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गुरुवार, 11 जनवरी 2018

909...एक क़दम आप.....एक क़दम हम बन जाएँ हम-क़दम


सादर अभिवादन। 
एक क़दम आप.....एक क़दम हम
बन जाएँ हम-क़दम

जी हाँ, यह शीर्षक है हमारे नवीनतम प्रयोग का जो हम 
आपके साथ, आपके सक्रिय सहयोग और समर्थन से 
आज से आरम्भ करने जा रहे हैं। 

सृजन के पल्ल्वन की दिशा में हमारा यह प्रयास  रचनाकारों की सृजनशीलता को नया आयाम देने की छोटी-सी  पहल है। 
प्रत्येक मंगलवार  हम आपको शब्द ,चित्र, काव्य-पंक्तियाँ (मुखड़ा) या बिषय आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे जिसका सूक्ष्म अवलोकन कर आपको रचना का पल्लवन (विस्तार) करना है। 
शर्तें -
1. रचना न्यूनतम  10 पंक्तियों में होगी। 
2. हमारे द्वारा दी गयीं पंक्ति भी 10 पंक्तियों में समाहित हो सकती हैं।
3. रचना मौलिक और स्वरचित होनी चाहिए। 
4. श्रेष्ठ प्राप्त  प्रविष्टियों को अगले सोमवारीय  अंक में प्रकाशित किया जायेगा. 
5. प्रविष्टि शनिवार शाम 5 बजे तक हमारे ब्लॉग में संलग्न सम्पर्क फॉर्म ( पाँच लिंकों का आनन्द  पर  बायीं ओर )  के ज़रिये ही भेजी जाय। समझने के लिए सम्पर्क फॉर्म नीचे  दिखाया जा रहा है -

किसी भी प्रकार के संपर्क या सलाह या कोई रचना लिंक करवाने के लिये इस संपर्क प्रारूप का प्रयोग करें।( नमूने के लिए)


नाम

ईमेल *

संदेश *



6. संपादक-मंडल का निर्णय अंतिम माना  जायेगा। 
7.  संपादक-मंडल के सदस्य अपनी रचनाऐं इस कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं करेंगे। 
8. रचना के साथ चित्र भी संलग्न कर सकते हैं उसका स्त्रोत ज़ाहिर करते हुए। 
9. रचना के अंत में अपना नाम अवश्य लिखियेगा। रचना का शीर्षक और लिंक भी भेजें।  
10. किसी व्यवधान की स्थिति में ईमेल द्वारा अपनी समस्या हमारे संपर्क फॉर्म के ज़रिये भेजिए। 
11. प्रविष्टि प्राप्त होने की सूचना शनिवार शाम 5 बजे के बाद सम्बंधित रचनाकार को  भेजी जाएगी। 
12. रचना के प्रकाशन सम्बन्धी सूचना रचनाकार को  रविवार को दी जाएगी। 
13. जिन रचनाकारों का अपना कोई ब्लॉग नहीं है वे भी अपनी रचना भेज सकते हैं। 
14.इस कार्यक्रम सम्बन्धी  किसी अन्य जानकारी के लिये नीचे दिए ईमेल पते पर संपर्क कर सकते हैं -
?  yashodadigvijay4@gmail.com 
15. प्रथम अंक के बाद के भागीदार रचनाकार कृपया नीचे दिए गये बिषय पर ध्यान न दें बल्कि हमारा ताज़ा अंक देखें। 

आज का बिषय है -  अलाव 
उदाहरण स्वरुप इस बिषय पर आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी 
द्वारा रचित एक रचना प्रस्तुत है -


जाने के बाद

तुम्हारे

अक्सर

ख़्यालों में 

तुमसे मिलकर

लौटने के बाद

हल्की-हल्की
आँच पर
खदबदाता रहता है
तुम्हारा एहसास 
लिपट कर साँसों से
पिघलता रहता है
कतरा-कतरा।
बनाने लगती हूँ
कविता तुम्हारे लिए
अकेलेपन की.......
जलता रहता है
अलाव एक
बुझते शरारों के बीच
फिर उम्मीद जगती है
और एक मुलाकात की
फिर.....तुम्हारे लिए
तुमसे मिलूँ.....
एक और नई
कविता के लिए

