tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post3546385892352257845..comments2024-03-29T13:09:38.730+05:30Comments on पाँच लिंकों का आनन्द: 874....जब मिलता है तुम्हें वनवास.....yashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-24325849712585773702017-12-08T13:08:36.244+05:302017-12-08T13:08:36.244+05:30शुभदोपहर.....
देर से आ सका....
क्षमा करें.....
धर्...शुभदोपहर.....<br />देर से आ सका....<br />क्षमा करें.....<br />धर्म के नाम पर देश का बंटवारा हुआ........<br />फिर भी भारत में सभी धर्मों को समानता का अधिकार मिला.....<br />ये तभी संभव हो सका जब हिंदू संस्कृति व हिंदुओं में संवेदनशीलता है.... ऐसा पाकिस्तान में क्यों नहीं हुआ?....<br />आज हिंदू ही चाहते हैं कि वहां मंदिर/मस्जिद न बनाकर अन्य सारवजनिक स्थान बने....दूसरा पक्ष केवल अटल है......<br /><br />kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-7365132530894129762017-12-07T19:45:43.991+05:302017-12-07T19:45:43.991+05:30आदरणीय रवींद्र जी,
यह एक ऐसा मुद्दा ...आदरणीय रवींद्र जी,<br /> यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर आम जनमानस की मासूम भावनाओं से वर्षों खिलवाड़ किया गया है। हम तो यही मानते है किसी भी जाति या धर्म के होने के पहले एक इंसान है हम और इंसानियत के धर्म का निर्वहन ठीक प्रकार से कर ले वही बहुत होगा।<br />आज की विचारणीय प्रस्तुति में आपने मौन रहकर रचनाओं के माध्यम से बहुत कुछ कहने का प्रयास किया है।<br />आपकी विचारशीलता और समसामयिक घटनाओं पर जागरूकता बेहद प्रभावित करती है।<br />सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-16498905808543760672017-12-07T19:44:52.127+05:302017-12-07T19:44:52.127+05:30'मंदिर वहीं बनाएँगे'का समर्थन करें या चिकि...'मंदिर वहीं बनाएँगे'का समर्थन करें या चिकित्सालय या विद्यालय का ? एक आम हिंदू के लिए बड़ा धर्मसंकट है...एक तरफ धर्म और आस्था, दूसरी तरफ मानवता!<br />दुःख की बात है कि आज भी मानवता पर धर्म और आस्था की जीत होती है। दोनों धर्मों के लोग चाहते भी होंगे कि वहाँ कोई धार्मिक स्थान ना बने,स्कूल या अस्पताल बने,तो भी खुलकर सामने आकर नहीं कहेंगे। जब तक हमारा स्वर एक नहीं होता, तब तक मन प्राण के एक होने की बात करना बेमानी है। सुंदर संकलन लाने के लिए आदरणीय रवींद्र जी का धन्यवाद।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-44743236214161195462017-12-07T19:34:56.916+05:302017-12-07T19:34:56.916+05:30बिल्कुल सही सुधाजी। क्या फायदा ऐसे मंदिर का जिनमें...बिल्कुल सही सुधाजी। क्या फायदा ऐसे मंदिर का जिनमें कोई गरीब ठिठुरती रातों में शरण ना पा सके...Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-61598710090508129132017-12-07T13:16:36.115+05:302017-12-07T13:16:36.115+05:30बहुत सुन्दर बहुत उम्दा संकलनबहुत सुन्दर बहुत उम्दा संकलनNITU THAKURhttps://www.blogger.com/profile/03875135533246998827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-85477727578200979052017-12-07T13:07:59.197+05:302017-12-07T13:07:59.197+05:30सुप्रभात रविंदर जी,
विवादों की मानिंद मेरी लंबी सी...सुप्रभात रविंदर जी,<br />विवादों की मानिंद मेरी लंबी सी टिप्पणी हें।ये<br />कल की बात हैं, एक ट्युशन पढ़ने आए बच्चे ने पुछा मुझसे दीदी ये लोग इतना शोर क्यों मचा रहे हें।पुरे घर में अल्ल्लाह , भगवान गुंज रहे हें,ये तो हमारे साथ साथ उन <br />उपर बैठे भगवानों को भी सोचने पर मजबुर कर रहे होंगें कि आखिर इस ढांचे के नीचे था क्या....,?<br />आप चैनल बदलो हमें पढ़ना हें।<br />ये कहता है मुझसे देश का आने वाला.भविष्य...।पर उसकी भी गलती नहीं हे ये मुद्दा तो तब से विवादित हैं जब शाय़द ये सवाल हमने भी पुछे थे,पर उत्तर सिफ़र रहा।<br />कुछ कहे मंदिर का ढांचा था कुछ कहे मस्जिद का...पर ये विवाद युं ही चलता रहेगा,<br />जब तक एक हिंदुस्तानी मन ये ना कहेगा, हां कुछ ऐसा नवर्निमाण करते हैं,जब हमारी न ई पीढ़ी अयोध्या आए तो ..देश की एकता अखंडता की बात करती .. हुवे.उत्तम विचार लेकर यहां से लौटें...