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गुरुवार, 9 नवंबर 2017

846...खेद का विषय है

खेद का विषय है कल आदरणीय ''रविंद्र'' जी के पृष्ठ में कुछ तकनीकी त्रुटि होने के कारण आज उनकी प्रस्तुति नही हो पाई। 
जिसके लिए आप सभी से क्षमाप्रार्थी हूँ। 
अब 'क्षमा' की बात करें तो इसका हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। 
जो देता है उसकी भी गरिमा 
माँगने वाला सर्वोपरि ! लेन -देन का यह किस्सा यूँ ही 
समाप्त नहीं होता। देने वाला परम आनंद का 
अनुभव करता है और माँगने वाला परम आनंद से गदगद। 
ये संसार इसी मूल पर टिका है ,हम इंसान कितनी भी तरक़्क़ी कर लें,परन्तु इस लेन -देन के बाद होने वाला सुख उन तमाम वैज्ञानिक प्रगति से होने वाले सुख-सुविधाओं से बेहतर है ! 
जो आज मुझे हो रहा है। 
अतः आदरणीय 'रविंद्र' जी आप हमें क्षमा करें। 

आप सभी का स्वागत है। 

आदरणीय "रविंद्र" सिंह जी  
 वो शाम अब तक याद है 
दर-ओ-दीवार पर 
गुनगुनी सिंदूरी धूप खिल रही थी 
नीम के उस पेड़ पर 
चमकीली हरी पत्तियों पर 


आदरणीया  डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 

 जरूरी है अभिमान हारना
राज्य दिलों पर करने को
जरूरी है विषपान करना
मानव से शिव होने को
राम सा हो पाने को
त्याग भावना जरूरी है

आदरणीय "पुरुषोत्तम सिन्हा" 

 बिन लघुविराम, बिन पूर्णविराम...
बिन मात्रा, शब्दों बिन प्रस्फुटित होते ये अक्सर,
ये निराकार से प्रतिबिंब यूँ ही काटते चक्कर,
मन के ये प्रतिबिंब, देखे कौन आकर?

आदरणीया "ऋतु आसूजा" 
 देवों की भूमि "उत्तराखण्ड"
 "भारत"के सिर का ताज
गंगोत्री ,यमनोत्री,बद्रीनाथ,केदारनाथ
आदि तीर्थस्थलों का यहीं पर वास
पतित ,पावनी निर्मल ,अमिय माँ
गँगा का उद्गम गंगोत्री .. से 

आदरणीय अमित जैन 'मौलिक'

फ़ितरत बदल रही है मेरे, दिल की आजकल
है कौन जिसकी चल रही है, ख़ूब आजकल।

आदरणीया कमला सिंह "ज़ीनत" 
 कहाँ  हम हों ,तुम हो पता नहीं 
इसे  लिखने  वाले जुआ लिखो 

मैंने  ज़ख्म  सारे   दिखा   दिए 
ऐ  तबीब  अब तो  दवा  लिखो 

पुनः 

"एकलव्य" 

16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    पसंद आई फटाफट प्रस्तुति
    शुक्रिया आभार और धन्यवाद भी
    रचनाए भी उत्तम चुनी आपने
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति। आभार मुझे भी स्थान देने हेतु।
    त्रुटि, एक ऐसा शब्द जो हमें बचपन से आजतक परिपक्व बनाने में सहायक रहा है। अतः परिपक्वता की ओर बढते इस कदम का पुरजोर स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  3. युवा होना झलकता है उम्दा प्रस्तुतीकरण से
    असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा संकलन
    बहुत बधाई
    सुप्रभात

    जवाब देंहटाएं
  5. "अब 'क्षमा' की बात करें तो इसका हमारे जीवन में बड़ा महत्व है।
    जो देता है उसकी भी गरिमा
    माँगने वाला सर्वोपरि ! लेन -देन का यह किस्सा यूँ ही
    समाप्त नहीं होता। देने वाला परम आनंद का
    अनुभव करता है और माँगने वाला परम आनंद से गदगद।
    ये संसार इसी मूल पर टिका है ,हम इंसान कितनी भी तरक़्क़ी कर लें,परन्तु इस लेन -देन के बाद होने वाला सुख उन तमाम वैज्ञानिक प्रगति से होने वाले सुख-सुविधाओं से बेहतर है"
    वाह ! वाह !! वाह !!!
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ, मैं इन्हें अपनी डायरी में नोट कर रही हूँ ।
    बेहतरीन रचनाएँ । सभी रचनाकारों एवं ध्रुवजी को सादर बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति..
    बेहतरीन रचनाएँ सभी रचनाकारों को बधाई।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. लाज़वाब...बहुत सुंदर,बेहतरीन रचनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत मोहक हलचल प्रस्तुति। मेरी रचना को स्थाम देने के लिये ह्रदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. लाज़वाब प्रस्तुति,सभी रचनाओं ने मन मोह लिया.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह !!!
    ध्रुव जी आप अपनी भूमिका में सफल हैं। क्षमा का यहाँ कोई सवाल ही नहीं बल्कि पाठकों और "पाँच लिंकों का आनन्द" परिवार की जानिब आपकी निष्ठा और लगन आपसे ऐसे सराहनीय कार्य करवाती है। आपका हार्दिक आभार एवं ख़ूब सारा शुक्रिया और शानदार प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई।

    मेरी प्रस्तुति अब रविवार 12-11-2017 को आ रही है।
    वक़्त के संयोग के आगे नत-मस्तक हूँ। संभव है कल तक हमारा ब्लॉग 2 लाख पेज़ दृश्य का कीर्तिमान स्थापित करे और आगामी सोमवार को 850 वां विशेषांक ! अर्थात उत्सव...... बधाइयां। यह सब आप सभी के अपार स्नेह और आशीर्वाद से संभव हो पाया है। हम चर्चाकार गदगद हैं इस एहसास के साथ। ब्लॉग सेतु पर लगभग हर समय शीर्ष पर अर्थात नम्बर 1 पोज़ीशन !

    आज के अंक में चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आभार सादर। असुबिधा के लिए मेरे अंक के लिए चयनित रचनाकारों से क्षमा प्रार्थी।

    जवाब देंहटाएं
  11. शुभ मध्यान्ह
    एक शानदार प्रस्तुति
    तकनीकी खराबी को दूर करने में आप माहिर हैं
    आभार
    आदर सहित

    जवाब देंहटाएं
  12. 'क्षमा' शब्द के सुविचार की भूमिका के दार्शनिक भाव की भूमिका से सजी आज की प्रस्तुति बहुत सुंदर बनी है आदरणीय ध्रुव जी।
    सभी रचनाएँ अत्यंत सराहनीय है।
    सभी चयनित रचनाकारों को मेरी बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर पठनीय लिंक संकलन....
    "क्षमा"माँगने वाला भी महान और देने वाला और महान.... वाह!!!क्या शब्द चुना आपने विमर्श के लिए और साथ मे बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के साथ उत्तम विचार
    भी ....
    बहुत ही लाजवाब प्रस्तुतिकरण....

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही सुंदर
    बहुत देर से आ सका...

    आभार सर आप का....

    जवाब देंहटाएं

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