-यशोदा

-मन की उपज

आइये अब आपको अपनी परंपरागत प्रस्तुति की ओर  ले चलते हैं।
आज की प्रस्तुति का आग़ाज़ करते हैं 
बालकवि नितीश कुमार की सुंदर रचना से - 



हौसला और जज्बों  को, 
कम नहीं होने देंगे हम | 
मंजिल तय न हो जाए, 
कोशिश करते कहेंगे हम | 
मुश्किलों से न घबराएँगे, 
हर संकट को पार कर जाएंगे | 

अपने तीख़े व्यंग के लिए मशहूर हैं आदरणीय गोपेश जसवाल जी।  
आइये संवाद शैली में रचे इस धारदार व्यंग का आनंद लें-


मेरी फ़ोटो

टंडन – ‘ये कुर्सी के लिए त्रिकोणात्मक संघर्ष है गुरुदेव ! दिवंगत की विधायक वाली सीट किसे मिलेगी? पिनकची बेटे को, झगड़ालू पत्नी को, या फिर उनकी प्रेमिका को?’
मेहता जी – ‘भई, हमको तो मनोरमा पसंद है.’
टंडन – ‘वो तो शहर के आधे नौजवानों की पसंद है. आप पके आम, इस स्वयंवर में कहाँ से आ टपके?’
मेहताजी – ‘नालायक कहीं के ! अपने गुरु की टांग खींचते हो? अच्छा, ये सब छोड़ो. ये बताओ कि ये गुप्ता बिल्डर इतने दहाड़ मार मार कर क्यों रो रहा है?’
टंडन – अपनी जनरल नौलिज अपडेट रक्खा करिए गुरुदेव ! गुप्ता ने अपने होटल में जो पब्लिक पार्क की ज़मीन दबा ली थी, उसको होटल के नाम कराने के लिए उसने दीनानाथ जी को बीस लाख रूपये एडवांस में दिए थे. अब वो रूपये डूब गए हैं तो क्या बेचारा रोएगा भी नहीं?’

ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव को अभिव्यक्त करती मर्मस्पर्शी रचना पढ़िए जिसे रचा है आदरणीया शबनम शर्मा जी ने -

में फंसी, कि भंवर भी 
समेट ले गया, पता ही 
न चला, कब मेरे चप्पू 
मेरे हाथों से छूट बह गये 
पानी मेंख् हो गई मैं अकेली 
अनाथ उस नाव पर, जिसमें 
संजोए थे मैंने अनगिनत सपने,
सरलता भी कविता का महत्वपूर्ण पहलू है जिसे बख़ूबी पेश किया है आदरणीया अर्चना सक्सेना जी ने अपनी इस हास्य-कविता में -

मिल गयी स्कूल से भी छुट्टियाँ
अब शरारत करने का वक़्त बढ़ा 
घर में ठंड से थर -थर हैं कांपें 
पर हिल-स्टेशन में मनानी हैं छुट्टियाँ 
होम वर्क जो मिला था ढेर सारा 
मम्मी-पापा को पूरा करवाना पड़ा
पूरे परिवार ने  छुट्टियों का मजा लिया 
यह सर्दी तो है बस बहाना
चिट्ठियाँ अब संग्रहालय की वस्तु होने लगीं हैं। तकनीक ने हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किये हैं। आदरणीया मीना शर्मा जी लायीं हैं चिट्ठियों से जुड़े हमारे कोमल जज़्बात अपनी इस रचना में -

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किसी के स्वर्गवास का
दुःखद संदेश लाते,
वे कोने कटे पोस्टकार्ड,
ब्याह सगाई का निमंत्रण देते,
हल्दी रोली के छींटे पड़े,
वे पीले लाल लिफाफे,
चाचाची के अंतर्देशीय,
मौसी की बैरंग चिट्ठी,
राखी की नाजुक डोर सी,
कलेजे की कोर सी चिट्ठियाँ !

