आज भारतीय सेना दिवस है।
15 जनवरी 1949 को तत्कालीन कमांडर-इन-चीफ़ (भारत) जनरल रॉय बुचर से हमारे लेफ्टिनेंट जनरल (इस पद को बाद में फ़ील्ड मार्शल नाम दिया गया ) के.एम.करियप्पा साहब(अब स्वर्गीय) ने पदभार संभाला था और वे भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर बने, इसी उपलक्ष्य में सेना दिवस आज मनाया जाता है।
जांबाज़ सैनिकों को हमारा सलाम।
एक क़दम आप.....एक क़दम हम
हम-क़दम का पहला क़दम
आज गदगद हैं हम आपके अभूतपूर्व उत्साह और सक्रिय सहयोग की झलक महसूस करके। हमारे इस नवीनतम कार्यक्रम में सम्माननीय रचनाकारों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की है। आज यह बात स्पष्ट हो चली है कि सृजन हमारे भीतर हिलोरें ले रहा है, वह बेताब है शब्दांकन के रूप में उभरने के लिए। हमारा यह प्रयास आपकी लगन और स्नेह ने सफल बनाया है जिसे आगे लंबा सफ़र तय करना है। लेखन को समर्पित रचनाकारों को हमारा मंच सदैव अवसर और आयोजन की कड़ियाँ सहेजता रहेगा,पेश करता रहेगा।
इस कार्यक्रम की सफलता को मद्देनज़र रखते हुए हमने फ़ैसला किया है कि अब यह नियमित ज़ारी रहेगा। "पाँच लिंकों का आनन्द" के कल के अंक में आपको पुनः नया बिषय दिया जायेगा सृजन के लिए।
हमने अपने इस पहले आयोजन में आपको बिषय दिया था -
"अलाव"
चित्र साभार :गूगल
अलाव हिंदी में पुरुषवाची संज्ञा शब्द है जो कि संस्कृत भाषा के अलात शब्द से जन्मा है जिसका अर्थ है अंगार, अंगारा,
शोला, आग का ढेर,कौड़ा आदि।
अलाव की परिभाषा के रूप में हम कह सकते हैं - सर्दी के मौसम में तापने के लिए किसी स्थान विशेष पर जलाई गयी आग।
परंपरागत रूप से हम अलाव को ग्रामीण जीवन का अंग मानते आये हैं जहाँ ग्रामीण सुबह-शाम जलते-सुलगते अलाव के पास एकत्र होते हैं और वहाँ विभिन्न प्रकार की चर्चाओं में समय गुज़ारते हैं।अनेक शंकाओं का समाधान, प्रश्नों का हल,चुहलबाज़ी, ताज़ा समाचार
आदि सब अलाव पर मिलते हैं लोगों को। आग जलाने के लिए अनुपयोगी लकड़ी,कंडे, फूस, फ़सल का खरपतवार आदि इस्तेमाल किये जाते हैं। किन्तु अब अख़बारों में भी यह शब्द हमारा ध्यान खींचता है जब शीत ऋतु की प्रचंडता होने पर नगरीय निकाय बेसहारा लोगों के लिए अलाव का प्रबंध करते हैं। अब तो शहरी जीवन में
भी अत्याधुनिक अलाव अस्तित्व में हैं।
आइये लंबी भूमिका को विराम देते हुए रसानंद में
डूब जायें और इस बिषय पर आपके द्वारा भेजी गयी
श्रेष्ठ रचनाओं के मख़मली एहसासों से गुज़रकर नया अनुभव लें,कविता के अलग-अलग रंगों का निखार वाचन के बाद महसूस करें -
डॉक्टर इंदिरा गुप्ता
अलाव
जीवन का सा
भाव !
कभी मद्दिम सा
कभी ज्वलंत सा
जलते भावो का सा
ज्वाल !
एक अलाव रात भर जलता रहा इस आस में
ज़िंदगी के पास एक उम्मीद होनी चाहिए
जम रहा था खून का हर एक कतरा जिस्म में
बेजान होते जिस्म में कुछ साँस होनी चाहिए
आलीशान इमारतों की छाँव में
कच्ची मिट्टी से बनी
झोपड़पट्टियों के बीच
जलते अलाव को घेरकर बैठे
सुख-दुख की बातें करते
सिहरते सिकुडे़ लोग
अलाव की चटखती लकडियों
में पिघलाते अपना ग़म
पड़ाव किया था...
गुजारने के लिए रात
और करनी थी प्रतीक्षा
सुबह की...
हमने बुझने नही दिया अलाव
काट ली रात
हंसते गाते....
