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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

1511...5 सितंबर महान शिक्षक एस. राधाकृष्णन...

सादर अभिवादन। 

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भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (शिक्षक एवं भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति )
5 सितंबर 1888 - 17 अप्रैल 1975 

चित्र साभार : गूगल 




ये 
दिन 
शिक्षक 
समर्पित 
5 सितंबर 
महान शिक्षक 
एस.राधाकृष्णन। 

है 
शिक्षा
औज़ार 
सँवार लो 
नव जीवन 
पाषाण जीवन 
नमन शिक्षकों को। 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-  

 

राधाकृष्णन के हुए, सारे सपने चूर।
जगत गुरू के लक्ष्य से, आज हुए हम दूर।।

सद्गुरु अपने देश में, सोये चादर तान।
नगर-गाँव में चल रहीं, शिक्षा की दूकान।।
  

 
ये कविताएँ राजनीतिक उस अर्थ में नहीं है जिस अर्थ में हम अब तक कविताओं को पढ़ते रहें हैं. ये पृथ्वी को बचाने की वैश्विक रणनीति का हिस्सा हैं जो सार्वदेशिक है. यह संग्रह पृथ्वी के पक्ष में खड़े कवि की पुकार है, जो कई जगह चीख में बदल गयी है.

  

अनुशासन  की शिक्षा देते, कहते पालन करना।
गुरूजनों का आदर करना ,मानना हरदम कहना।
जीवन जीने की कला,सिखलाते हमको शिक्षक।
शिक्षा का अनमोल रतन दे जाते हमको शिक्षक।


 

कभी दूध की मात्रा घटती-बढ़ती रहती थी  
आज पैसे हाथ में थमाते हुए मैंने कहा 
"पानी तो अच्छा डाला करो भैया 
बच्चे बीमार पड़ जायेगे "
और वह फूट पड़ा 
क्या करें ?
बहन जी !



 

जी इंस्पेक्टर साहब हम जाएंगे, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, दीनू चल मि.जैक्शन के पास व्यंग्य से बोला बिरजू,हाँ भैया चलो उसे बताएं हमें ऐसे ही लोग प्यार से इंडिया वाले नहीं कहते।
थोड़ी देर में,मि. जैक्शन क्या हम लोग अंदर सकते हैं, चरणस्पर्श काकी कहाँ हैं विदेशी बाबू, अंदर है बेटा पता नहीं क्या हुआ है, सुबह से फोन पर लगा है कुछ पूछो तो चिल्ला देता है, पता नहीं कहाँ चला गया माँ पर जान छिड़कने वाला मेरा जय।


 

एक समय था जब 'गुरु' शब्द को ही सम्मान सूचक मानते थे किन्तु धीरे-धीरे समाज की मान्यताएँ बदलीं, लोगों की सोच में परिवर्तन हुआ, रहन-सहन में बदलाव के साथ-साथ पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव सिर्फ लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाया है हमारी शिक्षा पद्धति भी इससे बेहद प्रभावित हुई है। फलस्वरूप गुरुकुल से पाठशाला बने शिक्षण केंद्र विद्यालय और फिर कॉन्वेंट स्कूल बन गए और इसी के साथ जो पहले गुरु हुआ करते थे वो अब शिक्षक हो गए तथा शिष्य अब विद्यार्धी/शिक्षार्थी बन गए हैं। 


हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए


आज बस यही तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 


रवीन्द्र सिंह यादव 

17 टिप्‍पणियां:

  1. शिक्षक दिवस पर उन महापुरुषों को नमन जिन्होंने हमें सभ्य एवं संस्कारयुक्त बनाया।
    वास्तविक शिक्षा वही है जो हमारे जीवन एवं चरित्र निर्माण में सहायक हो। हम एक संवेदनशील मनुष्य बन सके ,न कि विविध जानकारियों का ढेर वाला कम्प्यूटर..
    सुंदर प्रस्तुति के लिये आभार, प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को मान देने के लिए आभार।
    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शिक्षक दिवस पर अशेष शुभकामनाएँ..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  4. शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
    अति सुंदर सराहनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. शिक्षक दिवस पर आप सभी गुरुजनों को मेरा प्रणाम एवं शुभकामनाएं 🙏
    शिक्षक वहीं नहीं होता जो विद्यालय में शिक्षा
    देता है,अपितु जीवन में हम जिससे भी कुछ
    सीखते हैं या मार्गदर्शन पाते हैं,वही शिक्षक
    होता है। बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
    सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभकामनाएं शिक्षक दिवस की। सुन्दर अंक।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
    मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय,आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह बेहतरीन रचनाओं का अनमोल संकलन ।मेरी छोटी-सी रचना को स्थान देने के लिए सादर धन्यबाद।आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  10. शिक्षक दिवस पृ सभी को हार्दिक शुभकामनाएं । बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति रविन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर व प्रभावशाली संकलन। मेरे लेख को मान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. शिक्षक ही है जिनकी वजह से हम अपने जीवन में काफी उन्नति कर पाते है क्युकी बिना पढाई के कुछ भी हासिल नहीं सलाम ऐसे शिक्षको को जो दिन रात हमारे ऊपर महनत करते है

    मैं भी लोगो के साथ कंप्यूटर से जुड़ी जानकारी शेयर करता हूँ आप भी पढ़ सकते है रैनसमवेयर वायरस जो एक कंप्यूटर वायरस है

    जवाब देंहटाएं

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