सादर अभिवादन
ग्लोबल वार्मिंग अर्थात जलवायु में असंतुलित परिवर्तन मौन आहट है विनाश का, हमारी पृथ्वी और मानव अस्तित्व के लिए। ग्लोबल वार्मिंग बहुत ही जाना पहचाना नाम है और हम सब इसके बढ़ते खतरे से भी अनजान नहीं, पर हम इसे कम करने में अपना क्या योगदान दे रहे हैं ये बात महत्त्वपूर्ण है।लोग तरह-तरह की असाध्य बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, खेती की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा,पेय जल का भयावह संकट और भयावह होता जा रहा,समुद्रों के जलस्तर में गलेश्यिर के पिघलने के कारण अनायास वृद्धि और इन सबसे आम जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।पर इसके बावजूद सब आँखें मूँद कर लापरवाही की प्रवृति अपनाये हुये हैं, हम इतनी गंभीर समस्या पर मूक-बधिर होकर सारे तथ्य नकार रहे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया को रोकना सिर्फ़ एक व्यक्ति के बस में
नहीं है लेकिन छोटे-छोटे प्रयासों से हम निश्चित रूप से
इसकी गति कम कर सकते हैं।
हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगें। पेड़-पौधे लगाये और पीने के पानी को व्यर्थ न बहने दें। ऐसा प्रयास अति सराहनीय होगा।आप अपनी भूमिका तय कर लीजिए आप क्या योगदान कर रहे??
अब चलते है आज की रचनाओं की ओर
रचनाकार के मन के भावों को व्यक्त करती
"आदरणीया यशोदा दी" द्वारा रचित सुंदर कविता
"पुनः और पुनः"
फिर लिखता है कुछ...
चेहरे पर उसके
मुस्कान एक
छोटी सी आती है....
सहेज लेता है उसे..
सोचता है...
तसल्ली है उसे..
पूरी हो गई ये कविता..
प्रेरक,सारगर्भित सुंदर संदेश देती
"आदरणीया सुधा जी "
की खूबसूरत रचना
जीवन तेरा भी अनमोल यहाँ,
तेरे चाहने वाले और भी हैं।
इकतरफा सोच से निकल जरा,
तेरे दुख से दुखी तेरे और भी हैं।
वीरान पड़ी राहों में तेरा...
यूँ फिर-फिर आगे बढ़ना क्या ?.....
इकतरफा प्रेम यूँ करना क्या ?
फिर मन ही मन यूँ जलना क्या......??
समसामयिक मुद्दे पर तीक्ष्ण दृष्टि और तीखी अभिव्यक्ति
से अलग अंदाज़ में रची गयी
"आदरणीय रवींद्र जी" की रचना
"100 के आगे 100 के पीछे"
कैसा राष्ट्रीय चरित्र विकसित हो रहा है... ?
हमारा मानस कहाँ सो रहा है ...?
ज़रा सोचिये......!!!!!!!
ठंडे दिमाग़ से
क्या मिलेगा
भावी पीढ़ियों को
कोरे सब्ज़बाग़ से........ !!!!!!!!!
अंतर्मन के गहन भावों को शब्दों से सुवासित करती
आदरणीय "पुरुषोत्तम जी" की भावपूर्ण रचना
"हमसफर"
राह में गर काँटे तुमको मिले अगर
शूल पथ में हो हजार, बिछे हों राह में पत्थर,
तुम राहों में चलना दामन मेरा थामकर,
खिल आएंगे काँटों में फूल, तुम साथ दो अगर।
साहित्य सुधा की सरस निर्झरी सतत प्रवाहित करती
मतदान के नाम पर होने वाले क्रियाकलापों का आईना दिखाती
"आदरणीय विश्वमोहन जी"
की रचना
"चुनाव"
कोई लोहिया, कोई लोहा लाये
कोई कबीर का दोहा गाये.
और कर में धारे अम्बेदकर,
बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय.
