मरण के लिए | मेरे लेख के साथ मेरे नए ब्लॉग को भी पञ्च लिंकों में पहली बार स्थान मिला जिससे बहुत ख़ुशी हुई | आपका सादर आभार और हार्दिक बधाई सुंदर लिंक संयोजन के लिए |सभी सहयोगी रचनकारों को सस्नेह शुभकामनाये | सादर ------ रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-69136093953199132552018-05-24T15:33:34.660+05:302018-05-24T15:33:34.660+05:30बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-86886217700074676902018-05-24T11:24:02.617+05:302018-05-24T11:24:02.617+05:30बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-20556875018294380572018-05-24T09:18:44.297+05:302018-05-24T09:18:44.297+05:30सुंदर प्रस्तूतिकरण। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन...सुंदर प्रस्तूतिकरण। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद रविन्द्र जी।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-66741227930418790322018-05-24T07:59:17.057+05:302018-05-24T07:59:17.057+05:30सुन्दर प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी जगह देने के लिये...सुन्दर प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी जगह देने के लिये।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-61855825973126121142018-05-24T06:05:04.061+05:302018-05-24T06:05:04.061+05:30शुभ प्रभात व सस्नेहाशीष संग आभार
सराहनीय प्रस्तुती...शुभ प्रभात व सस्नेहाशीष संग आभार<br />सराहनीय प्रस्तुतीकरणविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-47370793043826611972018-05-24T06:04:28.067+05:302018-05-24T06:04:28.067+05:30शुभ प्रभात भाई जी
बढ़िया चार लाइना
रचनाएं भी सटीक
...शुभ प्रभात भाई जी<br />बढ़िया चार लाइना<br />रचनाएं भी सटीक<br />साधुवाद<br />सादर<br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com