जब जला आती हूँ अलाव कहीं
ये मन
धूं-धूं जलता है
जब ये मन
तन से रिसते
ज़ख़्मों के तरल
ओढ़ के गमों के
अनगिनत घाव
डॉ. सुशील जोशी
कहाँ सोच
पाता है
आदमी
एक अलाव
हो जाने का
खुद भी
आखरी दौर
में कभी
अच्छा लगता है ना, जाड़े में अलाव सेंकना
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लड़ना
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम
पेड़ों के टूटे पत्ते, कागज,
टूटी छितरी डालियाँ
कर इकट्ठा सुलगा दीं !
सिमटे - ठिठुरते भिखमंगों,
अधनंगे फुटपाथियों की
सारी ठंड बटोरकर,
काँपता रहा अलाव !!!
ठिठुरती ठंढ़ मे, क्षणिक राहत को,
चौराहे पर भी जलाई गई थी इक अलाव,
ठहाकों की गूंज में डूबा था वो गाँव,
पर जलाती रही थी उसे, मन की वो अलाव ..
अलाव दर्द का
जलता रहा अलाव दर्द का -
भीतर यूँ ही कहीं मन में ;
शापित से कब से भटक रहे -
हम जीवन के वीराने वन में
अपनों से अपनी बात....
........
बिटिया रक्षा सिंह अपरिहार्य कारणों से
अपनी रचना ब्लॉग में नहीं रख सकी...पूरी रचना पढ़वाई जा रही है
आँच तापने आते लोग....... रक्षा सिंह "ज्योति"
शरद ऋतु और माघ मास,
जीवन के लिये है ख़ास।
बाबा जी जला दिए
सुबह-सवेरे अलाव,
आँच तापने आते लोग
घेरे का होता जाता फैलाव।
कोहरे में चलते-चलते
लोग हो जाते अदृश्य,
प्रकृति के हैं बड़े
अजीब-सजीव रहस्य।
कोई उठता पशुओं को देने चारा
कोई करने उठता सफ़ाई,
कोई उठता पानी भरने
कोई करता दूध-दुहाई।
क़िस्से चलते रहते अलाव पर,
हाथ सेंककर बढ़ जाते लोग अगले पड़ाव पर।
खेतों से आती फूली सरसों की ख़ुशबू,
बैलों के गले में बजती घंटियाँ टुनक-टू।
तैयार हो आयी अलाव पर नन्हीं मुनिया,
मुँह से धुआँ फूकती चली स्कूली-दुनिया।
@रक्षा सिंह "ज्योति"
चलते-चलते आपको ज़रूरी सूचना -
कल आ रहे हैं भाई कुलदीप जी अपनी प्रस्तुति के साथ। साथ ही नया बिषय होगा आपके समक्ष सृजन के लिए।
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंत्वरित प्रसंग पर आप बेहतरीन लिखते हैं
साधुवाद आप सभी को...
हम सराहना करते हैं
सखी श्वेता जी व भाई रवीन्द्र सिंह जी की
रचनाएँ सभी चर्चा लिख सकते हैं सिवाय हम तीन के
क्योंकि शीर्षक हम ही तय करते हैं
साधुवाद सभी को
सादर
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन सफल प्रयास
प्रतीक्षा रहेगी अगले अंक की
आभार
आदर सहित
सुबह-सुबह उठा दिया न दीदी
जवाब देंहटाएंरुड़की की ठण्ड कह रही है झेलो हमें
पर रचना को यहां देखकर पलायन कर गई मुई ठण्ड
आभार
सादर
वाह...
जवाब देंहटाएंएक किला फतह कर लिया आप तीनों ने
शुभ कामनाएँ
लगे रहिए
सादर
एक सुंदर और सार्थक प्रयास। अथक कोशिश ही सफलता की नींव रखती है । यह अलाव जो आज जली है सदियों जलती रहे, यही कामना करता हूँ।
जवाब देंहटाएंविशेष:::::
ज्ञात सुत्रों की जानकारी के अनुसार कल आदरणीय रवीन्द्र जी का जन्मदिन था। विलंब ही सही, पर उन्हे ढेरो शुभकामनाएँ। यह दिवस बारम्बार आपके जीवन में आए। आप दीर्घायु हों।....
