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मंगलवार, 6 जून 2017

690...जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ....अपना किरदार,


जय मां हाटेशवरी....

आओ झुक कर सलाम करें उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
खुशनसीब होते हैं वो लोग,
जिनका लहू इस देश के काम आता है॥

सादर अभिवादन....
700 अंक तक पहुंचते  -पहुंचते.......
3 नये चर्चाकारों का आना....
पांच लिंकों का आनंद के लिये....
सात सौवाँ  अंक...
किसी उत्सव से कम नहीं होगा....
डर हमें  भी लगा फांसला देख कर....
पर हम  बढ़ते गये रास्ता देख कर....
खुद ब खुद हमारे  नज़दीक आती गई....
हमारी  मंज़िल हमारा  हौंसला देख कर ...
हम सभी चर्चाकार....
आनंद का प्रत्येक अंक बनाते हुए....
यही सोचते हैं....
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
चर्चामंच, ब्लॉग बुलेटिन, पांच लिंकों का आनंद आदि....
काफी समय से हिंदी ब्लॉगर को....
मंच प्रदान कर रहे हैं....
कुछ चर्चा ब्लॉग जैसे....
नयी-पुरानी हलचल, ब्लॉग प्रसारण....
हिंदी ब्लॉग समूह आदि ब्लॉग....
कुछ परिस्थितियों के चलते बंद हो गये...
 सोशल वैबसाइटों पर भी अनेकों ऐसे  समूह हैं....
जो हिंदी ब्लॉगिंग को मंच प्रदान कर रहे हैं....
बावजूद इस के भी.....
अनेक रचनाकारों ने हिंदी ब्लॉगिंग से दूरी बना ली....
जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ....अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ.... ....बजती रहे….।।
अब पेश है.....कुछ चुनिंदा रचनाएं...
माँ -
त्याग के, गरिमा के ,पुल बाँधे,
 चढाने बैठे हैं लोग
 पार नहीं पाती,
 घिसी-गढ़ी मूरत देख अपनी
जड़ सी हो जाती मा्ँ,
दुनिया के रंग बूझती
चुपचाप झुराती है .
प्रस्तुतकर्ता......प्रतिभा सक्सेना

नेतरहाट - बांस के जंगल या चीड़ वन
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अब लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। कुछ लोग हमारी तरह कैमरा हाथ में पकड़े पश्‍चि‍म की ओर टकटकी बांधे बैठे थे। धूप से पत्‍ति‍यां चमक रही थी। सखुआ के फूल जमीन पर थे और खुश्‍बू हवाओं में । परि‍सर में एक चाय की दुकान थी। वहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी। गरमागरम पकौडि‍यां नि‍कल रही थी। लोग चाय-पकौड़ी के साथ शाम का आनंद ले रहे थे। सूखे पेड़ के ठीक बगल में सूर्यास्‍त का नजारा सबसे सुंदर लगेगा, इस अहसास के साथ मैं वहीं खड़ी रही।
प्रस्तुतकर्ता....रश्मि शर्मा


फेसबुक पर महिलाओं की प्रॉक्सी
             फेसबुक पर महिलाओं की प्रॉक्सी? मतलब महिलाओं का फेसबुक पर भी इतना बोलबाला हो गया है कि  तथाकथित मर्द अब फेक आई डी बनाकर प्रॉक्सी देने लगे हैं.
उनकी दबी हुई यानि कि दमित इच्छाएं भी महिलाओं की चौखट पर दम तोड़ने लगीं हैं. आखिर   हर बार पुरुषों को महिलाओं की चौखट ही मिलती है।  तथाकथित मर्द फेक अकाउंट द्वारा अपने दूषित विचारों की लीपा पोती करतें है।   ऐसा प्रदूषण  ज्यादा देर कहाँ छुपता है।
प्रस्तुतकर्ता...शशि पुरवार




