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मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

1607..आज फिर एक और बन्द ब्लॉग से.....अक्सर ऐसा होता है

अक्सर ऐसा ही होता है
रचनाएँ लिखते हैं
फिर व्यस्त हो जाते है
ऐसा ही एक ब्लॉग है ये
रचनाएँ सुन्दर है..

आप भी पढ़िए..
शायद भूले-भटके फिर चालू हो जाए
ये ब्लॉग...

लोग  जाते  जाते 
मिटा  जाते  हैं
अपने  निशाँ
यादों  के  धुंधलाते 
निशाँ

जैसे  हरे  भरे  खेतों  में
मरी  हुई  पगडंडियाँ 
अजनबी  राहों  की
अजनबी  कहानियाँ
ये  कैसी  हैं  वीरानियाँ


बर्तन मांजने का साबुन
जब नया नया खुलता है तो टिक्की जमी जमाई रहती है
चमकती हुई
अन्ना के शुरुआती आन्दोलन की तरह
धीरे धीरे उसका हलवा बनता जाता है
इस बीच नए स्टील वूल , स्कॉच ब्राईट आ जाते हैं
पुराने अक्सर गायब हो जाते हैं


सितारों  तुम  तो  अतीत  हो
फ़िर  क्यूँ  दिखा  करते  हो 
अक्सर 
वर्तमान  में
जैसे  यादें  टंगी  हों
आसमान  में
कुछ  मरी  हुई  
लाल  सियाही  के  समान


रसोई बनाने के लिए सामग्री जुटाने की जुगाड़ 
सर्दी के कपडे रखने के लिए अलमारी में
जगह बनाने की जुगाड़ 
कूलरों को खिड़की में फिट करने की जुगाड़ 
एयर कन्डीशन का बिल कम करने की जुगाड़  
घर के लिए लोन लेने की जुगाड़ 
फिर उसे चुकाने की जुगाड़




एक तरफ पार्क में सुबह सुबह योगा करते लोग
बेतहाशा हँसते
अपने नर्म नर्म हाथों से
तालियाँ बजाते

दूसरी तरफ अक्सर मंदिर के आगे
भंडारे के लिए खड़े लोग
......
अब बारी है विषय की
99 वां विषय
अलाव
उदाहरण
आओ, अलाव जलाएँ,
सब बैठ जाएँ साथ-साथ,
बतियाएँ थोड़ी देर,
बांटें सुख-दुख,
साझा करें सपने,
जिनके पूरे होने की उम्मीद 
अभी बाक़ी है.
रचनाकार हैं
ओंकार जी

अंतिम तिथिः 14 दिसम्बर 2019
मेल द्वारा शाम तीन बजे तक
प्रकाशन तिथिः 16 दिसम्बर 2019
रिपीट विषय है..
कृपया पुरानी रचनाएं न भेजें
सादर

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बढ़िया प्रस्तुति...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़ियाँ है
    सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह दी सराहनीय संकलन।बहुत अच्छी है सभी रचनाएँ। मौन निरंतर इतने लगन से की जा रही आपके द्वारा साहित्यिक सेवा नमन योग्य है दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह बेहतरीन प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम
    रचनाकार को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. विषय दोहराया जा रहा है ? बहुत पहले शुरूआती दौर में ये विषय आ चुका है। कृपया स्पष्ट करें
    अच्छा संकलन। बंद ब्लॉग्स में बहुत कुछ मिलेगा। खोज खोजकर पढ़ें तो भानुमती के पिटारे से लगते हैं ये बंद ब्लॉग....अथवा एक अधूरी छोड़ी कलाकृति जैसे, जिसका शिल्पकार शायद चाय पीने गया है काम अधूरा छोड़कर....बस लौटता ही होगा कुछ देर में और फिर गढ़ने बैठ जाएगा अपनी कलाकृति को....

    जवाब देंहटाएं
  7. बंद ब्लाग बहुत शानदार रहा कवि की सभी रचनाएं संवेदनशील और भूमि से जुड़ी और आस पास की लगती है साधुवाद अच्छा संग्रह पढ़वाने के लिए ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हम-कदम की शुरुआत इसी शब्द "अलाव" से हुई थी और आज 99वां कदम "अलाव" 100की कड़ी छूने से पहले आगाज को नमन ।

      हटाएं
  8. बन्द ब्लॉग की सभी रचनाएं बेहतरीन ....
    शानदार प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

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