---

सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

227.....हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी

सादर अभिवादन
आज उनतीस फरवरी है...
और फिर आएगी 
ये उनतीस फरवरी 
सन 2020 में
एक यादगार दिन..
हर्षित हैं वे..
जिनका कि आज..
जन्म दिन है..
या वे..
जिनकी सालगिरह है
हार्दिक बधाइयाँ उन सभी को...

चलिए चलें...

अपनी मंजिल और आपकी तलाश में...प्रभात
मैला हुआ वो पानी दरिया का, सूरज भी जैसे रुका हुआ है
जाड़ा, गर्मी बरसात लिए अब मौसम कितना बदला हुआ है

घास पर फ़ैली ओंस की बूंदों में चिमनी का रंग घुला हुआ है
वर्षों हो गये सुने कोयल की कूकू को कैसे कहाँ छिपा हुआ है

उलूक टाईम्स में... सुशील भाई
आधे पके हुऐ को
मसाले डाल डाल कर
अपने अपने हिसाब से
अपनी सोच में पकाते हैं
स्वागत है आइये चिराग
ले कर अपने अपने
रोशनी ही क्यों करें
पूरी ही आग लगाते हैं ।

सुधिनामा में... साधना वैद
देश में कहीं कुछ हो जाये हमारे मुस्तैद उपद्रवकारी
हमेशा बड़े जोश खरोश के साथ हिंसा फैलाने में,
तोड़ फोड़ करने में और जन सम्पत्ति को नुक्सान पहुँचाने में
सबसे आगे नज़र आते हैं। अब तो इन लोगों ने अपना दायरा और भी बढ़ा लिया है ।
वियना में कोई दुर्घटना घटे या ऑस्ट्रेलिया में, 
अमेरिका में कोई हादसा हो या इंग्लैंड में, 
हमारे ये ‘जाँबाज़’ अपने देश की रेलगाड़ियाँ या बसें जलाने में 
ज़रा सी भी देर नहीं लगाते ।



जिंदगी की राहें में...मुकेश कुमार सिन्हा
पन्ने उलटते हैं
कवि की कलम होने लगती है वाचाल
स्त्रियों के जिस्म, उतार चढ़ाव
सेक्स, सेंसेक्स, इंडेक्स
कर देता है मिक्सिंग सब कुछ
एक ही रचना में वो चूमता है
और फिर जिस्म से उतरता हुआ
पहुँच जाता है राजनितिक पार्लियामेंट !!

और ये रही आज की शीर्षक रचना का अंश
अब छोड़ो भी में...अलकनन्दा सिंह
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां
संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है
राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त द्वारा रचित
ये कविता आज बेहद प्रासंगिक हो गई है
क्योंकि संसद, जेएनयू और महिषासुर दिवस से लेकर
जो चर्चा मां दुर्गा के लिए आपत्त‍िजनक शब्दों तक पहुंच गई है,

आज्ञा दें यशोदा को
मन की बात आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसके जरिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं।
अगर आप यह कार्यक्रम अपने mobile पर सुनना चाहे तो आप 8190881908 पर missed call देकर सुन सकते हैं।








5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति। आभार 'उलूक' का सूत्र 'ऊपर वाले के जैसे ही कुछ अपने अपने नीचे भी बना कर वंदना कर के आते हैं' को आज के पन्ने पर जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात.... सुंदर पठनीय लिंकों से सजी हलचल....

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी सूत्र बहुत ही सुन्दर हैं ! मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिये आपका हृदय से आभार यशोदा जी ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।