पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग में आप सभी को का हार्दिक स्वागत है !!
अब पेश है...मेरी पसंद के कुछ लिंक
वह एक किताब थी ,
किताब में एक पन्ना था ,
पन्ने में हृदय को छू लेने वाले
भीगे भीगे से, बहुत कोमल,
बहुत अंतरंग, बहुत खूबसूरत से अहसास थे ।
आँखे बंद कर उन अहसासों को
जीने की चेष्टा कर ही रही थी कि
किसीने हाथ से किताब छीन कर
मेज़ पर पटक दी ।
सुधिनामा ब्लॉग पर .....साधना वैद
ट्रेन डब्बा मुसाफिर जिंदगी
तेज धीमी रफ़्तार समय
भागते हांफते आराम
बैठे तो रेत जैसे जिंदगी
हथेली किसी के हाथ में
फिसल जाता है...
पथ का राही पर....... मुसाफिर
हॉस्टल लाइफ, ज़िंदगी जीने दो
हॉस्टल। एक सख्त वॉर्डन। छोटे छोटे कमरे। कमरों में एक-दो तख्त सरीखे बिस्तर।
एक छोटी सी आलमारी। किताबों का कोना। घर से लाए आचार का डिब्बा।
नमकीन, मठरी, जिन्हें खाते ही मां की याद आ जाए।
खट्टी मीठी यादें। गंदा कॉमन टायलेट। तमाम शिकायतें।
वर्षा ब्लॉग पर ...........वर्षा
नहीं बिखरते परिवार
अगर घर के
छोटे-मोटे झगड़े
सुलझ चाए,
घर में ही।
मन का मंथन ब्लॉग पर .....कुलदीप ठाकुर
उदास डाल पर
श्वेत पंखुड़ियों ने
अवतरित हो कर
रिसते दर्द को
थाम लिया... !!
समूचा वातावरण जमा हुआ था
अनुशील ब्लॉग पर ......अनुपमा पाठक
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंवाह भाई संजय वाह
बढ़िया व संतुलित प्रस्तुति
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर व सार्थक चर्चा....
उत्तम वर्णन...
जवाब देंहटाएंराह पकड़के एक चला जा ,पा जाइयेगा मधुशाला ।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों का चयन संजय जी ! मेरी रचना को आज की हलचल में सम्मिलित करने के लिये आपका हृदय से आभार !
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