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बुधवार, 25 जनवरी 2017

558.........सब कुछ जायज है अखबार के समाचार के लिये जैसे होता है प्यार के लिये

भारतीय गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले ही
ऐसा लगता है कि साल अब शुरू होगा नया
घोषणाएँ होंगी कुछ नयी, होगी वादा खिलाफी भी
सुनिए भी, देखिये भी, और आलोचना भी कीजिए

आइए चलें आज की पसंदीदा रचनाएं देखें....


अजनबी आवाज़.....रेवा
इतने सालों के साथ 
और प्यार के बाद , 
आज एक अजीब सी 
हिचकिचाहट 
महसूस हो रही है , 



बहस से
मन नहीं उबरता  ...
बहस
दूसरे लोग करते हैं
पक्ष-विपक्ष से बिल्कुल अलग-थलग
हादसे से गुजरी मनःस्थिति
जुड़कर भी
नहीं जुड़ती !

जाड़ा! तू जा न -  
करती है मिन्नतें, 
काँपती हवा!  

रवि से डरा  
दुम दबा के भागा  
अबकी जाड़ा

कैसे जियें हम तुम्हारे बिन देखे हमे ज़माना
है करते इंतज़ार तेरा पिया घर चले आना
,
सूना सूना अँगना साजन रस्ता  निहारे नैना 
आँखों से अब  बरसे सावन दिल हुआ दिवाना


बेगैरत सूरज भी साम्प्रदायिकता फैलाता है ,,
इसे भी उगते .. डूबते हुए केसरिया रंग भाता है ||

चाँद को समझाया कितना सुनता ही नहीं है 
कौन धर्म में त्यौहार पर कभी पूर्णिमा मनाता है ||

"पानी पी लूँ?" उसने विनम्रता से पूछा।
"पानी के लिए पूछते हैं! पीने के लिए ही तो रखा है। जरूर पीजिए!" कहते हुए वे थोड़ा गर्व से भर गये।

आज का आनन्द...

समाचार देने वाला भी 
कभी कभी खुद एक 
समाचार हो जाता है 
उसका ही अखबार 
उसकी खबर एक लेकर 
जब चला आता है 
पढ़ने वाले ने तो 
बस पढ़ना होता है 
उसके बाद बहस का 
एक मुद्दा हो जाता है 

आभा दें यशोदा को


भारतीय गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

6 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद हलचल के सभी सहभागियों का इतना बेहतरीन और उम्दा लेख प्रस्तुत करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर रचनाओं का संगम आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया 558वीं प्रस्तुति यशोदा जी । आभारी है 'उलूक' अखबार के एक पन्ने को दिखाने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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