सुप्रभातम्,
जवाब देंहटाएंआप सभी प्रतिभाशाली रचनाकारों ने बेहद उम्दा रचनाएँ लिखीं है। एक विषय पर अलग-अलग भाव जोड़ती और संदेश देती रचनाएँ बहुत बहुत सराहनीय है। आप सभी रचनाकारों की प्रखर लेखनी से यह मंच आज जगमगा रहा है। 'अलाव' ने जो प्रेम का साथ जोड़ा है आप सभी से अनुरोध है इसे निरंतर बनाये रखें। नमन आप सभी की प्रतिभा को आप की लेखनी पर माँ शारदा की कृपा बनी रहे यही शुभकामनाएँ है मेरी।
बहुत बहुत बधाई है आप सभी को शानदार रचनाओं के लिए।
आदरणीय रवींद्र जी और यशोदा दी को भी बहुत बधाई इस विशेष विशेषांक के लिए।
बेहद हर्षित हूँ
जवाब देंहटाएंप्रयोग सफलतापूर्वक सम्पूर्ण होने के लिए हार्दिक बधाई
सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक है
वाह!सभी बेहतरीन रचनाओं का संकलन एक ही स्थान पर।समस्त रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।प्रकाशक का हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे। बधाई। सफल प्रयोग के लिये और शुभकामनाएं भी। अब ये अलाव आगे हमेशा इसी तरह जलता रहे कुछ गरमी मिले कुछ रोशनी और ये कारवाँ बढ़्ता चले। आभार 'उलूक' के अलाव को भी जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन.. प्रयोग सफल रहा सभी रचनाकारों ने एक शब्द विशेष अलाव पर अलग-अलग भावों की अभिव्यक्ति बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई आप सभी को शानदार रचना के लिये
बेहद आन्नदित।☺👍
बेहतरीन रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन.....
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें एक से बढ़कर एक
भाव अलग पर विषय एक
अनेकता में एकता की प्रतीक बन गई ये प्रस्तुति
हम हमेशा आप के साथ है।
और ये सफर बहुत लंबा हो यही दुआ।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।
अलाव विषयक बहुत अच्छी रचनाएँ हैं
जवाब देंहटाएंइस सफल प्रयास के लिए हार्दिक बधाई ।सभी रचनाएँ बहुत उम्दा।
जवाब देंहटाएंसंवेदनशीलता की ये अलाव सबके दिल में जलती रहे। सुन्दर एवं सफल प्रयोग। पांच लिंकों का आनंद की टीम को बधाई।
जवाब देंहटाएंभारतीय सेना दिवस पर भारतीय सेना के रणबाँकुरों को हलचल के माध्यम से सादर नमन !
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी की प्रस्तुति एवं अग्रलेख विशेष प्रशंसनीय एवं प्रभावशाली हैं।
अलाव- विषय पर रची गई संवेदनशील सुंदर रचनाओं का संकलन तैयार करने हेतु आप सभी चर्चाकारों को सादर धन्यवाद ! चुने गए रचनाकारों को बधाई। मेरी रचना को यहाँ देखकर अत्यंत प्रसन्न हूँ। आभार !
आदरनीय रविन्द्र जी -- स्नेह के इस अलाव पर ज्ञात होता है सबके साथ इर्द गिर्द बैठ एक अतुलनीय आनन्द की अनुभूति हो रही है | अलाव एक सांझी संस्कृति को दर्शाता है | सभी में अलाव पर बेहतरीन सृजन किया है | प्रिय रक्षा ने तो खूब बढ़िया चित्र उकेर दिया रचना में उन्हें विशेष बधाई और शुभकामना | सुंदर संकलन और भारतीय सेना को समर्पित भावपूर्ण भूमिका
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया है | सभी साथी रचनाकारों को बधाई और शुभकामना | आशा है स्नेह के अलाव की महफिले यूँ ही आबाद रहेगी |
सेना दिवस पर सैनिकों को सादर नमन. अपनी रचना इस संग्रह में पाकर गदगद हूँ. ऐसे आयोजनों की सदैव प्रतीक्षा रहेगी. सभी को बधाई.
जवाब देंहटाएंसामायिक विषय पर जानकारी ज्ञान वर्धक। प्रस्तुति बहुत शानदार है
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना चुन ली गई ये मेरे लिये आकस्मिक सी घटना है मै अनुग्रहित हूं।
शुभ दिवस।
एक से बढ़कर एक रचना बहुत ही काव्यात्मक और लय ताल के साथ।
जवाब देंहटाएंअलाव पर इतनी सुन्दर रचनाएं पढकर मजा आ गया...एक ही विषय पर अनेक सृजन...!!!!!
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत लाजवाब....
अलाव पर इतनी सुन्दर रचनाएं पढकर मजा आ गया...एक ही विषय पर अनेक सृजन...!!!!!
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत लाजवाब....
अतिसुन्दर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएं