आपाधापी भरी जिंदगी में कुछ पल
अपने लिए तलाशना है
कविता एक चाहत है ,
अनुभूतियों को आयाम देना ,
शब्दों से खेलना और बातें करना है.
पर और भी बहुत कुछ है
करने के लिए जिंदगी में वक्त कम
उलझन
समझदार हो गया हूँ या अभी कुछ नादानी बाकी है !
बेखबर हूँ खुद से मगर लगता है अब सुलझन में हूँ !!
जिंदगी की कशमकश में मशगूल कुछ इस तरह है !
बना बहाना वक़्त का अपनों से दूर बिछडन में हूँ !!
उलझन
इश दुनियाँ (परिवार) में दीप न जलता , तो लगता है आया काल |
काल रूपी जब दीप जला तो , खुशियाँ बनती है जौजाल ||
जब खुशियाँ उठती है ऊपर , तो आते है काल का छाँव |
इश छाँव में जल जाते है , ऊपर -ऊपर के ही पाँव ||
उलझन
अब बस हुआ, अब बस करो मुझको नही रहना यंहा,
अब बस हुए ये दर्द और उलझन भरी ये ज़िन्दगी।
जाने दो मुझको दूर, ये सब नही मेरे लिये,
चाहूँगी उसको उम्र भर पर वो नही मेरे लिए।
उलझन
वक़्त के दरख़तों पर यादें कईं कईं है,
कुछ पड़ी धुँधली कुछ यादें नयी नयी है,
आशाओं के पुलिंदे फिर भी बांधता है इंसान,
कुछ समझ नहीं आता,
क्या चाहता है इंसान |
फिर मिलेंगे...
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का उन्तीसवाँ क़दम
इस सप्ताह का विषय है
'किस्मत'
...उदाहरण...
मानना होगा इसे और
करना होगा संतोष
क्योंकि - वक्त से पहले और
किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता
किसी को भी, कभी भी कुछ।
किस्मत भी बनाना पड़ता है -
सदैव कर्मरत रहकर।
कर्मों का यही हिसाब देता है
हमको वह फल, जो आता है
इस लोक और परलोक में
दोनों ही जगह काम।
-देवेन्द्र सोनी
उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से
कविता लिखना है.....
आप अपनी रचना शनिवार 28 जुलाई 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सदा की तरह विलक्षण प्रस्तुति
सादर
सुप्रभात दी,
जवाब देंहटाएंसदा की भाँति अनूठी प्रस्तुति। उलझन पर सुंदर रचनाएँ पढवाई आपने।
सादर आभार दी।
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअब उलझन भरी भी तो
नहीं कह सकते हैं :)
सुप्रभात दी...काफी दिनों बाद आज दोबारा पढ़ने बैठ गई, वहीं शानदार अहसास हुआ जिसे छोड़ आई थी.. खूबसूरत रचनाएं ताजगी से भरी हुई.. बधाई आपको!!
जवाब देंहटाएंवाह ..बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउलझन संग सहेली जैसी
अच्छी और बुरी भी
सदा की तरह सुन्दर लिंक्स....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उलझन विशेष पर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत अच्छी प्रस्तुति । चयनित रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंएक ही विषय पर भिन्न भिन्न विचारों का सुंदर संकलन, शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ।
मन तार है उलझे उलझे
एक तार सुलझा ना पाई
भँवर जाल मे ऐसी उलझी
तल तक जा फिर ऊपर आई
ना हाथों मे मोती आये
हीरे सा चैन गवाँ आई ।
चाहूँगी उसको उम्र भर पर वो नही मेरे लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंज़िंदगी की उलझन पर अलग-अलग नज़रिया प्रस्तुत करती विचारणीय प्रस्तुति. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
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