पर ये तभी संभव हे जब ये दो मुख्य धर्मावलंबियों के मध्य वैचारिक मतभेद खत्म हो,आप लोग positive way में चर्चा करें,धर्म कोई किसी का नहीं छीन रहा,जब तक अयोध्या की आग में राजनीतिक रोटियां सिंकती रहेंगी ये नौनिहाल क्या उनके भी नौनिहाल यहीं पुछेंगे आखिर ढांचे के नीचे था क्या?<br /> बेहतरीन संकलन आपने प्रस्तुत किया सोचने पर विवश कर डाला ध्रुव जी की तरह आखिर जाएं तो कहां ं जाएं .... आपकी संचालक कीभुमिका तो हमेशा ही ज्वलंत मुद्दों पर कमाल का प्रभाव छोड़ती हैं...!!Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-24366388245278430442017-12-07T12:55:49.033+05:302017-12-07T12:55:49.033+05:30बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा पठनीय लिंक संकलन......बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा पठनीय लिंक संकलन....<br />मंदिर या मस्जिद ?<br />बचपन से ये विवाद सुनते आये हैं दो दिन की चुप्पी फिर वहीं का वहीं....<br />कुछ भी बने क्या फर्क पड़ेगा गरीबों को तो फुटपाथ पर ही रहना है उनके लिए तो मन्दिरों में भी ताले लग जाते हैं<br />भगवान की पूजा का भी समय होता है....मंदिर के बाहर ठंड से ठिठुरते लोग मंदिर के बरामदे मे भी सर नहीं ढक सकते....Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-43679397652926578112017-12-07T12:40:38.049+05:302017-12-07T12:40:38.049+05:30बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-59347138412839124352017-12-07T10:34:46.332+05:302017-12-07T10:34:46.332+05:30बहुत उम्दा संकलनबहुत उम्दा संकलनLokesh Nashinehttps://www.blogger.com/profile/10305100051852831580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-16289457327252138812017-12-07T09:05:54.419+05:302017-12-07T09:05:54.419+05:30उषा स्वस्ति..
बहुत सुंंदर विचारशील प्रस्तुति
सभी च...उषा स्वस्ति..<br />बहुत सुंंदर विचारशील प्रस्तुति<br />सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ<br />धन्यवादPammi singh'tripti'https://www.blogger.com/profile/13403306011065831642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-71481815040107189842017-12-07T08:49:13.920+05:302017-12-07T08:49:13.920+05:30आदरणीय रविंद्र जी प्रणाम आज की प्रस्तुति पढ़कर अजीब...आदरणीय रविंद्र जी प्रणाम आज की प्रस्तुति पढ़कर अजीब सी कश्मक़श में फसा हूँ। कौन है सही और गलत कौन ? मंदिर जाऊँ या मस्जिद ! अथवा मानवता पर आधारित हमारे प्यारे संविधान का अनुसरण करूँ। <br />प्रश्न है ? मानवता के लिए क्या जरूरी है ?<br />मंदिर ?<br />मस्जिद ? <br />अथवा मूलभूत आवश्यकताओं हेतु <br />हॉस्पिटल और विद्यालय जो सच्चे मानवता का पाठ पढ़ाता हो। <br />ये हम पर निर्भर करता है हम क्या चाहते हैं। देश में शांति व्यवस्था ,रोजगार ,राष्ट्र की प्रगति अथवा वैमनस्यता एक दूसरे के प्रति ! मंदिर हो मस्जिद इससे न तो आपका भला होगा न ही इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का। धर्म हमें जोड़ता है न कि तोड़ता है ! अतः मेरे विचार से हमें अपने धर्मनिरपेक्ष संविधान का अनुसरण करना चाहिए। आज की प्रस्तुति तथ्यों पर आधारित और हमारा सही मार्गदर्शन करने में सक्षम है। नमन आपको 'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-31600562797319886392017-12-07T08:41:11.240+05:302017-12-07T08:41:11.240+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति रवींद्र जी।बहुत बढ़िया प्रस्तुति रवींद्र जी।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-36934923955471789752017-12-07T08:20:21.258+05:302017-12-07T08:20:21.258+05:30सुंदर संकलन!!!सुंदर संकलन!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-692139476716571990.post-47268466394077879752017-12-07T07:27:04.037+05:302017-12-07T07:27:04.037+05:30शुभ प्रभात....
जब मिलता है तुम्हे वनवास
प्रसन्न हो...शुभ प्रभात....<br />जब मिलता है तुम्हे वनवास<br />प्रसन्न होते हैं देवगण<br />क्योंकि वे जानते हैं<br />वनवास के दिनों में ही तुम,<br />धरा को असुरों से मुक्त करते हो....<br />बहुत सुन्दर<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com