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तोड़ती पत्थर ,,,
चढ़ रही थी धूप;
गर्मियों के दिन
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झुलसाती हुई लू,
रुई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगी छा गईं,
प्राय: हुई दुपहरी में
वह तोड़ती पत्थर।
-सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
चलिए आगे बढ़ें ....
महिला ठठा कर हँस पड़ी,
“हमारा शरीर तो है ही किराए की कोख
बहू जी ! किरायेदारों से कैसा मोह !
यह कोई पहला बच्चा थोड़े ही है !
पहले भी तीन बच्चे पैदा करके सौंप चुके हैं उनके माँ बाप को !
हाँ किराया अच्छा देना पड़ता है !
सो तो तुम्हें बता ही दिया होगा मिश्रा मैडम ने !” वह नज़रों में प्रियांशी की औकात को तोल रही थी और प्रियांशी हतप्रभ सी उसे देख रही थी !
पाँव कान्हा के छू कर विहल हो गएमाता यमुना के तेवर प्रबल हो गएसौ की मर्यादा टूटी सुदर्शन चलापल वो शिशुपाल के काल-पल हो गएउपजीवी !
मिली तीन-तीन गुलामियां तुमको प्रतिफल मे,और कितना भला, भले मानुष ! तलवे चाटोगे।नाचना न आता हो, न अजिरा पे उंगली उठाओ,अरे खुदगर्जों, जैसा बोओगे, वैसा ही तो काटोगे।।
सर्वविदित है कि अंग्रेजी वर्णमाला की जो आखिरी Z है, उसी Z वाली Z या Z+ सुरक्षा .. अपने देश में सुरक्षा देती है बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों को। परन्तु पड़ोसी राष्ट्र की उसी Z वाली .. Gen-Z पीढ़ी ने अपने पूरे देश को तहस- नहस करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है।
ये आंदोलन शहर को बिना जलाए और बिना लूटे भी किया जा सकता था। 9 सितंबर को जलने के बाद आज देखने पर ऐसा लग रहा है .. मानो पूरे शहर, पूरे राष्ट्र के मुँह पर कालिख पोती हुई है। और फिर .. इसकी भरपाई भी तो so called Gen-Z के कामगार या व्यापारी अभिभावक रूपी आम जनता की गाढ़ी कमाई से लिए गए टैक्सों से ही तो की जाएगी ना ? .. शायद
दिया आँख ने धोखा उस दिन,
सारे बंधन टूट गये
कितने बार पिये थे आंसू,
कभी तो गंगा बहनी थी ,!
कितने दिन से सोच रखा था
जब भी तुमको देखेंगे !
कुछ अपनी बतानी थी
कुछ तुमसे बातें सुननी थीं
प्रेम में सदैव तय करना सीमाएँ,
असीम कुछ भी अस्तित्व में नही होता,
वह कल्पना मात्र ही है,यथार्थ से परे,
प्रेम में सदैव तय करना सीमाएं,
अनुमति किस बात की कब तक लेनी है:
अनुमति स्पर्श की,
अनुमति व्यंग्य की,
अनुमति हास्य की,
आज बस
सादर वंदन
बेहतरीन चयन
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
जी ! .. सुप्रभात सह सादर नमन आपको .. वो भी मन से नमन, वंदन और आभार आपका मेरी बतकही को मंच प्रदान करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंकिसी वर्ष १५ सितम्बर को "स्वच्छ भारत अभियान" की तरह "स्वच्छ मन अभियान" की भी मुहिम छिड़नी चाहिए .. बस यूँ ही ...
बहुत सुंदर रचनाओ से भरा अंक 🙏
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर महाकवि निराला की रचना से शुभारंभ , जानकारी और हिंदी रचनाएं पढ़ कर लगा, दिन एक नहीं, हिंदी बोलने और पढ़ने वालों के लिए प्रतिदिन हिंदी का है..सारी भाषाओं का पुट भी थोङा-थोङा है । अभिनंदन!
जवाब देंहटाएंVery Nice Post....
जवाब देंहटाएंWelcome to my blog