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सोमवार, 5 नवंबर 2018

1207 ...हमक़दम का तैंतालीसवाँ क़दम...तस्वीर


शुचिता,स्वच्छता,सुख,समृद्धि, सकारात्मकता 
से भरपूर त्योहार जीवन में
 नकारात्मकता को दूर करके नवीन 
ऊर्जा का संचरण करते हैं।
सुप्रसिद्ध, पवित्र, पावन भारतीय त्योहारों 
की सूची में दीपावली का विशेष स्थान है।
पाँच दिवसीय दीपोत्सव आज से प्रारंभ हो रहा है।
धन-धान्य,सुख और आरोग्य की कामना का त्योहार
धन त्रयोदशी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँँ।
चलिए अब आज के मुख्य विशेषांक की ओर।
हमक़दम के विषय में इस बार एक तस्वीर 
दी गयी थी जिस पर रचनाएँ लिखनी थी।
त्योहार की व्यस्तता के बीच अपने बहुमूल्य 
समय देकर जिन रचनाकारों सृजनात्मकता में 
रुचि ली और बेहद सुंदर भावयुक्त सरहानीय 
रचनाएँ लिखी उन सभी को हृदय से नमन 
करते हुये सभी का हार्दिक आभार करती हूँ।

पढ़िए कुछ पंक्तियाँ-

खामोश रात के दामन में,
जब झील में पेड़ों के साये,

गहरी नींद में सो जाते हैंं

उदास झील को दर्पण बना

अपना मुखड़ा निहारता,
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों-सा बिखर जाता होगा
पहर-पहर रात को करवट
बदलती देख कर,
दिल आसमां का,
धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मेंं बैठा
मेरे ख़्यालों में डूबा "वो"
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख़्वाब सजाता तो होगा।


 #श्वेता सिन्हा

★★★★★
अब चलिए बहुप्रतीक्षित आज के विशेषांक की मूल रचनाएँ पढ़ते हैं।
★★★★

आदरणीय जफ़र जी

काश के वो थाम ले आकर मुझ को,
मेरी निग़ाह  कबसे इस एहसान पे है,

तीखे नैन,काजल चढ़ा के नज़र मिलाते हैं,
सम्भालो दीवानो तीर कमान पे है,
★★★★★

आदरणीया आशा सक्सेना जी

 करता आगाज
देता दस्तक घर के
दरवाजे पर |
चहु  ओर फैली हरियाली
नील गगन तले
घर की  कल्पना
 हुई साकार

★★★★★★
आदरणीया अनीता सैनी जी

ख़्वाबों     की   नगरी,   खुशियों   की    बौछार ,
जहाँ   हो   ऐसा,  न  हो   ग़मों  का   किरदार, 

आँगन   की    ख़ामोशी,   चौखट  कि  पुकार , 
ना -मुराद   इश्क़   करवाता   रहा   इंतजार , 
★★★★★★
आदरणीया साधना वैद जी

बेहद खूबसूरत सा मकान हूँ मैं 
पर देखो आज कितना सूना 
कितना वीरान हूँ मैं ! 
समेटे हुए तमाम जहान का 
दर्द अपने सीने में 
कितना ग़मज़दा 
कितना हैरान हूँ मैं !
★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान

झेले हैं कई मौसम
जीवन के कई रंग भी देखे
पर एक रंग नफ़रत का
मैं सह नहीं पाया
बारिश की इन फुहारों में
गूंजती थी यह गलियांँ
★★★★★
और चलते-चलते आदरणीया सुप्रिया जी की रचना



बन हरसिंगार खिलूँ हर रात,
महक उठे हर रात चाँदनी

मेरी खुशबू से तुम्हारे तन की..

बन कोहरे सी ढँक लूँ,

तुम्हारे सारे दुख की जलती किरणे,
और ओस की बूंदों सी
बीछ जाऊँ तुम्हारे मन की धरा पर..
★★★

आपसभी के द्वारा सृजित यह विशेषांक कैसा लगा?
कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के द्वारा
अपने सुझाव अवश्य दें।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक देखना न भूलें।
आज के इतना ही
आज्ञा दें।

श्वेता सिन्हा

15 टिप्‍पणियां:

  1. वआआह....
    एक चित्र को देखकर इतनी सारी रचनाएँ..
    आभार...बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात हलचल के आँगन में उपस्थित सभी गुनी जनों को,सुंदर प्रस्तुति.. सहृदय आभार मेरी रचना को हलचल का एक कोना देने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह,
    त्योहारों की व्यस्तता के बीच आपने भी समय निकाल कर चक्र को जारी रखा।
    साकलन बहुत खूब हैं।एक तश्वीर से कितने शब्द निकल गये हैं।
    लाजवाब।
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा संकलन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर अंक शुभ प्रभात
    धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभप्रभात सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    सबको धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  8. हमक़दम का बहुत ही सुन्दर अंक
    स्वेता जी आप की लेखनी का जबाब नहीं बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    मेरी रचना का स्थान देने के लिये बहुत बहुत आभार
    पूरे हलचल परिवार को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं!
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह.. सुंंदर रचनाओं का संकलन।श्वेता जी को शुभकामनाएँँ एक और उम्दा प्रस्तुति के लिए.सभी रचनकारों को बधाई धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!!बहुत ही खूबसूरत संकलन । सभी रचनाएं बहुत ही उम्दा ।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार प्रस्तुतिकरण बहुत ही सुन्दर रचनाएं...
    सभी रचनाकारों को बधाई...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को...।

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रिय श्वेता -- आज के अंक को हमकदम के सर्वश्रेष्ठ अंकों में शुमार करना चाहूंगी | आपकी रचना के साथ सभी प्रतिभागियों की रचनाएँ पढ़कर मैं बहुत आनन्दित हुई | कई दिन से लगातार रचनाएँ पढ़ रही हूँ पर लिख नहीं पाई क्षमा प्रार्थी हूँ | मेरी रचना 'वजह ' विषयात्मक में रचना को लिया गया मेरा हार्दिक आभार देर से उपस्थिति के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | आज के अंक की कहूं तो इसका नाम जादुई अंक होना चाहिए इतना सुंदर चित्र तो उसपर सहभागियों का सर्वोत्तम सृजन !!!!!!! जफर जी और साधना बहन की अप्रितम रचनाओं के साथ शेष सभी रचनाकारों ने सर्वोत्तम लिखा है | निशब्द हूँ !!!!!!!मकान की वेदना को शब्द देती साधना की रचना अनमोल है तो सुप्रिया जी की रोमानियत का रंग लिए काव्य रचना अद्भुत है तो अभिलाषा जी का अतीतराग अपना विशेष रंग लिए है |प्रिय जफर ने शब्दों में नीला जादू बिखेरा है |अनिता जी और आशा जी ने अपनी लेखनी में मधु नीली चन्द्रिका को हूबहू लिख दिया | रचनाएँ भले थोड़ी पर सभी शानदार | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और धनतेरस की शुभकामनाएं | और आपकी रचना ने भूमिका को लाजवाब कर दिया | इस विशेष अंक के लिए ऑनलाइन होने से खुद को रोक नही पायी | मेरी शुभकामनाओं के साथ मेरा हार्दिक स्नेह |

    जवाब देंहटाएं
  13. शानदार रचनाओं के साथ शानदार प्रस्तुतिकरण मोहक भुमिका तिलस्मी परिदृश्य उत्पन करते चित्र के साथ अप्रतिम रचनाऐं सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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