स्त्री-जीवन से जुड़ी विसंगतियों और नाज़ुक एहसासों पर पैनी नज़र 
डाली है आदरणीया अभिलाषा (अभि ) जी ने अपनी इस रचना में , 
ज़रा ग़ौर फ़रमाइये - 



जब चली जाऊंगी हमेशा की खातिर
तुम ढूंढोगे मुझे ज़र्रा-ज़र्रा
चीखोगे मेरा नाम सन्नाटों में,
मुस्कराओगे सोचकर मेरा पागलपन
कि मैं होती तो क्या करती,
आज जब मैं हूँ हर उस जगह
जहाँ तुम चाहते हो
तो कैसे समझोगे मेरा न होना
और जब महसूसोगे
मैं नहीं बची रहूँगी
आदरणीय लोकेश नशीने जी प्रस्तुत कर रहे हैं ग़ज़लकार सूरज राय  सूरज जी तीन बेहतरीन ग़ज़लें ,मुलाहिज़ा कीजिये-

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एक-एक करके सब छोड़कर चल दिये
साथ मेरे मेरा आईना रह गया ।।

क्या पता ख़त्म कब हो गया ये सफ़र 
मैं ख़ुदी का पता पूछता रह गया ।।

इक अंगूठी बदलती रही उँगलियाँ
मैं नगीने की तरह जड़ा रह गया ।।
अनीता लागुरी (अनु) जी का सामाजिक बिषयों पर सूक्ष्म चिंतन हमें गहरायी तक प्रभावित करता है। प्रस्तुत रचना में उन्होंने समाज के एक अछूते बिषय को चुना है जिसमें एक छोटी बहन के कोमल मनोभावों को ख़ूबसूरती से प्रस्तुत करते हुए हमें गहन चिंतन पर विवश किया है ताकि कोई जीजा एक बार ज़रूर सोचे -


ये ना कोई पुरानी किताब है,
ना कोई गोटे वाली फ्राक,
ये तो जिंदगी है 
दीदी मेरी, यहां भी मिलेंगी क्या .....उतरन तुम्हारी...!!!
सजेगी मेरी मांग की लाली
अब तुम्हारे ही सिंदूर से
और चलते-चलते पेश है आदरणीय राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" जी की  एक और मनोहारी प्रस्तुति जोकि ख़ूबसूरत चित्रावली से सुसज्जित है- 

घरेलू हंस को  प्राचीन समय में अपने मांस, अंडे और डाउन फेदर के लिए पोल्ट्री के रूप में मनुष्यों द्वारा पालतू बना कर रखे जाते थे।

आज के लिए बस इतना ही। 
मिलते हैं फिर अगले गुरूवार। 
कल आ रहीं हैं आदरणीया श्वेता जी अपनी ख़ास प्रस्तुति के साथ। 
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रियाओं एवं सारगर्भित सुझावों की प्रतीक्षा में। 
रवीन्द्र सिंह यादव 

27 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात आप सभी को...
    एक नया अध्याय
    एक हांथ दोस्ती का
    एक हसरत सहयोग पाने की
    कहा है पति-पत्नी एक गड़ी को दो पहिए होते हैं
    ठीक उसी तरह हम और आप मिल कर
    एक हमारे इस मंच को एक नई दिशा देंगे
    आशा ही नही पूर्ण विश्वाश है हमारी हजारवी प्रस्तुति
    आप सब मिलकर प्रस्तुत करेंगे
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम् रवींद्र जी,
    आज की सुंदर और सारगर्भित भूमिका रचनाकारों में अवश्य नवीन उत्साह भर जायेगी। सृजन अगर
    उद्देश्य पूर्ण हो जाये तो लिखने का आनंद दुगुना हो जाता है। आशा है हमारे मंच का यह प्रयास हमारे प्रिय प्रबुद्ध पाठकों को अवश्य पसंद आयेगा।।
    आज के संयोजन की सारी रचनाएँ सराहनीय एवं पठनीय है,सुंदर,आकर्षक प्रस्तुतिकरण से आज का अंक लाज़वाब बन गया है।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा लिंक्स चयन के साथ महत्त्वपूर्ण उद्देश्य की सुंदर प्रस्तुतीकरण
    एक कदम हमारी ओर से बढ़ाने की तैयारी हो चुकी है जिसके लिए बधाई के पात्र हैं चर्चाकार
    उनके हौसले को पंख आपकी ओर से बढ़े कदम देंगे
    पाठकगण से अनुरोध है लेखन करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात रविन्द्र जी, सर्वप्रथम बधाई के पात्र हो आप सभी ,पांच लिंको के सफर में एक नया अध्याय शुरू किया है आप सबों ने ये प्रयास
      पाठकों की लेखनी में नये उत्साह का संचार करेगी,साथ ही और ज्यादा सार्थक तरीके से हम रचनाकार सृजनात्मकता की और प्रयास करेंगे..! सभी चयनित रचनाएं ताजगी से भरपूर है..अंत में राकेश जी की फोटो ग्राफी :पक्षी से..रही सही कसर भी पूरी हो गई... मुझे भी शामिल करने के‌लिए हार्दिक आभार।