वेदों में विज्ञान बनाम प्राचीन भारत में विज्ञान, एक बेबाक विश्लेषण -
वर्तमान अनुसंधानों से ऐसे प्रमाण मिले है, जिससे यह प्रतीत होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता मिश्र तथा बेबीलोन की सभ्यता से अधिक विस्मयकारी और महान थी। सिन्धुघाटी की सभ्यता के लोग कच्ची-पक्की इंटों और लकड़ी के अच्छे भवनों में रहते थे, जो योजना के अनुसार बने हुए थे। वहां की नालियाँ ग्रीड पद्धति के अनुसार बनी थीं। पुरातत्ववेत्ताओं को मोहनजोदड़ो से एक विशाल स्नानागार मिला है। सिन्धुघाटी सभ्यता के स्थानों से अनेक प्रकार के बांटभी मिले हैं, जिनमें आश्चर्यजनक रूप से एकरूपता है। यहाँ की लिपि को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है। विद्वानोंका अनुमान है कि सिंधु सभ्यता के लोगों को रेखागणित और अंक-गणित का अच्छा ज्ञान रहा होगा।
हमारे देश की आम जनता को वेदों के बारे में बड़ी गलतफहमी है। बहुसंख्य जनता यह मानती है कि वेद विज्ञान के अक्षय भंडार है, परंतु हमें याद रखना चाहिए कि वेद लगभग साढ़े तीन हजार साल पहले की कृतियाँ हैं। इनमें उतना ही विज्ञान है जितना की तत्कालीन मानव समाज ने खोजा था। वैदिक साहित्य के चार प्रमुख अंगों – वेद (ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद), ब्राह्मण-ग्रंथ, उपनिषद तथा वेदांग से हमें वैदिक-कालीन समाज की वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त होती है।
प्रस्तुतकर्ता....डॉ. ज़ाकिर अली 'रजनीश

विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच दोहे
समुद्र की लहरें उठी, छूना चाहे चाँद
खूबसूरती सृष्टि की, भाव रूप आबाद |
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प्रस्तुतकर्ता.....कालीपद "प्रसाद"

कोई ज़रूरी है कि सबकुछ कहूँ?
बनकर ठहर जाये. गले के बीच अटकी हुई. सीने में कोई पत्थर बढ़ता हुआ.
उस वक़्त जब लगे कि अगले पल जाने क्या होगा. अगला पल कैसे आएगा?

प्रस्तुतकर्ता....किशोर चौधरी



हेमलासत्ता [भाग- एक]
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घुटी-घुटाई साफ खोपड़ी में ज्यों-ज्यों मार पड़ी वह बड़बड़ाने लगा- ’अब मत मार, धरम की कसम है तुझे। तौबा-तौबा, अरे माफ कर, मुझे, न मार, मैं तेरी पूजा कराऊंगा, कभी ताल पर नहीं आऊंगा, सत्ते! तुझको पूजने के बाद ही शहर वापस जाऊंगा।’ इधर हेमला तालियाँ बजाकर खूब हंसा उधर सिपाही गांव के पास बेहाल होकर गिरा। घोड़ा पास ही घुप्पू बन खड़ा हुआ था। समाचार सुनकर बड़े गांव का मुखिया आया। सिपाही को बेहोश देख बहुतेरे उपाय किए लेकिन उसने मुंह नहीं खोला, पहर रात सिपाही चल बसा। यह देखकर नाई ने खूब नमक-मिर्च लगाकर बढ़ा-चढ़ाकर किस्सा सुनाया।
प्रस्तुतकर्ता.....कविता रावत



आज बस इतना ही....
फिर मिलेंगे....
धन्यवाद।









 







13 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति, विविधतापूर्ण सार्थक लिंकों का चयन।।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात....
    सादर नमन
    उत्तम रचनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय, शुभप्रभात
    कमाल की पंक्तियां
    डर हमें भी लगा फांसला देख कर....
    पर हम बढ़ते गये रास्ता देख कर....
    खुद ब खुद हमारे नज़दीक आती गई....
    हमारी मंज़िल हमारा हौंसला देख कर .
    सत्य कहा आपने आदरणीय
    उत्तम संकलन,सुन्दर विवेचना
    आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं

  4. जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ....अपना किरदार,
    कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ.... ....बजती रहे….।।
    बहुत बढियाँ एवम् अद्भुत प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर चुनिंदा रचनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन
    हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर हलचल। मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  9. विविध क्षेत्रों से चुनी हुई सुरुचि एवं जानकारी से पूर्ण रचनाएँ और जिन्हें पढ़ने की अवधि इतनी कि मन भी बँधा रहे -आभार आपका कुलदीप जी !

    जवाब देंहटाएं
  10. भाई कुलदीप जी शुभ प्रभात ! आपकी जोश-ओ -ज़ुनून पैदा करती अभिव्यक्ति और इस अंक में चयनित विविध बिषयों पर आधारित रचनाओं के लिंक शानदार हैं। बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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