tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post1555024990363169911..comments2024-03-28T11:15:23.497+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 1701...आख़िर यह किसकी साज़िश थी?yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-39070727538933577242020-03-13T23:51:09.867+05:302020-03-13T23:51:09.867+05:30छोटी पर सटीक भूमिका ।
शानदार लिंक चयन ।
सभी रचनाका...छोटी पर सटीक भूमिका ।<br />शानदार लिंक चयन ।<br />सभी रचनाकारों को बधाई।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-84758519146301529412020-03-13T21:12:20.973+05:302020-03-13T21:12:20.973+05:30सुन्दर लिंक्स सुन्दर लिंक्स Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-89130604874492432292020-03-13T20:09:22.529+05:302020-03-13T20:09:22.529+05:30यदि जनता पर्दाफाश करने पर उतर आयी तो पक्ष विपक्ष स...यदि जनता पर्दाफाश करने पर उतर आयी तो पक्ष विपक्ष सब एक रंग में दिखेंगे।<br />आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏 <br />सुंदर प्रस्तुति संग सभी चयनित रचनाएँ भी बहुत उम्दा। सभी को खूब बधाई।Anchal Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/13153099337060859598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-62982633074102271982020-03-13T19:50:39.276+05:302020-03-13T19:50:39.276+05:30चुनिन्दा सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचन...चुनिन्दा सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को आपने आज के इस संकलन में सम्मिलित किया आपकी हृदय से बहुत बहुत आभारी हूँ रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-27863219550497239132020-03-13T11:48:50.344+05:302020-03-13T11:48:50.344+05:30बेहतरीन प्रस्तुति 👌बेहतरीन प्रस्तुति 👌Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-14524714770604634172020-03-13T09:57:12.580+05:302020-03-13T09:57:12.580+05:30व्वाहहहहह
बेहतरीन...
सादर...व्वाहहहहह<br />बेहतरीन...<br />सादर...yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-55732024122119102372020-03-13T04:23:49.005+05:302020-03-13T04:23:49.005+05:30विचारणीय भूमिका , पर यदि जनता को पर्दाफ़ाश करने आता...विचारणीय भूमिका , पर यदि जनता को पर्दाफ़ाश करने आता ही तो अब तक एक और क्रांति जन्म ले चुकी होती, न की यह दिल्ली दंगा.. ?<br /><br />यदि जनता को पर्दाफ़ाश करने आता , तो राजनेताओं का काला धन बाहर आ चुका होता..।<br /><br /> यदि जनता को पर्दाफ़ाश करने आता तो वह समझ चुकी होती कि सत्ता के लिए नेता पाला बदलते रहते हैं और वह ( जनता ) है कि दलगत आस्था में लिपटी पड़ी है। आपसी भाईचारे को कलंकित कर स्वयं अपने लिए भय का वातावरण उत्पन्न कर रही है। दंगा रचने वालों को अपना मसीहा समझ उसके पीछे दौड़ रही है।<br /><br /> इसी संदर्भ में मेरे सृजन " भाईचारा " को पटल पर स्थान दिए जाने के लिए आपका अत्यंत आभारी हूँ रवींद्र भैया। एक बात तो है रचना चयन करते समय आपकी निष्पक्षता सराहनीय है। जिसकारण मेरे जैसे साधारण लेखक को भी सम्मान मिल जाता है।<br /><br /> सभी रचनाकारों को प्रणाम। <br />व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com