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शनिवार, 20 सितंबर 2025

4517 ..ख्वाहिशें बहुत रही, उसमें कुछ पूरा हुआ। जो रह गया अधूरा

 सादर अभिवादन

5 टिप्‍पणियां:

  1. यशोदा जी को मेरे आलेख को इस संस्करण में जगह देने के लिए दिल से धन्यवाद

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  2. सचमुच, अच्छा लगा यहां आकर, ब्लाग की रचनाएं बेहद सराहनीय हैं। साधुवाद

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  3. खूबसूरत अंक! मेरी लघुकथा को इस सुन्दर पटल पर स्थान देने के लिए आभार आ. यशोदा जी!

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