हमेशा की तरह अपनी विशिष्ट शैली से प्रभावित करते, नारी की दशा पर
"आदरणीय ध्रुव जी"
गहन विचारोत्तेजक रचना
"सती की तरह"
कभी -कभी हमें शब्दों से
आह्लादित करते
संज्ञा देकर देवी का
शर्त रहने तक
मूक बनूँ !
बना देते हैं
सती क्षणभर में
और अंत में उलूक के पन्ने से
"आदरणीय सुशील सर"
की सबसे अलग अंदाज में लिखी गयी धारदार रचना
"आदमी खोदता है आदमी में"
आदमी आदमी
खेलते आदमियों में
अपना खुद का
भेजा हुआ आदमी ।
आज के लिए बस इतना ही
आप सभी के सुझावों की प्रतीक्षा में
शुभ प्रभात मेरी प्यारी सखी
जवाब देंहटाएंपहले तो आभार...
दूसरे तो बधाइयाँ
इस दमदार व सधी हुई प्रस्तुति हेतु
एक-एक अक्षर अपनी कहानी
खुद बयां कर रहा है
सादर
शुक्रिया। समस्त कवियों व लेखकों को मेरा नमन। हलचल की प्रखर प्रस्तुतकर्ता व समर्थ लेखिका आदरणीय श्वेता सिन्हा, जिनकी तारीफ स्वयं दीदी यशोदा कर रही हों,का विशेष आभार व बधाई तथा सतत् आगे बढते रहने की शुभकामना।
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंअक्षय शुभकामनाएं
बहुत ही शानदार हलचल प्रस्तुति। सार्थक और सामयिक रचनाओं के साथ दिल की बातें करतीं रचनाओं का सबरंगी सयोंजन अंक को एक बेहतर और मोहक अंक बना गया। बहुत लुत्फ़ आया। वाह
जवाब देंहटाएंवाह!!! श्वेता जी आपकी प्रस्तुति बहुत असरदार और विविधतापूर्ण रचनाओं का गुलदस्ता है। आज आपका अग्रलेख सोचने पर विवश करने वाला है। अतः मेरी बात थोड़ी लंबी हो रही है।
जवाब देंहटाएंआज विश्व समुदाय को ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दे से परिचित होकर उसके निराकरण के लिए अपना-अपना योगदान तय करने की आवश्यकता है।
ग्लोबल वार्मिंग अर्थात पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि। जिसकी मुख्य वजह ग्रीन हाउस गैसें ( कार्बन-डाई-ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड , ओज़ोन और जलवाष्प आदि ) हैं। ये गैसें वातावरण में ऊर्जा प्रवाह ( गर्मी को अवशोषित करना और पुनः उस गर्मी को पृथ्वी पर लौटा देना जिससे धरती का तापमान बढ़ता है ) को प्रभावित करती हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों में CO2 के स्तर में बढ़ोत्तरी, जीवाश्म ईंधन का अंधाधुंध प्रयोग, विभिन्न कारणों से धरती पर ताप उत्पन्न करना (कारख़ाने ,उद्योग आदि ), आधुनिक जीवन शैली , प्रदूषण और पेड़-पौधों की निर्मम कटाई आदि ।
सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरण को रोकने वाली पृथ्वी के ऊपर स्थित ओज़ोन छतरी में भी छेद होने की वजह क्लोरो फ्लोरो कार्बन को माना गया है। पृथ्वी से ऊपर उठने वाली हानिकारक गैसें और प्रदूषण पृथ्वी से कुछ ऊँचाई पर एक प्रकार की धुंध- छतरी का निर्माण कर देते हैं जिससे पृथ्वी की सतह से टकराकर लौटने वाली सूर्य की गर्मी, विकिरण और उत्पन्न हुई गर्मी को यह प्रदूषित छतरी आसमान में पुनः जस का तस लौट जाने से रोककर पृथ्वी के वातावरण में ही लौटा देती है जिससे धरती का तापमान बढ़ता है।
पृथ्वी का तापमान बढ़ने से अनेक प्राकृतिक आपदाऐं आती हैं। पृथ्वी के ध्रुवों (ग्लेशियरों जहां दिन छह माह का और रात छह माह की , विशालतम बर्फ़ के भंडार ) पर जमी बर्फ़ पिघलकर समुद्र के जलस्तर को बढ़ायेगी और समुद्री किनारों पर बसे शहर तथा अनेक टापू डूबने से नहीं बचेंगे। पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ते जाने से जीवन की संभावनाओं को भी ख़तरा उत्पन्न हो गया है।
