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शनिवार, 5 अगस्त 2017

750... बाबुल मेरे






सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

एक-एक दिन कर

दिन गए गुजर
बहुत खुश हूँ




अम्मा से कहना, तरसे हैं अँखियाँ,
अँखियों में सपने, सपनों में सखियाँ,
सावन के झूले, मीठी सी बतियाँ !
पीहर की ठंडी सी छाँव रे !




बैठ  बाहर  फुर्सत  में  गाँव  टीले .
तू  कस  सारंगी   के  तार  ढीले ;
 छेड़ फिर  ऐसी कोई  तान  प्यारी -
 जो  सजें    उल्फत  के  रंग सजीले ;
 पनपे  प्यार हर     दिल  में 




सभी कुछ
अपनी मौलिकता को छोड़कर
समय की धार के साथ
गति व रंग के साथ
स्वयं के बदलाव को
विवश हो जाते हैं




दीदी की एंटीक जिंदगी ही भली। एक न एक दिन उसे फैसला करना ही होगा, किसी न किसी को अपना हम सफर बना ही लेना होगा। आज भी स्त्री अपनी इस नियति से बाहर कहां निकल पार्इ है? पर ऐसे ही कैसे वह किसी को अपना भविष्य सौंप सकती है? एक छोटी से चीज तक लेते समय तक तो उसे उलट-पलट कर हर तरह से परखना होता है फिर यह तो उसके सहजीवन का प्रश्न है। जब भी वेरोनिका अपने हमसफर के बारे में सोचती है उसकी सोच अभिषेक पर आकर ठहर जाती है।




जिन्हें परवाह नहीं फ़िक्र उनकी करता है,
अजब मिट्टी का बना दिल ग़ज़ब ख़िलौना है.. 
किये थे लाख जतन कोशिशें भी सौ की थी ,
मग़र होता है वही..ख़ैर !, जिसे होना है..
             
                  ..,मग़र होता है वही..ख़ैर !, जिसे होना है..


><><

फिर मिलेंगे


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10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात बड़ी दीदी
    बेहतरीन सावनी रचनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर अभिवादन !
    आज 750 वां अंक अपनी सुन्दर छटा बिखेर रहा है।
    आदरणीय दीदी का विविधतापूर्ण बिषय आधारित संकलन बेमिशाल है।
    अब इंतज़ार है जब आदरणीय विभा दीदी द्वारा पेश किये जाने वाले 800 वें अंक का।
    सभी चयनित रचनाकरों को बधाई एवं शुभकामनाऐं !
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात... आज 750 अंक पूरे हो गये....
    प्रत्येक 50 के बाद विशेषांक प्रस्तुत होता है....
    पर इस बार आदरणीय विभा आंटी का दिन आने के कारण....
    विशेषांक प्रस्तुत नहीं किया गया....
    क्योंकि इनके द्वारा प्रस्तुत प्रत्येक अंक ही....
    विशेष होता है....
    आभार आदरणीय आंटी आप का....

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर प्रस्तुति करण ....
    उम्दा लिंकों का संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय सभीजन -- सादर अभिवादन | अपनी रचना को एक बार फिर पांच लिंकों के संयोजन की हिस्सा बना देख मन अपार हर्षित है | मेरी ओर से हार्दिक आभार | बाकि सभी रचनाये पढ़ी बहुत उम्दा रचनाएँ है | मीना जी की - बाबुल मोरे '' ने पीहर की याद तजा करा दी तो परिवर्तन रचना जीवन दर्शन से भरपूर है | इन सबके साथ बाईसवी सड़ी की लड़की बड़ी कौतुहल भरी और रोचक है | '' हम ना करते तो '' के सभी मुक्तक लाजवाब है | सभी मित्र रचनाकारों को सस्नेह बधाई | आज का अंक 750वाँ अंक है -- बहुत शुभकामना इस विशेष अवसर पर |

    जवाब देंहटाएं
  7. विविधापूर्ण बहुत सुंदर लिंकों संयोजन।आज 750वें अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। 750 की बधाई सभी पाठकों चर्चाकारों और लेखको को।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर संकलन । मेरी रचना को पसंद करने व यहाँ स्थान देने हेतु सादर धन्यवाद विभाजी । 750 अंक की हार्दिक बधाई । सभी चयनित रचनाकारों को भी बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत धन्यवाद मैम..!
    इस स्नेह-सम्मान हेतु आभार..

    जवाब देंहटाएं

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