      हटाएं
  4. वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी। नये सफर के लिये शुभकामनाएं पाँच लिंकों के आनन्द को।

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  5. एक कदम हमारी भी..बहुत ही बढिया सृजनात्मक पहल की शुरुआत जो पाठको की सहभागिता से लिंक और भी खूबसूरत और उद्देश्य पूर्ण बनेगी।
    उम्दा लिंकों का चयन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ
    आभार।

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  6. वाह...
    उत्तम....
    ब्लाग में नमूने के लिए दिया हुआ सम्पर्क फार्म कार्यशील है..आप इसका उपयोग भी कर सकते है.
    सूचनार्थ...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर संकलन और एक कदम आप एक कदम हम की शुरुआत के लिए बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह...
    उत्तम....
    ब्लाग में नमूने के लिए दिया हुआ सम्पर्क फार्म कार्यशील है..आप इसका उपयोग भी कर सकते है.
    सूचनार्थ...
    सादर...

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  9. वाह हमेशा की तरह बेहतरीन संकलन .🙏

    जवाब देंहटाएं
  10. एक नया अध्याय..सुन्दर शुरुआत
    उम्दा लिंकों का चयन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ

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  11. बहुत अच्छी पहल ,,,
    बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

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  12. शुभ संध्या।

    समस्त सुधिजनों से क्षमा चाहता हूँ। आज भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय धरती के लाल कहे जाने वाले प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि हैं। आदरणीय शास्त्री जी को "पाँच लिंकों का आनन्द" परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि।

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  13. सर्वप्रथम भारत के बेशकीमती लाल, श्री लालबहादुर शास्त्री जी को सादर नमन ! दुःख की बात है कि देश उनके दिए गए नारे - "जय जवान जय किसान" को आत्मसात नहीं कर पाया.... जवान और किसान के प्रति हो रही बेपरवाही चिंता एवं चिंतन का विषय है।
    आदरणीय रवींद्रजी, सादर धन्यवाद मेरी रचना को पाँच लिंकों में स्थान देने हेतु एवं बेहतरीन रचनाओं व रचनाकारों से परिचय कराने हेतु भी !
    हलचल की नई पहल पर मन रोमांचित है, आगे आगे देखते हैं होता है क्या.....

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  14. रवींद्र जी एवं अनीता लागुरी जी आभार, रवींद्र जी आपका समर्थन मुझे सदा मिलता रहता है इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया. सुंदर प्रस्तुति एवं एक क़दम आप.....एक क़दम हम बन जाएँ हम-क़दम की सफलता की कामना करता हूँ .चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ.

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  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आज के पांच लिंकों के आनंद की. बधाई..

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  16. पिता हूँ पहाडो सा
    मेेरे पत्थर ही दिखते है
    खाये है मैने खूब थपेड़े
    वर्षा आंधी बादल के
    नीर बहाया नदीयो मेे दुनिया
    को पत्थर दिखते है
    अहसान फरामोसी
    को मेरे पत्थर ही दिखते है

    जवाब देंहटाएं
  17. सराहनीय प्रयास ,सफलता की शुभकामनाओं सहित बधाई

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण संकलन हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही सुन्दर संकलन आदरणीय और सराहनीय पहल |
    शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  20. शुभ संध्या।
    बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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