वैज्ञानिकों का निष्कर्ष ठोस तथ्यों पर आधारित है अतः इस मुद्दे को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।
आदरणीया श्वेता जी ने ठीक ही कहा है कि यह स्थिति एक व्यक्ति के सोच लेने या प्रयास करने से बदलने वाली नहीं है बल्कि सभी को अपनी-अपनी भूमिका तय करनी चाहिए।
सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं। मेरी रचना को इस अंक में स्थान मिलने पर हार्दिक प्रसन्नता हुई। आभार श्वेता जी।
आदरनीय श्वेता बहन -------- सुंदर लिंक संयोजन से सजा आज का संकलन नहुत सुंदर है | भूमिका शानदार है | पर्यावरण पर चिंता जायज है पर लगता है कि डोर हाथों से छूट रही है --आगे की दुनिया का चित्र सोचकर रूह कांप जाती है | आदरणीय रविन्द्र जी ने बड़ी ही सार्थकता के साथ विषय को विस्तार दिया है | जरूर सोचना चाहिए हमें और यदि कुछ कर सकते हैं तो जरुर करना चाहिए |शायद छोटे छोटे प्रयासों से कोई बड़ा परिवर्तन संभव हो जाए | आजके सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और आपको इस दुस सार्थक प्रयास के लिए सस्नेह शुभकामना |
जवाब देंहटाएंकृपया दुसरे प्रयास पढ़े -- गलती के लिए खेद है |
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी आज की सुन्दर हलचल प्रस्तुति के शीर्षक पर ही 'उलूक' के आदमी बोने की खबर को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंशब्दों की जुगाड़ में हूँ इस प्रस्तुति की प्रशंसा के लिए !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं।
सामयिक रचनाओं के साथ दमदार प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
आभार
ग्लोबल वार्मिंग वाकई पूरे विश्व के लिए चिन्तनीय विषय है....श्वेता जी की चर्चा की शुरुआत इस प्रमुखता के साथ.... उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ी बात जो मैं कई बार लिखना चाहती हूँ पर समयाभाव के कारण छोटी सी प्रतिक्रिया ही कर पाती हूँ
वो ये कि आजकल यह चर्चा मंच बहुत ही ज्ञानवर्धक और आकर्षक हो गया है,सभी चर्चाकार किसी महत्वपूर्ण मुद्दे से शुरुआत करते हैं,फिर जानकार पाठक प्रतिक्रिया स्वरूप उसे आगे बढाकर ज्ञानवर्धक प्रतिक्रियाएं देते हैं...जैसे रविन्द्र जी ने बहुत ही उम्दा जानकारी दी है ,ग्लोबल वार्मिंग पर....इसके लिए इस मंच के सभी चर्चाकारोंं बहुत बहुत धन्यवाद,एवं आभार ।
मेरु रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार, श्वेता जी!
Global warming is serious matter for our earth.
जवाब देंहटाएंGlobal warming is serious matter for our earth.
जवाब देंहटाएंGlobal warming is serious matter for our earth.
जवाब देंहटाएंआदरणीया श्वेता जी आज का अंक अच्छा लगा। आपकी चिंतन भरी भूमिका क़ाबिले तारीफ़ है सचमुच हमें विचार करना होगा ! सभी रचनायें बेहतर ,स्थान देने हेतु आभार।
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्वेताजी, हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा लिखी गई भूमिका या अग्रलेख भी एक सार्थक समर्पक रचना ही लगते हैं । लेखकों की सभी रचनाएँ अभी पढ़ नहीं पाई हूँ । सोमवार के बाद ही नियमित वाचन शुरू हो पाएगा । सभी को हार्दिक बधाई।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर तरीके से प्रस्तुत किये हैं आपने सभी लिंक।
जवाब देंहटाएंशुभाशीष ।