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शनिवार, 18 मार्च 2017

610 .... बधाई



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

चलिए होली का हो हो समाप्त हुआ
समय निकलेगा पढ़ने के लिए






यह  है  हमारी   नाज़ुक  कली,
संभालना  होगा बड़ी नजाकत से.
लग न जाए इसे किसी की नज़र ,
बचाकर  रखना  होगा नफासत से. 
हमारे प्यार व्  ममता ने हमसे कहा 






माँ भारती की सेवा और रक्षा हेतु आपको और अधिक साहस,सामर्थ, 
इच्छाशक्ति प्रदान करें, आप प्रगति पथ पर निरंतर उन्नति प्राप्त करें, 
आपकी यश कीर्ति इस संसार के समस्त कोनों में सूर्य के प्रकाश की तरह ऊर्जा 
और चन्द्रमा के प्रकाश की भांति शीतलता प्रदान करें, दुःख,
 शोक, भय आपको छूकर भी ना निकले.उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर से 
यह प्रार्थना है कि मेरी हर प्रार्थना को जो मैंने आपके लिए की है,वो पूर्ण हो."






यह बहुत ही महत्वपूर्ण उम्र होती है
जहाँ सबसे ज़रूरी होता है एक अनुभवी प्रेमी का अनुभव
पर अफ़सोस अपने अनुभव को सबसे श्रेष्ठ और सबसे पवित्र बताते हुए
हम ठगे जाते हैं
कभी-कभी हम जीत जाते हैं और जश्न मनाते हुए
रंगे हाथों पकड़ लिए जाते हैं अपने अन्दर ही









जो हारकर , छोड़ जाने की बात करते हैं.
हम तो बस उन्हें होश में आने की दुआ करते हैं.

वो खुद के घर को रोशनी से भर रहे बेशक,
मगर, औरों के घरों में तो धुंआ भरते हैं.








जीने दो मुझे मिट्टी बन कर,
नहीं चाहती मैं ऊँचे आसन.
उड़ने दो अब पाखी बनकर,
रहने दो अब झूठे चंदन.


<><>


फिर मिलेंगे

विभा रानी श्रीवास्तव




3 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    अच्छी व सारगर्भित
    रचनाओं का चयन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात...सुंदर व सार्थक प्रस्तुति...
    आदरणीय आंटी आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं

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